कविता बच्चों का पन्ना

दादाजी की मूँछें

       दादाजी की मूँछें लम्बी ,
       इतनी लम्बी इतनी लम्बी 
       एक मूँछ जाती कोलकाता 
       एक मूँछ जाती है मुंबई  

       मूँछें दिन -दिन बढ़ती जातीं 
       देश विदेशों तक हो आतीं 
       दुनिया भर की सब मूँछों से
       नमस्कार करके आ जातीं 

        आज रूस के रस्ते मूँछें 
        मिलने पहुंचीं चीन से 
        अगर नहीं विश्वास,देख लो  
        एक बड़ी  दूरबीन से \



 पेेंट फट गई

गधेराम ने एक खरीदी,
चमचम करती बाइक।
बहुत कठिन  था उस पर चढ़ना,
पेंट बहुत थी टाइट।

एक बार फिर से कोशिश की,
पेंट फट गई चुर्ररर ।
शरम लगी तो गधे राम  जी,
हो गए ढेंचू ढुरर्र  




 घर की इज्जत 

 हाथी बोला  ब्याह करूँगा ,
 तुमसे चींटी रानी |
 चींटी बोली क्यों करता रे,
 बातें ये बचकानी |
 
 तू है दस फुट ऊँचा, मैं हूँ ,
 एक मिलीमीटर की |
 तुझ  से ब्याह रचा कर इज्जत, 
 नहीं मिटाना घर की |



छींक


लल्ला छींका,लल्ली छींकी,
छींके बल्ला कल्ला।
छींक रहा था सारा ही घर,
हुआ गली में हल्ला।
सुनकर हल्ला ,मोहन सोहन ,
टीना मीना भागे।
पीछे दौड़ी छींक जोर से,
ये चारों थे आगे। 



शादी का खेल 

 हथिनी की शादी हाथी से ,
 होगी धूम धड़क्के से |
 हथिनी आएगी  तांगा  से , 
 हाथी दादा इक्के से |

 अच्छा वाला बेंड बुलाया,
 जाएगा जापान से |
 मेहमानों का स्वागत होगा ,
 ठेठ चाय और पान से |

दिल्ली से वरमालाएँ ले,
चींटी आई रेल से |
सभी जानवर पंछी खुश हैं ,
शादी के इस खेल से |