कविता

मेरे बाबा है भोले भंडारी

मेरे बाबा है भोले भंडारी,
उनकी नंदी की है सवारी।
उनके पास जो कोई जाता,
कभी खाली हाथ न आता।।

मेरे बाबा पहने सर्पो की माल,
वे काल के भी है महाकाल।
उनके मस्तक पर चंद्र बिराजे,
जटाओं में गंगा मैया है बिराजे।।

मेरे बाबा मृग छाला है पहने,
हाथो मे रुद्राक्ष अनेकों पहने।
वे त्रिशूल पर डमरू लटकाते,
वे भांग धतूरा भी खूब खाते।।

मेरे बाबा करते है सबका कल्याण
सोने की लंका दी थी रावण को दान।
वे मां पार्वती के दूल्हे है कहलाते
इसलिए महाशिव रात्रि सब भक्त मनाते।।

आर के रस्तोगी