राजनीति

नया वर्षः आत्ममंथन, संकल्प और मोदी सरकार की अग्नि-परीक्षा

नया साल एक नए सवेरे की तरह  है, जो हर वर्ष एक बार आता है और अपने साथ नई शुरुआत की संभावनाएं लेकर आता है। समय के साथ वह अपने चरम पर पहुंचता है और फिर धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है। यही क्रम एक निरंतर अनुभव है, जिसे इस संसार का प्रत्येक व्यक्ति अनुभव करता है। यह निरंतरता ही प्रकृति और जीवन का परम सत्य है। नए वर्ष की शुरुआत प्रत्येक व्यक्ति को पिछले साल के निरंतर प्रवाह और अनुभवों से सीख लेकर अच्छे कार्यों से करनी चाहिए। यह समय आत्मचिंतन का होता है, जब हमें अपने अच्छे-बुरे कार्यों का मूल्यांकन कर आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए। नए साल की शुरुआत सद्कर्मों, सकारात्मक सोच और स्पष्ट दिशा के साथ करना ही जीवन को सार्थक बनाता है। नया वर्ष हर व्यक्ति के लिये बीते हुए वर्ष की सफलताओं और उपलब्धियों के साथ.साथ कमियों और गलतियों का मूल्यांकन करने का समय है। यह हमें अपने आप को भावी वर्ष के लिये योजना बनाने, कार्य करने तथा आगामी वर्ष के लिये नये लक्ष्य तय करने का अवसर प्रदान करता है। नये साल की शुरुआत में हर व्यक्ति को भावी वर्ष के लिये नये लक्ष्य बनाने चाहिए और उन्हें पूरा करने की रणनीति बनानी चाहिए। जिससे कि अवसरों को सफलता में बदला जा सके। यदि व्यक्ति अपने जीवन के आरंभ में ही अपने लक्ष्य निर्धारित कर लेता है, तो सफलता की दिशा स्वतः स्पष्ट हो जाती है। लक्ष्य हमें अनुशासन, परिश्रम और निरंतर प्रयास की प्रेरणा देते हैं। इसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को नए वर्ष की शुरुआत में वर्ष भर के लिए कुछ स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए, ताकि आने वाले समय में वह अपने लक्ष्य के लिए किए गए सत्कर्मों और प्रयासों के माध्यम से निरंतर विकास करता हुआ अपने जीवन के चरम और शिखर तक पहुँच सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने बीते वर्षों में अनेक उपलब्धियां प्राप्त की हैं, साथ-साथ अनेक सफलताएँ भी पायी हैं। इन सफलताओं और उपलब्धियों में मोदी सरकार को अपनी गलतियों और कमियों पर पर्दा नहीं डालना चाहिए। बल्कि अपनी गलतियों और कमियों का मूल्यांकन करके भावी वर्ष के लिये रणनीति बनानी चाहिए। जिससे कि गलतियों और कमियों को सुधारकर अवसरों में बदला जा सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते वर्षों में जिस प्रकार से अनेक चुनौतियों का सामना किया, उसी प्रकार भावी वर्ष में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। कहा जाए तो साल 2026 में नरेंद्र मोदी को अनेक अग्नि परीक्षाओं से गुजरना पड़ेगा और आने वाला वर्ष राजनीतिक दृष्टि से भी भाजपा व पीएम मोदी के लिये बेहद अहम है। 2026 में देश के 4 राज्यों- असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल तथा 1 केंद्र शासित प्रदेश- पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। ऐसे में भाजपा के सामने केवल प्रचार का ही नहीं, बल्कि संगठनात्मक मजबूती और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में सक्रिय भागीदारी की भी चुनौती होगी। इसी क्रम में (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) यानी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया चुनावी तैयारियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। नए वर्ष में मतदाता सूचियों को त्रुटिरहित, पारदर्शी और अद्यतन बनाना लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है। विशेष गहन पुनरीक्षण के माध्यम से फर्जी, दोहरे या मृत मतदाताओं के नाम हटाकर वास्तविक और पात्र मतदाताओं को सूची में शामिल करना निष्पक्ष चुनाव की बुनियाद को मजबूत करता है। इन पाँच चुनावी क्षेत्रों में भाजपा की स्थिति अलग-अलग है। असम में पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार है, जबकि पुडुचेरी में गठबंधन सरकार सत्तारूढ़ है। इन दोनों स्थानों पर सत्ता को बनाए रखना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। वहीं केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य हैं जहाँ भाजपा अपने संगठन का विस्तार कर राजनीतिक बढ़त बनाने की कोशिश कर रही है। विशेष रूप से पश्चिम बंगाल भाजपा की रणनीति का प्रमुख केंद्र बनता दिखाई दे रहा है। यहाँ राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ विशेष गहन पुनरीक्षण जैसी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से निष्पक्ष मतदान और जागरूक मतदाता पर जोर देना पार्टी की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा हो सकता है।

