गनीगांव, गरुड़
बागेश्वर, उत्तराखंड
किरण रावल
उत्तराखंड की पहाड़ियों में बसा एक छोटा-सा गांव गनीगांव। दूर से देखने पर यह स्थान ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने उसे अपने हाथों से तराशा है। धुएँ से मुक्त आसमान, हरियाली से भरी ढलानें और सुबह-सुबह सुनाई देने वाली नदी की धीमी कलकल। लेकिन इस मोहक दृश्य के पीछे एक वास्तविकता छिपी है जिसे वहां रहने वाले लोग हर दिन महसूस करते हैं।
गरुड़ ब्लॉक स्थित गनीगांव की आबादी लगभग 1445 है। यहां के लोग पहाड़ों से प्यार करते हैं। वे मेहनत करते हैं, खेतों में काम करते हैं, पढ़ते-लिखते हैं और अपने बारे में किसी बाहरी की तुलना में बेहतर जानते हैं। यहां की 80 प्रतिशत साक्षरता दर इस बात का प्रमाण है कि ये लोग सीखने और समझने के लिए हमेशा आगे रहे हैं। लेकिन जिस चीज़ का उन्हें वर्षों से इंतज़ार है, वह है एक स्थायी स्वास्थ्य सुविधा। एक ऐसा केंद्र जहां बीमारी आने पर केवल पहाड़ों की ढलानों और पगडंडियों से लड़ना न पड़े, बल्कि इंसानों की मदद भी मिल सके।
गांव की 16 वर्षीय दीपा जब कहती है, “सर्दी-खांसी के लिए भी दस किलोमीटर जंगल पार करके जाना पड़ता है,” तो उसकी बात साधारण बयान नहीं होती है, वह उन परिस्थितियों को बयां करती है जो एक बीमार शरीर के लिए पहाड़ों पर चढ़ने और उतरने में गुजरते हैं। वह उन रातों का दर्द भी कहती है, जब परिवार इस चिंता में जागता है कि कहीं रास्ते में तबीयत और न बिगड़ जाए। पहाड़ों में जंगल भले ही जीवन के हिस्से हों, लेकिन बीमारी के समय वही जंगल असहनीय बन जाते हैं।
गनीगांव की ज्यादातर लड़कियाँ इन रास्तों को अपने बचपन की पगडंडियों की तरह जानती हैं। लेकिन उनकी जिंदगी का सबसे कठोर सच यही है कि बीमारी के सामने यही पगडंडियां उनके साहस की सीमाओं को जांचने लगती हैं। तब इलाज की दूरी सिर्फ किलोमीटर नहीं होती वह उनके अपने जीवन, परिवार और भविष्य से जुड़ जाती है। 18 वर्षीय नीतू रावल कहती हैं, “गांव में जब कोई अचानक से हादसा या दुर्घटना हो जाए, उस समय गांव में स्वास्थ्य सुविधा का नहीं होना, जीवन को खतरे में डाल देता है। ऐसे में उन्हें 33 किमी दूर बैजनाथ ले जाना पड़ता है।”
गांव की बुजुर्ग चानुली देवी, कहती हैं “प्रसव पीड़ा के समय, एक महिला को जंगलों के रास्ते कंधों पर उठाकर ले जाना क्या आप उस दर्द की कल्पना भी कर सकते हैं?” उनकी आंखों में उस दृश्य की तस्वीर उभरती है जो उन्होंने बार-बार देखा है। वहीं 55 वर्षीय देवकी देवी 12 साल पुरानी याद बताते हुए आज भी कांप जाती हैं। वह बताती हैं कि एक दिन गांव की एक महिला जंगल में लकड़ी काट रही थी। अचानक उसका पैर फिसला और वह खाई में गिर गई। उसके सिर में गंभीर चोट लगी। उसे बैजनाथ जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां पहुँचने से पहले उसकी मौत हो गई। अगर गांव में ही उसे प्राथमिक चिकित्सा मिल जाती, तो शायद उसकी जान बच सकती थी।”
ग्राम प्रधान हेमा देवी भी गांव में कमजोर स्वास्थ्य ढांचा से बखूबी वाकिफ हैं। वह कहती हैं, “गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने से लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। विशेषकर सर्दियों के दिनों जब बच्चे अधिक बीमार पड़ते हैं तो ऐसे में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की कमी बहुत अधिक महसूस होती है क्योंकी मौसमी बीमारी का यहां आसानी से इलाज मुमकिन हो सकता है। लेकिन नहीं होने से परेशानी अधिक बढ़ जाती है।” वह कहती हैं कि इस संबंध में वह लगातार प्रयास कर रही हैं कि गांव के अंदर ही लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सके।
गनीगांव में स्वास्थ्य सुविधा किसी एक व्यक्ति का मुद्दा नहीं है। यह गांव की हर किशोरी, मां और हर परिवार की आवश्यकता है। यहां के पुरुष खेतों और पशुपालन में जुटे रहते हैं, जबकि महिलाएं घर से बाहर के काम और बच्चों की देखभाल करती हैं। बीमारी के समय दोनों अपने हिस्से का काम छोड़कर एक-दूसरे का सहारा बनते हैं। लेकिन सच यही है कि उनके पास इलाज तक पहुंचने के लिए केवल दो रास्ते हैं एक-दूसरे की मदद और पहाड़ों पर लंबे सफर तय करना। लेकिन यह कठिनाई यहीं तक सीमित नहीं होती है। सबसे अधिक मुश्किल बारिश और सर्दियों के दिनों में होती है। इस दौरान यही पहाड़ी रास्ते फिसलन भरे हो जाते हैं। वहीं सर्दियों के दिनों में जब बर्फ पड़ती है, तो मोबाइल नेटवर्क के साथ-साथ उम्मीद भी जमने लगती है।
गनीगांव के लोगों को अस्पताल की सुविधा चाहिए। यह किसी सुविधा की मांग नहीं, बल्कि उस समाज के सम्मान की इच्छा है जो हर दिन अपने लोगों का वजन अपने कंधों पर उठाता है। यह वही सम्मान है जो किसी नवजात के पहले रोने से लेकर किसी के घाव के भरने तक में छिपा होता है। यहां के लोगों को उम्मीद है कि एक दिन उनके गांव में भी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध होगी, तब कोई औरत सड़क तक कंधों पर उठाकर नहीं ले जाई जाएगी। तब बीमारी पहाड़ों से युद्ध नहीं होगी, बल्कि इंसानों के बीच एक छोटे से पुल की तरह होगी जो उनके लिए राहत और जीवन को जोड़ती होगी।