निर्धनता नहीं, निर्धनों को मिटाने की योजना

2
351

निर्धनता की कसौटी ?

डा.राजेश कपूर, पारंपरिक चिकित्सक

कई वर्षों से चर्चा हो रही है कि देश के करोड़ों लोग केवल २० रु. या इससे भी कम दैनिक आय पर गुजारा कर रहे हैं. या यूँ कहें कि करोड़ों लोग देश में भूखे मर रहे हैं. सरकारी आंकड़ों में देश की गरीबी कम हो रही है जबकि लाखों किसान आत्म ह्त्या कर चुके हैं. विश्व बैंक की गुप्त योजनाओं के विश्लेषण से पता चलता है कि अगले कुछ ही वर्षों में, भारत सरकार की सहायता से ४० करोड़ किसानो को उजाड़ा जाना है. इनकी ज़मीनें विशाल कार्पोरेशनों को सौंप देने की योजना है. विश्व बैंक के अनुसार ये किसान अयोग्य, अकुशल हैं और इनके पास ज़मीन का सही उपयोग नहीं हो रहा है. इस प्रकार भारत सरकार और मीडिया जनता को मूर्ख बनाने के लिए कुछ भी बोले, पर वास्तव में सारे प्रयास तो किसानो को उजाड़ने के हो रहे हैं, जिसके परिणाम सामने आ रहे हैं – खेती के विनाश के रूप में. इस प्रकार ४० करोड़ निर्धन, भीखमंगे सरकार और विदेशी कारपोरेशन की कृपा से देश में और जुड़ जायेंगे. विश्वस्त सूत्रों के अनुसार इन ‘ यूजलेस ईटर्स ‘ (अमरीकी कार्पोरेट्स के अनुसार) को बड़ी चतुराई और क्रूरता के साथ ठिकाने लगा देना है. इनमें से कुछ को मजदूरों के रूप में कार्पोरेशनों के उद्योगों और विशाल फ़ार्म हाउसों में खपा दिया जाएगा. इस प्रकार सस्ते मजदूरों का प्रबंध होगा. कल के भूस्वामी विदेशी व्यापारियों के गुलाम मजदूर होंगे. यह कोरी कल्पना नहीं, विश्व के अनेक देशों में यह सब हो चुका है और आज भी हो रहा है, अब भारत में भी यही सब हो, इसका प्रबंध हमारी कल्याणकारी और निर्धनों की हितैषी (?) केंद्र सरकार निरंतर बड़ी चालाकी से कर रही है. सोनिया जी, सोनिया जी के ‘ युअर्स ओबीडीएंट ‘ प्रधान मंत्री, पी.चिदंबरम, मोंटेक सिंह आहलुवालिया आदि की टीम बड़े मनोयाग और इमानदारी से विदेशी व्यापारियों और उनकी एजेंट संस्थाओं ‘विश्व बैंक’ तथा ‘आई. एम्. ऍफ़’ के आदेशों के अनुसार भारत के विनाश के इस काम में लगे हुए हैं.

भारत की निर्धनता के आंकड़ों के खेल में सच को छुपा दिया जाता है. सर्वेक्षणों में निर्धनता की कसौटियां गलत तै की जाती है. अब सर्वेक्षण का काम उनको देने का प्रबंध करते हैं जो सरकार की पसंद के परिणाम दें. नगर निवासियों के लिए न्यूनतम २० रु. तथा ग्रामीण क्षेत्र में १५ रु.प्रति व्यक्ति निर्धनता की आय सीमा रखी गयी. ज़रा संवेदंशेलता के साथ विचार करें कि क्या कोई मनुष्य मनुष्य के रूप में आज की महंगाई में इतनी कम आय में जीवित रह सकता है ? यदि हम मनुष्य के रूप में मन से भी मनुष्य हैं, हमारी संवेदनाएं मरी न हों, हम पूरी तरह स्वार्थी और संवेदना रहित पशु न बनें हों तो ज़रा इस पक्ष पर विचार करें. एक बार अकेले में आँखे बंद कर के शांत होकर बैठें और २० रु. दैनिक आय या इससे भी कम आय वाले किसी दीन, हीन भारतीय भाई-बहन के रूप में अपने जीवन की कल्पना करें. उसकी पीड़ा और दुर्दशा की एक बार कल्पना करें. संवेदना के स्तर पर अपने उन दुर्दशा में मुश्किल से जी रहे भाई-बहनों के साथ जुड़ जाएँ, उनकी पीड़ा व कष्टों को अनुभव करके देखें. . बस यदि एक बार हम-आप ने ऐसा करना शुरू कर दिया, उन्हें स्वामी विवेकानन्द की तरह अपना भगवान मान लिया तो स्वयं समझ आने लगेगा की हमको क्या-क्या करना चाहिए और क्या-क्या है जो नहीं करना चाहिए.

