आदिवासी बच्चों का कब्रगाह बना यूपी ,सोनभद्र में ५०० से ज्यादा मौतें

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 आवेश तिवारी

अकाल मौत  से भी भयावह होता है अकेले पड़ जाना !देश की उर्जा राजधानी कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद  के आदिवासी -गिरिजन अकेले पड़ चुके हैं|पिछ्ले१५ दिनों के दौरान आदिवासी बहुल इस जनपद में अज्ञात बीमारी से 500 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई है,वहीँ हजारों बच्चे अब भी जीवन -मौत से संघर्ष कर रहे हैं |शर्मनाक ये है कि मरने वाले शत -प्रतिशत बच्चे अनुसूचित जनजातियों के हैं |स्थिति की  गंभीरता का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि 402 ग्राम सभाओं वाले सोनभद्र की  अकेली तीन ग्रामसभाओं में लगभग  115 मौतें हुई हैं |मौत के सर्वाधिक मामले जनपद के चोपन विकास खंड से सामने आये हैं | त्रासदी ये है कि अकाल मौतों के इस रौंगटे खड़ा कर देने वाले अध्याय में कई -कई परिवारों में एक से ज्यादा बच्चों की मौत हुई है |शायद जिन्दा कौमें यकीन न करे गरीब माँ  -बाप  इलाज के लिए पैसे न होने की स्थिति में अपने स्वस्थ बच्चों को सेठ -साहूकारों के यहाँ गिरवी रख दे रहे हैंमौत के इन गंभीर मामलों को लेकर उत्तर प्रदेश में इस एक वक्त जब मैडम मायावती विधान सभा चुनावों की गुना गणित में लगी हैं और नौकरशाही जैसे -तैसे गुड गवर्नेंस का माहौल बनाने की कोशिशों में  |सोनभद्र का काला पानी कहे जाने वाले इन  इलाकों में बच्चों की मौत के इन मामलों पर किसी की भी निगाह नहीं पड़ी है ,सरकारी चिकित्सक दुर्गम कहे जाने वाले इन इलाकों में जाने से पह्ले गुरेज करते थे ,निजी चिकत्सकों के लिए आदिवासियों का इलाज हमेशा से घाटे का सौदा है ,ऐसे में आदिवासियों के पास दो ही विकल्प शेष बचे हैं या तो वो अपने बच्चों का इलाज झोला झाप डाक्टरों से कराएँ या फिर उन्हें ओझाओं के भरोसे छोड़ दे |बच्चों की मौत के इन मामलों में जब जिलाधिकारी सोनभद्र से बात की गयी तो उन्होंने स्थिति की गंभीरता स्वीकार करते हुए कहा कि हमने इस सम्बन्ध में प्रमुख सचिव को सूचना प्रेषित कर दी है ,हमारी प्राथमिकता है कि पह्ले इस बात का पता लगाया जाए कि इन अकाल मौतों की मुख्य वजह  क्या है |हालाँकि वो बार -बार ये दलील देते रहे कि अधिकारियों को प्रभावित इलाके में भेजा गया है ,और अतिरिक्त दवाओं की मांग की गयी है |जबकि जमीनी हकीकत ये है कि अधिकारी  संक्रमण के भय और सड़कों के अभाव में मौके पर अभी तक नहीं पहुंचे हैं |इस सम्बन्ध में जब कुछेक चिकित्सकों से बात की गयी तो उन्होंने नाम न छापने कि शर्त पर बताया कि जिस तरहसे ये मौतें हो रही हैं उन्हें देखकर इन्सेफेलाइटिस की संभावनाओं से इनकार  नहीं किया जा सकता |चिकित्सक फिलहाल बीमार बच्चों का इलाज फाल्सिफेरुम  मलेरिया की दवाओं से कर रहे हैं  ,गौरतलब है कि सोनभद्र देश के सर्वाधिक मलेरिया प्रभावित इलाकों में से एक है |

देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करते करते थक चूका उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जनपद या तो भ्रष्टाचार की वजह से सुर्ख़ियों में रहता है या फिर अकाल मौत की वजह से ,यहाँ अब तक अज्ञात बीमारियों से जानवरों की मौत होती थी इस बार मासूम बच्चों की बारी हैं ,गाँव के गाँव कब्रिस्तान में तब्दिल हो रहे हैं सोनभद्र के जुगैल ग्राम सभा के भीतरी गाँव के पप्पू के पास फिलहाल अपने मृत  बच्चे के अंतिम संस्कार के लिए  भी पैसे नहीं है उसका  ४ साल का बच्चा दो दिन पहले अचानक बीमार पड़ा और गाँव के अन्य १२ बच्चों की तरह उसने भी दम तोड़ दिया ,लगभग एक हजार की आबादी वाले इस गाँव में ज्यादातर आदिवासी  सीमांत कृषक है ,गरम पहाड़ वैसे भी सरकारी योजनाओं की तरह होते हैं जिनसे पेट नहीं भरा जा सकता ,इलाज कहाँ से हो ,गाँव के लोगों ने मनरेगा में काम किया लेकिन दो -दो साल की मजदूरी बाकी है ,ऐसे में इलाज के लिए आदिवासियों के पास महाजन से एक के दो सूद पर कर्ज लेने के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं है |गाँव के तिवारी लाल बताते हैं कि हमारे  पास झोला छाप डाक्टरों से इलाज के अलावा कोई और रास्ता नहीं ,लगभग पांच किलोमीटर दूर पंचपेडिया में सामुदायिक स्वास्थय केंद्र  है ,लेकिन चिकित्सकों के अभाव में इस पर भी ताला लगा हुआ है ,इलाज की सुविधा जिस नजदीकी कस्बे ,ओबरा में मौजूद है वो तक़रीबन ३०  किलोमीटर दूर है ,लेकिन सुगम सड़क मार्ग न होने से रात तो क्या दिन में भी जाना वहाँ  असंभव है |श्यामलाल और पृथ्वीलाल ने तो अस्पताल ले जाते समय बीच रास्ते में ही दम तोड़ दिया  आदिवासियों के पास वाहन के रूप में खटिया और उसके चार पावे मौजूद हैं जिस पर लादकर बीमार को पहाड़ी रास्तों से ले जाना बेहद दुष्कर काम है |गाँव में एक दो झोला झाप डाक्टर मौजूद हैं वो अपने ज्ञान के अनुसार यथासंभव इलाज करते हैं |भीतरी के ही रामानुग्रह का बच्चा जब बीमार पड़ा तो उसने उसे टेक्सिम का इंजेक्शन लगा दिया और बच्चे की जान बच गयी |

भीतरी से आठ किलोमीटर दूर घनघोर जंगल के बीचो-बीच बसे मुर्गीडांड गाँव में मरघट सा सन्नाटा पसरा हुआ है जिसे या तो रह-रह कर आने वाली महिलाओं की चीत्कार खंडित करती है ,या फिर थके हारे चक्की की आवाज ,लगभग १०० परिवारों वाले इस गाँव में महज दो दिनों के भीतर १२ मौतें हुई हैं |गाँव में घुसते ही राज्य के परिवार कल्याण विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री महामाया सचल  स्वास्थ्य परियोजना  की वैन  मिलती है | वैन में बैठे डाक्टर बताते हैं कि मलेरिया की दवा उपलब्ध नहीं है ,न ही  खून जांच के लिए बुनियादी सुविधाएँ |गाँव में घुसते ही पहला घर शिवकुमार   का है जिसके बच्चे की तीन दिनों पहले मौत हुई है ,शिवकुमार  का २ साल का दूसरा बेटा भी बीमार है शिवकुमार की पत्नी  कहती है हमारे पास न तो इलाज के पैसे हैं न तो सरकारी अस्पताल तक जाने की शरीर में  हिम्मत ,क्या करें ?मुर्गीडांड की ही रामरती जिसका पति दिल्ली में मजदूरी करता है के पांच बच्चों में से एक की मौत दो दिन पहले हो गयी ,घर चलाने के लिए न तो खेती| किसानी है और न ही और कोई जुगाड |रामरती ने मनरेगा में काम किया था लेकिन दो साल बीतने के बाद भी मजदूरी नहीं मिली ,गाँव वाले बताते हैं कि पूर्व प्रधान रामेश्वर ने मनरेगा के पैसे से मंदिर बनवा दिया |गाँव वाले बताते हैं कि पिछले १५ सालों से गाँव में दवा का छिडकाव नहीं हुआ है ,दवाई के लिए झोला छाप डाक्टर हैं जो ट्रेक्टर की मरम्मत का भी काम करते हैं या फिर ओझा जो गरीब आदिवासियों को तब तक चूसते हैं जब तक दम न निकल जाए |बच्चों के मौत से जुडी एक त्रासदी ये भी है कि आदिवासी समाज मौत के बाद के क्रिया -क्रमों को बेहद अनिवार्य मानता है |अब गरीब आदिवासी भोज -भात कराने के लिए कर्ज न ले या फिर अपनी छोटी जोत की खेती न बेचे तो क्या करे ?