असम और पश्चिम बंगाल में लंबे समय से यह चिंता व्यक्त की जाती रही है कि बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए कथित रूप से मतदाता सूची में शामिल होकर वर्षों से मतदान करते आ रहे हैं। यदि ऐसा है, तो यह न केवल भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की शुचिता पर प्रश्नचिह्न लगाता है, बल्कि स्थानीय नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों के लिए भी गंभीर चुनौती उत्पन्न करता है। इन्हीं आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया आरंभ की गई है, जिसके तहत मतदाता सूचियों की गहराई से जांच की जा रही है। सरकार का तर्क है कि यह प्रक्रिया विशेष रूप से असम और पश्चिम बंगाल जैसे सीमावर्ती राज्यों में आवश्यक है, जहाँ अवैध घुसपैठ की समस्या को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। यह भी आरोप लगाए जाते रहे हैं कि कुछ घुसपैठियों ने आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र जैसे दस्तावेज बनवा लिए हैं, जिसके कारण वे चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा बन गए। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में ऐसे मतदाताओं का लाभ सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को मिलता है, जबकि असम में इसका प्रभाव विपक्षी दलों की स्थिति को मजबूत करने के रूप में देखा जाता है। सरकार का कहना है कि विशेष गहन पुनरीक्षण का उद्देश्य किसी समुदाय या राज्य को निशाना बनाना नहीं, बल्कि मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करना है, ताकि केवल पात्र और वैध नागरिक ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग ले सकें। निष्पक्ष, पारदर्शी और संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से ही लोकतंत्र की विश्वसनीयता को बनाए रखा जा सकता है। जहाँ तक दो दक्षिणी राज्यों-केरल और तमिलनाडु का प्रश्न है, तो भारतीय जनता पार्टी के लिए यहाँ खोने के लिए कुछ भी नहीं, बल्कि केवल पाने के अवसर ही हैं। यदि भाजपा इन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करती है, भले ही वह सरकार बनाने की स्थिति में न पहुँचे, तब भी यह पार्टी के लिए राजनीतिक रूप से लाभकारी सिद्ध होगा। ऐसा प्रदर्शन न केवल संगठनात्मक मजबूती को दर्शाएगा, बल्कि भविष्य में अपनी राजनीतिक संभावनाओं को विस्तार देने की ठोस आधारशिला भी तैयार करेगा। स्पष्ट है कि यदि मोदी सरकार अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन और प्रभावी संप्रेषण पर ध्यान केंद्रित करती है, तो आगामी चुनावों में भाजपा को इसका राजनीतिक लाभ मिल सकता है। इन सभी राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा की सफलता और असफलता सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख को प्रभावित करेगी।

मोदी सरकार ने बीते वर्षों में अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी रूप से संचालित किया है, जिनका सीधा लाभ आम जनमानस तक पहुँचा है। प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, जल जीवन मिशन, मुफ्त राशन योजना, स्वच्छ भारत अभियान और किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं ने समाज के अंतिम व्यक्ति तक सरकार की पहुँच को मजबूत किया है। वर्ष 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा अनेक नई पहलें की गई हैं तथा कई महत्वपूर्ण योजनाओं को आरंभ और विस्तार दिया गया है। इन पहलों का उद्देश्य देश के समग्र विकास को गति देना और अंतिम पंक्ति में खड़े नागरिक तक विकास की पहुँच सुनिश्चित करना है। अब आवश्यकता इस बात की है कि सरकार इन योजनाओं को केवल घोषणा तक सीमित न रखे, बल्कि उन्हें प्रभावी क्रियान्वयन के माध्यम से उनकी तार्किक परिणति तक पहुँचाए और ठोस, सकारात्मक परिणाम सामने लाए। वर्ष 2025 में मोदी सरकार ने 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को केंद्र में रखते हुए बीते वर्षों में लागू हुयी योजनाओं-प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना, जल जीवन मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, पीएम विश्वकर्मा योजना तथा हरित ऊर्जा एवं नवीकरणीय ऊर्जा मिशन जैसी योजनाओं को गति देने का कार्य किया है। इन योजनाओं का उद्देश्य बुनियादी ढाँचे का सुदृढ़ीकरण, रोजगार सृजन, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और आर्थिक आत्मनिर्भरता को मजबूत करना है।

