विविधा

ओ मौला रे ……

 

ओ मौला रे
तेरे दर का रास्ता किधर है
मैं तो ढूंढ  लिया हर गाँव और हर  गली
पर तेरे बांहों का आसरा कहीं न मिला
ओ मौला रे …………..

बहुत किताबे पढ़ी
बहुत ज्ञानी मिले
पर कोई मुझे तुझ तलक
नहीं पहुंचा पाया
तेरे दर का रास्ता किधर है
ओ मौला रे…………….

चंद साँसे  और है बाकी
तेरा दीदार कर लूं
तो ये जहाँ छोड़ दूं
तेरे दर का रास्ता किधर है
ओ मौला रे …………..

कोई तो साज़ बजा
कोई तो नज़्म सुना
कोई तो गीत गा ले
तेरे दर को जानता हो कोई
ऐसा कोई परिंदा हो तो उसे भेज
तेरे ज़ेरेसाया अब फ़ना होना है
तेरे दर का रास्ता किधर है
ओ मौला रे …………..