पीएम ने लास्ट लाईन में बैठकर संदेश दिया कि कार्यकर्ता ही पार्टी के लिए होता है नींव का पत्थर . . .
(लिमटी खरे)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सांसदों की कार्यशाला में सबसे पीछे की पंक्ति में एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह बैठना, महज एक तस्वीर नहीं, बल्कि एक गहरा राजनीतिक संदेश है। यह दृश्य इस बात को रेखांकित करने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है कि भाजपा में सर्वाेच्च पद पर बैठा व्यक्ति भी खुद को पार्टी के विशाल संगठन का एक हिस्सा मानता है, न कि उससे अलग। यह एक ऐसी संस्कृति का परिचायक है जहाँ पद से अधिक कार्यकर्ता का महत्व है।
सियासी बियावान में अक्सर जैसे ही सत्ता की ऊँचाइयों पर पहुँचने वाले नेताओं के द्वारा जनता और संगठन के सामान्य कार्यकर्ताओं से दूरी बना ली जाती है, वहीं, रविवार को संसद परिसर के जीएमसी बालयोगी सभागार में आयोजित भाजपा सांसदों की कार्यशाला में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का व्यवहार इस प्रवृत्ति का उलट प्रमाण बना। प्रधानमंत्री न केवल कार्यशाला में कई घंटों तक मौजूद रहे, बल्कि आखिरी पंक्ति में एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह बैठकर उन्होंने यह स्पष्ट संकेत दिया कि भाजपा में पद से अधिक संगठनात्मक संस्कृति और अनुशासन महत्वपूर्ण है।
गोरखपुर के सांसद रवि किशन द्वारा साझा की गई तस्वीर ने इस संदेश को और मजबूती दी कि यह भाजपा की ताकत है कि यहां हर कोई कार्यकर्ता है। यह तस्वीर और यह भावनात्मक संदेश आने वाले समय में पार्टी की आंतरिक राजनीति और जनसंपर्क के लिए प्रेरक नारा बन सकता है।
देखा जाए तो आमतौर पर, उच्च पदों पर बैठे नेता अग्रिम पंक्ति में बैठकर अपने रुतबे का प्रदर्शन करते हैं। लेकिन नरेंद्र मोदी ने इस परिपाटी को तोड़कर यह साबित किया कि उनका नेतृत्व पद-केंद्रित नहीं, बल्कि कार्यकर्ता-केंद्रित है। यह दिखाता है कि वे सिर्फ दिशा-निर्देश देने वाले प्रमुख नहीं, बल्कि अपने साथियों के साथ जमीन पर बैठकर संवाद करने वाले एक मार्गदर्शक हैं। गोरखपुर के सांसद रवि किशन की टिप्पणी, यह भाजपा की ताकत है कि यहां हर कोई कार्यकर्ता है, इसी भावना को पुष्ट करती है। यह एक ऐसा नेतृत्व है जो अपने लोगों को सशक्त करता है और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
यह कार्यशाला सिर्फ जीएसटी सुधारों की सराहना तक सीमित नहीं थी। प्रधानमंत्री ने खुद सांसदों के साथ कई घंटों तक बैठकर उनके विचार सुने, सुझाव दिए और उन्हें तैयार रहने का आग्रह किया। यह संवाद एकतरफा नहीं था, बल्कि समावेशी था। उन्होंने सांसदों को बहस में सक्रिय भाग लेने, रिपोर्ट पढ़ने और सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक पहुँचाने का आह्वान किया। यह दिखाता है कि मोदी अपने सांसदों को सिर्फ मतदान करने वाले सदस्य नहीं, बल्कि सरकार की नीतियों को आम जनता के बीच ले जाने वाले प्रभावी वाहक के रूप में देखते हैं।
दो दिवसीय इस कार्यशाला में जीएसटी सुधारों से लेकर उपराष्ट्रपति चुनाव और सरकार की सफलताओं पर चर्चा, यह सब एक मजबूत और संगठित पार्टी की पहचान है। यह पार्टी सिर्फ चुनाव जीतने पर ध्यान केंद्रित नहीं करती, बल्कि अपने सदस्यों को लगातार प्रशिक्षित और सूचित रखती है। यह कार्यशाला पार्टी के भीतर ज्ञान के आदान-प्रदान, सामूहिक लक्ष्यों के निर्धारण और एक साझा दृष्टि को मजबूत करने का एक मंच है।
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने सांसदों से कहा कि वे चर्चाओं में सक्रिय भूमिका निभाएं, रिपोर्टों का गहन अध्ययन करें और हर समय तैयारी के साथ सदन में मौजूद रहें। यह संदेश स्पष्ट है कि मोदी केवल संख्या बल से संतुष्ट नहीं हैं, बल्कि गुणवत्ता और भागीदारी को प्राथमिकता दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री का यह कदम दिखाता है कि भाजपा आने वाले महीनों में केवल सत्ता के प्रदर्शन पर नहीं, बल्कि संगठनात्मक मजबूती, अनुशासन और नीतिगत एकरूपता पर भी जोर दे रही है। मोदी का “आखिरी पंक्ति” में बैठना, सत्ता के शिखर से जमीन तक जुड़ने का प्रतीक है, और यह संदेश न केवल भाजपा कार्यकर्ताओं, बल्कि पूरे राजनीतिक परिदृश्य को गया है, कि नेतृत्व का असली बल, जनता और संगठन से सीधा जुड़ाव है।
मोदी का यह कदम सिर्फ एक फोटो के जरिए सुर्खियां बटोरना नहीं माना जा सकता है, बल्कि भाजपा की संगठनात्मक शक्ति और उसके नेता के विनम्र दृष्टिकोण का प्रतीक है। यह दिखाता है कि एक मजबूत पार्टी की नींव शीर्ष पर बैठे व्यक्ति के रुतबे से नहीं, बल्कि सबसे अंतिम पंक्ति में बैठे कार्यकर्ता के सम्मान से रखी जाती है।
(साई फीचर्स)