इस दिशा में एक सहयोग या प्रयोग के रूप में आप सब के साथ मिल कर एक बहस, एक परामर्श प्रक्रिया की शुरुआत करने का सुझाव है. हमने निर्धनता की कसौटी का एक आकलन किया है. एक व्यक्ति को मनुष्य के रूप में अत्यंत सादा जीवन जीने, जीवित रहने के लिए न्यूनतम कितनी आय की आवश्यकता है. आप लोगों का आह्वान है कि (यदि उचित लगे तो) इस परामर्श या बहस के प्रक्रिया में भाग लें और इसे दिशा दें.

– एक व्यक्ति के लिए न्यूनतम आहार, आवास आदि कि न्यूनतम आवश्यकताओं का अनुमानित व्यय ( दैनिक ) :

. आटा, चावल………… ……………. 400 ग्राम. @ २२ रु. / कि……………. = रु. 8 . ००

. दाल………………….. ……………. 100 ” @ 60 ” ” …………….. = रु. 6 . ००

. सब्जी ………………. ……………. 150 ” @ 25 ” ” …………….. = रु. 3 . 75

. प्याज, लहसू, मसाले ………………. ……………. ……………अनुमानित …. …………… = रु. 4 . ००

. घी – तेल ………….. ……………………………….. 40 ” @ 100 ” ” ………….. = रु. 4 .००

. चीनी / गुड / शक्कर… ……………………… …… 30 ” @ 30 ” ” ……………….. = रु. 0 . 90

. ऊर्जा / गैस / मिटटी का तेल ……. 100 ” @ 30 ” ” ……………… … = रु. 3 . ००

. आवास हेतु किराया या बैंक-ऋण की किश्त ……… ………. @ 10 ” दैनिक ……………. = ……೧೦.೦೦

. दो बच्चों की शिक्षा / पुस्तकें / फीस ………………………….. @ 10 ” ” ………………. = रु.10 .००

. परिवहन / बस या ट्रेन का किराया ……………………………..@ 10 ” ” ……………….. = रु. 10 .००

. वस्त्र, कपडे, बिस्तर, धुलाई (साबुन) आदि ……………………. @ 5 ” ” ……………….. = रु. 5 .००

. चिकित्सा, दवाएं आदि …………………………………………. @ 3 ” ” ………………. = रु. 3 .००

. आपत्त कालीन, विवाह, उत्सव, अतिथि …………………………@ 5 ” ” ……………….. = रु. 5 .००

* कुल योग …………………………………………………………………………………………… = रु. 62. 65

मुझे लगता है कि इस भयानक महंगाई में एक निर्धन व्यक्ति को बिलकुल साधारण जीवन जीने के लिए न्यूनतम 63 रु. दैनिक की आवश्यकता है. अतः इसे कसौटी मान कर भारत की जनता का आर्थिक सर्वेक्षण होना चाहिए जिस से देश की जनता की वास्तविक आर्थिक स्थिति सामने आ सके. इसी आधार पर देश की योजनायें परिकल्पित होनी चाहिए.

उपरोक्त आकलन में आप लोग कोई संशोधन या समर्थन / सुझाव / अपनी सम्मति दें तो एक सार्थक शुरू हो सकेगी, एक सही दिशा में जन मत बनाने में सहयोग मिलेगा.

 

2 COMMENTS

  1. आदरणीय डॉ कपूर जी ,
    मेरा अपना अनुभव इस महगाई मे एक निर्धन व्यक्ति का खर्च इससे कही ज्यादा का है लेकिन मै आप के विचारों से पूर्णतया सहमत हूँ और इस विषय पर पाठको और लेखको का एकमत विचार इसे सही दिशा दे सकता है |

  2. aadarniye dr. kapoor ji bilkul sahi kah rahe hai.
    एक व्यक्ति के लिए न्यूनतम आहार, आवास -चिकित्सा, दवाएं aur आपत्त कालीन, विवाह, उत्सव, अतिथि ko 10 – 10 badha thoda jyada theek hoga.

Leave a Reply to sunil patel Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here