
घर-आँगन खुशबू बसी, महका मेरा प्यार !
पाकर तुझको है परी, सपन हुआ साकार !!
मंजिल कोसो दूर थी ,मैं राही अनजान !
पता राह का दे गई, इक तेरी मुस्कान !!
मैं प्यासा राही रहा, तुम हो बहती धार।
अंजुली भर तुम बाँट दो, मुझको प्रिये प्यार।।
मेरी आदत में रमे, दो ही तो बस काम।
एक हाथ में लेखनी, दूजा तेरा नाम।।
खत वो तेरे प्यार का, देखूं जितनी बार !!
महका-महका सा लगे, यादों का संसार !!
पंछी बनकर उड़ चले, मेरे सब अरमान !
देख बिखेरी प्यार से, जब तुमने मुस्कान !!
आँखों में बस तुम बसे, दिन हो चाहे रात !
प्रिये तेरे बिन लगे, सूनी हर सौगात !!
जब तुम आकर बैठती, हो चुपके से पास !
ढल जाते हैं गीत में, भाव सब अनायास !!
आँखों में सपने सजे, मन में उमड़ी चाह !
पाकर तुमको हे प्रिये, खुली हज़ारों राह !!
तुम ही मेरा सुर प्रिये, तुम ही मेरे गीत !
तुम को पाकर हो गया, मैं जैसे संगीत !!
तुमसे प्रिये जिंदगी, तुमसे मेरे ख्वाब !
तुम से मेरे प्रश्न हैं, तुम से मेरे जवाब !!
बिन तेरे लगता नहीं, मन मेरा अब मीत !
हर पल तुमको सोचता, रचता ग़ज़लें गीत !!
राधा जैसी तुम लगो, मैं जैसे घनश्याम !
मन की परतों पर लिखा, जब से तेरा नाम !!