साथ ही, मोदी सरकार के समक्ष यह भी चुनौती है कि शासन व्यवस्था को सभी स्तरों पर अधिक कुशल, पारदर्शी, भ्रष्टाचारमुक्त, जवाबदेह और नागरिक-अनुकूल बनाया जाए। इस दिशा में डिजिटल गवर्नेंस, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और ई-गवर्नेंस जैसी व्यवस्थाएँ शासन में विश्वास को मजबूत कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इन सुधारों को लेकर निरंतर प्रयासरत रहे हैं और उनका स्पष्ट दृष्टिकोण रहा है कि विकास का लाभ केवल आंकड़ों तक सीमित न रहे, बल्कि देश के प्रत्येक नागरिक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन के रूप में दिखाई दे। योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन और परिणामोन्मुख शासन ही विकसित भारत की नींव को मजबूत कर सकता है। इसके अतिरिक्त, देश में मोदी सरकार को ठेकेदारी प्रथा और आउटसोर्सिंग व्यवस्था पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। वर्तमान परिदृश्य में ठेकेदारी प्रथा और आउटसोर्सिंग गरीब एवं मध्यम वर्ग के श्रमिकों के शोषण का माध्यम बनती जा रही हैं। इन व्यवस्थाओं के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों से कथित रूप से निरंतर वसूली की जाती है, जिसमें कई बार सरकारी तंत्र से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी भी संलिप्त बताए जाते हैं। यह स्थिति न केवल सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है, बल्कि श्रम की गरिमा और रोजगार की सुरक्षा पर भी प्रश्नचिह्न लगाती है। ऐसे में सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र में ठेकेदारी प्रथा पर पूर्णतः रोक लगाने अथवा उसे कठोर नियमों और पारदर्शी निगरानी व्यवस्था के तहत लाने की ठोस पहल करनी चाहिए, ताकि श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो सके। यदि श्रम नीतियों में सुधार कर स्थायी, सुरक्षित और सम्मानजनक रोजगार को प्राथमिकता दी जाती है, तो इसका व्यापक सकारात्मक प्रभाव समाज और अर्थव्यवस्था दोनों पर पड़ेगा।

स्पष्ट है कि नया वर्ष केवल उत्सव या कैलेंडर परिवर्तन का प्रतीक नहीं, बल्कि व्यक्ति, समाज और राष्ट्र-तीनों के लिए आत्ममंथन, मूल्यांकन और नए संकल्प लेने का महत्वपूर्ण अवसर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश एक ऐसे दौर से गुजर रहा है, जहाँ उपलब्धियों के साथ-साथ अनेक राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक चुनौतियाँ भी सामने हैं। ऐसे में सरकार के लिए आवश्यक है कि वह बीते अनुभवों से सीख लेते हुए भविष्य की दिशा को स्पष्ट और सुदृढ़ बनाए। यदि मोदी सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी और समयबद्ध क्रियान्वयन, निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनावी प्रक्रिया, मतदाता जागरूकता, राष्ट्रीय सुरक्षा की मजबूती तथा सुशासन की भावना के साथ आगे बढ़ती है, तो आने वाला वर्ष लोकतंत्र को और अधिक सशक्त करने वाला सिद्ध हो सकता है। साथ ही, स्पष्ट राजनीतिक दृष्टि, जवाबदेह प्रशासन और नागरिक-केंद्रित नीतियों के माध्यम से सरकार न केवल चुनौतियों का समाधान कर सकती है, बल्कि उन्हें अवसरों में भी बदल सकती है। इस प्रकार नया वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के लिए स्वयं को परखने, नीतियों को धरातल पर उतारने और राष्ट्र को विकास, स्थिरता तथा विश्वास के नए पथ पर आगे ले जाने का अवसर है। यदि यह संतुलन साधा जाता है, तो आने वाला वर्ष न केवल भाजपा के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए प्रगति और सशक्त लोकतंत्र का नया अध्याय साबित हो सकता है। वर्ष 2026 में मोदी सरकार को महिलाओं की सुरक्षा के साथ-साथ बेहतर लैंगिक संवेदनशीलता भी सुनिश्चित करनी होगी। कहा जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्र को उपलब्धियों की नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिये तहेदिल से और एकाग्रचित होकर प्रयास करना होगा, जो कि उनके हर प्रयास में दिखता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिये वर्ष 2026 में अनेक उपलब्धियाँ गढ़ने का अवसर है। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सम्पूर्ण देश का नागरिक एक सशक्त, एकजुट एवं समृद्ध भारत के निर्माण की दिशा में मिलकर काम करने का संकल्प लें तो देश को आगे बढ़ने से कोई ताकत नहीं रोक सकती।

लेखक

- डॉ. ब्रह्मानंद राजपूत