कविता

अब तो सब दिखावा कर रहे


सब कुछ बदल चुका है अब तो दिखावटी हो रहा।
प्यार मोहब्बतअब कहां वह भी बनावटी हो रहा।।

अब तो हर इंसान बनावटी बाते ही कर रहा।
बिना मतलब के किसी से भी बात न कर रहा।।

बेटा बाप के पांव छूता वह भी दिखावटी कर रहा।
नीचे से जरा झुक कर दो उंगलियां दिखा रहा।।

समय बदल चुका है अब अपने भी अपने न रहे।
पैसे के बल पर एक दूसरे के रिश्तेदार बन रहे।।

शादियों में सजावट सब कुछ दिखावटी हो रहा।
झूठी हैसियत दिखाने के लिए यह सब हो रहा।।

शादियों में सैकड़ों व्यंजन बनाना दिखावटी हो रहा।
भले ही उसके घर में ही उसका बाप भूखा मर रहा।।

शादियों में सजधज कर बनावटी पन दिखा रहे।
चाहे कपड़े उधार के,फिर भी वे अपना बता रहे।।