पर्यावरण और आध्यात्म का अनोखा संगम है नागपंचमी

नाग पंचमी 29  जुलाई 

संतोष तिवारी

 

भारत में व्रत त्यौहार कहीं न कहीं धार्मिक मान्यताओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर ही मनाये जाते रहे है, भले ही आज लोग अपनी भागम भाग की जिंदगी में सही से समय नहीं दे पा रहे है। भारत के समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में तमाम त्यौहार हैं जिनमें  नागपंचमी का एक विशेष स्थान है। यह पर्व नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित है, जिन्हें सनातन धर्म में जीवन रक्षक और आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक के रूप में माना जाता है। यह त्यौहार मध्य बारिश के समय में मनाया जाता है जो कहीं न कहीं पर्यवारण के संरक्षण और आध्यत्मिक जुड़ाव को एक करता है। नाग पंचमी के दिन पुराने समय में गावों में तमाम तरह के खेलकूद का आयोजन होता था, जो आज केवल नाम मात्र का रह गया है।                                                                                                   

नाग पंचमी की पौराणिक कथा के अनुसार, पांडवों में अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने नागों से बदला लेने और उनके वंश के विनाश के लिए एक यज्ञ किया। वह नागों से अपने पिता राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक सांप के काटने की वजह होने का बदला लेना चाहते थे। उनके इस यज्ञ को ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने रोका था और नागों की रक्षा की थी। यह तिथि सावन की पंचमी मानी जाती है। सांपों को शीतलता देने के लिए उन्होंने उनके शरीर पर दूध की धार डाली थी। तब नागों ने आस्तिक मुनि से कहा कि पंचमी को जो भी उनकी पूजा करेगा, उसे कभी भी नागदंश का भय नहीं रहेगा। तभी से श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। 

 नाग पंचमी के दिन घरों में नाग देवता की मिट्टी, लकड़ी या चांदी की मूर्ति बनाई जाती है। लोग नाग देवता की मूर्ति को स्नान कराकर उन्हें दूध, दूब घास, हल्दी, चावल, और फूल अर्पित करके आरती करते हैं। नाग पंचमी के दिन नागों को दूध पिलाने की प्रथा है। इस पूजा से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। कुछ क्षेत्रों में लोग अपने घरों की दीवारों पर या दरवाजे के ऊपर नाग देवता की आकृतियाँ बनाते हैं और उन्हें हल्दी, कुमकुम और दूध चढ़ाते हैं। नाग पंचमी के दिन कुछ लोग उपवास रखते हैं।

  नाग पंचमी की पूजा करने से  नाग देवता की कृपा से व्यक्ति सुरक्षित रहता है जो जीवन में शांति और सुरक्षा प्रदान करता है।

 नाग पंचमी का त्योहार प्रकृति और पर्यावरण के साथ हमारे संबंध को भी दर्शाता है। नागों की पूजा से यह संदेश मिलता है कि हमें पर्यावरण और वन्यजीवों का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि वे हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। 

                                                                                                                                               नाग पंचमी का त्योहार कृषि से भी जुड़ा है। किसान इस दिन नाग देवता की पूजा करके अच्छी फसल और बारिश की प्रार्थना करते हैं। यह माना जाता है कि नागों की पूजा से खेतों में कीड़े-मकोड़ों का आतंक समाप्त हो जाता है और फसल अच्छी होती है। नाग पंचमी हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है जो नाग देवताओं की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार श्रावण मास की पंचमी तिथि को, जुलाई या अगस्त में, विशेष रूप से उत्तर भारत, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व प्रकृति और वन्यजीवों के प्रति श्रद्धा और जिम्मेदारी की याद दिलाता है और सुख-समृद्धि की प्रार्थना का अवसर भी है।

नाग पंचमी पर नाग की पूजा होती है, जिसका सीधा सा संदेश है कि लोग सांपों को मारने से बचे और उनका संरक्षण करे क्योंकि ज्यादातर सांप बारिश के समय अधिक दिखते है जिससे लोग मारने के लिए भी तैयार रहते है। इसी चीजों को ध्यान में रखकर पूर्वजों ने नाग पंचमी के त्यौहार को प्रमुखता से मानते और सांप को मारने की जगह लोग पूजते है और इस तरह सपों के संरक्षण में अहम भूमिका निभाते है। 

 आइये हम सभी लोग संकल्प ले कि पर्यावरण के संरक्षण के लिए किसी भी जीव को मारने के पक्ष में हम नहीं है।

संतोष तिवारी 

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