प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छाशक्ति, उनके सपने और भारत को सशक्त बना देने का जूनून वैश्विक परिदृश्य में उनके विश्व नेता बनने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है| उनकी अपनी मर्द छवि पाकिस्तान और आतंकवाद के सहारे दुनिया को दिख रही है तथा निश्चित तौर पर भविष्य में कई फैसलों से दिखेगी भी| ये बिलकुल सही है की भारत कभी इजराइल नहीं बन सकता और उसमें रूस जैसी भयानक बमबारी कर आतंक का खात्मा करने का हौंसला आना मुश्किल है लेकिन आतंक से इंसानियत की जंग को मोदी के बलबूते भारत जीत सकता है| इतना भरोसा हम भारतीयों में पैदा कर देना भर ही हमें सुकुन दे गया|
जब भी विदेशी या पडोसी मीडिया में भारत की बात आती है तो नरेन्द्र मोदी की आक्रामकता और कामकाज के तरीकों की काफी सराहना की जाती है| दुश्मन देशों से आवाज आती है की वहां अब मनमोहन नहीं मोदी बैठा है| क्या विश्व धुरी की महाशक्तियां अमेरिका, रूस और चीन के अलावे चौथी महाशक्ति या विश्व नेता बनने के लिए भारत सक्षम है? जवाब हाँ में तो है लेकिन स्थायी परिषद से दूर चौथी महाशक्ति का दर्जा परोक्ष रूप से भारत के ही पास है फिर भी दुनिया और यहाँ तक की एशिया व पडोसी देश हमें और हमारी राय को प्रभावहीन मानते, समझते रहे हैं| भारत के नेतृत्व में एक सकारात्मक ऊर्जा, प्रभावशाली फैसलों और 56 इंची सिने का दम की कमी लम्बे अरसे से महसूस की जा रही थी| मोदी की विदेश व आर्थिक नीतियाँ कुटनीतिक मसले पर इतनी प्रभावी हुई की आज अमेरिका, रूस व चीन जैसे देश पिछलग्गू बने फिर रहे हैं| हालत और वजह चाहे जो हो पर हकीकत बदली है|
अपने दोनों बिगडैल पड़ोसियों को साधने की जहमत में हमने कई बार धोखे खाए, खुद को घायल करवाया लेकिन, सरकार ने कभी सेना को उसी के अंदाज में ठोकने नहीं दिया| पर, मोदी ने किया और वे हीरो भी बने, राजनीति भी हुई और चुनाव भी जीतेंगे|
मोदी के नेतान्हू, पुतिन, ओबामा या ट्रंप बनने के सवाल पर कोई आश्चर्य नहीं होता| दुनिया को समग्र रक्षा खरीददार, 125 करोड़ आबादी का बाज़ार, सर्वाधिक युवा आबादी वाले देश के नेता के आगे अमेरिका जैसे व्यापारियों का रेड कार्पेट बिछाना बिलकुल भी हैरान नहीं करता| इजराइल व यहूदियों की मानसिकता जैसे अरबों, फिलिस्तीनियों, हमास को ठोकने की रही है वैसे ही हम भारतियों और हिन्दुओं का होना चाहिए| हमें कश्मीर और आतंक पर उसी अंदाज में ठोकना चाहिय जैसे इजराइल ने हिजबुल्ला को ठोका था| कुटनीतिक स्तर पर भी मोदी की भावना झलकती है, पहले तो उन्होंने अरब, अमीरात को साधकर मुस्लिम बिरादरी में भारत की धमक बनाई, फिर दक्षिण कोरिया, जापान, वियतनाम और अफ्रीका जैसे देशों के साथ आर्थिक और सामरिक समझौता करके रूस-अमेरिका से अपनी निर्भरता घटाई| ये दांव भारत राष्ट्र-राज्य के उन सिद्धांतों पर है जो चाणक्य की विचारों से प्रेरित है|
ये ताकत उस जनूनी विचारधारा से निकलता है जिसमें हमने कभी झुकना नहीं सिखा, अन्याय बर्दाश्त करना पसंद नहीं किया| दुनिया को झुकाने की ताकत का मूल हिंदुस्तान है… आज नहीं तो कल ये हिंदुस्तान अपना अतीत दुहरायेगा और दुनिया को अपने सामने बैठाकर कई नालंदा-तक्षशिला भी गढ़ेगा…
लेखक:- अश्वनी कुमार,