म्योरपुर की कुल्डोमरी ग्राम पंचायत अब से कुछ समय -पहले एक अमेरिकी कंपनी द्वारा बिजली घर लगाएं जाने के कयासों के बाद चर्चा में आई थी ,बिजलीघर तो नहीं बना ,हाँ गाँव के आस -पास बच्चों के नए कब्रगाह जरुर बन गए हैं \यहाँ के हरिपुर गाँव में चहरों और मातम का माहौल है ,पिछले एक माह के दौरान यहाँ १७ से ज्यादा मौते हुई हैं |यहाँ के मेडरदह टोले में घर -घर मातम का माहौल है |यहाँ पर अज्ञात बीमारी ने बच्चों के साथ -साथ बड़ों को भी अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है ,गाँव के तमाम लोगों में हिमोग्लोबिन का स्तर अचानक तेजी से घटा है |गाँव वाले बताते है कि हमारे पस घरेलु इलाज के अलावा कोई विकाप्ल्प नहीं है ,अगर हम ओबरा पहुँच भी जाते हैं तो वाहन पर बिजलीघर का  अस्पताल भर्ती का ५०० रूपए और जांच का एक हजार रूपए मांगता है ,दवाई का खर्च अलग से |गरीब आदमी कहाँ से पैसे लाये |गाँव के शंकर बैगा बताते है कि मौत के भय से ज्यादातर ग्रामीणों ने पलायन शुरू कर दिया है लोग पानी खेती किसानी और अपने जानवरों को औने पीने दाम में बेंचकर जा रहे हैं ,न जाने किसकी नजर लग गयी गाँव को |

मौत के इन दिल दहला देने वाले मामलों में स्वयंसेवी स्तर पर भी किसी प्रकार की पहल नहीं की जा रही |जहाँ पर अधिकारी और एनजीओज पूरी तरह से संवेदनहीन साबित हुए हैं वहीँ ग्रामीणों की आपसी मददगारी से कुछ आशा बंधी है |रेणुका के प्रदुषण को लेकर ग्रामीण युवाओं द्वारा बांये गए “रेणुका बचाओ संघर्ष समिति ” के अध्यक्ष विश्वनाथ पांडे कहते है हम लोग जितना संभव हो सकता हैं कर रहे हैं कुछ लोगों को हमने आपस में पैसा इकठ्ठा कर अस्पतालों में भर्ती कराया है लेकिन ये नाकाफी है |पांडे कहते हैं “जब तक चिक्तिसक गाँवों में नहीं जायेंगे और ग्रामीणों तक दवाएं नहीं पहुंचेगी ,तब तक मौत के ये मामले रुकेंगे  कहना कठिन है |वो मांग करते हैं कि इन अकाल मौतों की वजह सीधे तौर पर जिला प्रशासन है ,दोषी अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए |निजी चिकित्सक डॉ गुप्ता कहते हैं कि अगर हम माने लें कि इन बच्चों को फाल्सिफेरम मलेरिया है तो भी एक बच्चे के इलाज और दवाओं में ४ से ५ हजार रूपए का खर्च आता है ,सोनभद्र के आदिवासी इतना पैसा कहाँ से पायेंगे ?फिलहाल राज्य सरकार मौत के इन आकडों पर चुप्पी साधे बैठी है ,राहुल गांधी भी पूर्वांचल आते हैं तो सोनभद्र नहीं आते ,मुख्यमन्त्री मायावती कभी आती हैं तो हेलीकाप्टर से ही आती है |आम आदिवासियों के नसीब में न तो जमीन है और न ही आस्मां ,सिर्फ मौत बदी है |


कुलडोमरी और जुगैल ग्रामसभा में मृतक बच्चों की सूची

छोटू                    8 माह                         अवध लाल                            जुगैल

गाड़िया                २ वर्ष                           अमर नाथ                             खोसी

विमलौती             १० वर्ष                          हरी प्रसाद                             पदीडाड
नगरा                  ८ वर्ष                            देवी चंद                               कडिया
गोलू                   ३ १/२  वर्ष                      देवी चंद                               कडिया
छोटू लाल             ५ वर्ष                            ह्रदय                                   कडिया
माया                   १ महिना                        शंकर                                   कडिया
टोली                   ५ वर्ष                             नारद                                   काशपानी
फूलमती               ५ वर्ष                            जगदीश                                काशपानी
अमर कुमार          २ वर्ष                            जगदीश                                काशपानी
राधे                     ५ वर्ष                            रामप्रीत                                काशपानी
फूल कुमार            ५ वर्ष                            छत्तर धारी                           काशपानी
अन्नू                   ४ माह                           संत कुमार                             जुगैना
सुदेवी                  ६ वर्ष                             राम सूरत                              करवनिथा
रजनी                 १० वर्ष                            सूरज                                    कडिया
फूल सिंह             ७ वर्ष                              राम नरेश                              चाडम
अतवरिया            ९ वर्ष                              ईश्वर                                    चाडम
अशोक वैगा         १ १/२ वर्ष                       अमृत लाल वैगा                      चाडम
दरोगा                ६ वर्ष                             हिंद लाल                               भितरी जुगैल
राम सुन्दर          ६ वर्ष                             रामबली                                भितरी जुगैल
विलिता               ६ वर्ष                            लल्लू                                    भितरी जुगैल
लड़का                ५ वर्ष                            सोबरन                                 भितरी जुगैल
लड़की                १ वर्ष                            कमलेश                                भितरी जुगैल
लड़का                ७ वर्ष                            पन्ना लाल                             भितरी जुगैल
लड़का                ५ वर्ष                            रामलाल                                भितरी जुगैल
लड़की                २ माह                           संतलाल                               भितरी जुगैल
लाती                  २ १/२ वर्ष                       लालजी                                 भितरी जुगैल
सावित्री                ६ माह                         राम सुभग                             भितरी जुगैल
फूल सिंह              ५ वर्ष                          राम नरेश                               भितरी जुगैल
टिक्कू                  १ वर्ष                          कैलाश                                   खोखरी डाड़
गीता                    ७ वर्ष                         सुग्रीव                                    जुगैल खोखरी
बल्लू                     २ वर्ष                        सुग्रीव यादव                            खोखरी डाड़
पुत्र                       २ दिन                       सूर्य बलि                                  मुर्गी डाड़
कलावती                ३ वर्ष                        शिव कुमार                               मुर्गी डाड़
सजवंती                 ४ वर्ष                        गीरज कुमार                             मुर्गी डाड़
संगीता                   ३ वर्ष                       बुधराम                                    मुर्गी डाड़
लड़का                    ५ वर्ष                       सीताराम                                  मुर्गी डाड़
लड़की                     १ १/२ वर्ष                रामजीत                                   घर हवहिया जुगैल
लड़की                     ३ वर्ष                     वाल गोबिंद                                कुराहनिया
सुनीता                     ७ वर्ष                    सुखरीभर                                  ठोघी
रिंकू                         ५ वर्ष                    राम निघरी                                 ठोघी
लड़का                      ५ वर्ष                    चेतू                                           रास्ते में
लड़का                      ३ माह                   पप्पू                                          भीतरी
भागीरथी                  6 वर्ष                    पप्पू                                          भीतरी
राहित                      ४ वर्ष                    रामलाल                                    भीतरी
विन्दु                       ६ वर्ष                    पृथ्वी लाल                                  भीतरी
पुत्री                         ८ वर्ष                    परसोतन गोंड                               हरिपुर
पुत्री                         ३ वर्ष                    छोटेलाल                                     हरिपुर
पुत्री                         ६ वर्ष                    राजकुमार गोंड                             हरिपुर
पुत्री                         १२ वर्ष                  बैजनाथ                                       हरिपुर
पुत्री                         ७ वर्ष                   राम चरण खरवार                         हरिपुर
पुत्री                         २ वर्ष                   जगत गोंड                                   हरिपुर
नाती                        ५ वर्ष                  गुलाब सिंह                                   हरिपुर
पुत्र                           १२ वर्ष                गुलाब सिंह                                   हरिपुर
पुत्र                           १ वर्ष                  जगत नारायण  सिंह गोंड                हरिपुर
पुत्र                           २० वर्ष                सुखलाल गोंड                               हरिपुर
पुत्री                          ५ वर्ष                  कुंज लाल खरवार                          हरिपुर
पुत्र                           ५ वर्ष                  ईश्वर सिंह गोंड                             हरिपुर  

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आवेश तिवारी
पिछले एक दशक से उत्तर भारत के सोन-बिहार -झारखण्ड क्षेत्र में आदिवासी किसानों की बुनियादी समस्याओं, नक्सलवाद, विस्थापन,प्रदूषण और असंतुलित औद्योगीकरण की रिपोर्टिंग में सक्रिय आवेश का जन्म 29 दिसम्बर 1972 को वाराणसी में हुआ। कला में स्नातक तथा पूर्वांचल विश्वविद्यालय व तकनीकी शिक्षा बोर्ड उत्तर प्रदेश से विद्युत अभियांत्रिकी उपाधि ग्रहण कर चुके आवेश तिवारी क़रीब डेढ़ दशक से हिन्दी पत्रकारिता और लेखन में सक्रिय हैं। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद से आदिवासी बच्चों के बेचे जाने, विश्व के सर्वाधिक प्राचीन जीवाश्मों की तस्करी, प्रदेश की मायावती सरकार के मंत्रियों के भ्रष्टाचार के खुलासों के अलावा, देश के बड़े बांधों की जर्जरता पर लिखी गयी रिपोर्ट चर्चित रहीं| कई ख़बरों पर आईबीएन-७,एनडीटीवी द्वारा ख़बरों की प्रस्तुति| वर्तमान में नेटवर्क ६ के सम्पादक हैं।

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