एक थी माया ………….!!!
:: १ ::: मैं सर झुका कर उस वक़्त बिक्री का हिसाब लिख रहा था…
:: १ ::: मैं सर झुका कर उस वक़्त बिक्री का हिसाब लिख रहा था…
भाग 1 – 1982 वह सर्दियों के दिन थे. मैं अपनी फैक्टरी से नाईट शिफ्ट…
बारिशो के मौसम में ; यूँ ही पानी की तेज बरसाती बौछारों में ; मैं अपना हाथ…
मेरे उम्र के कुछ दिन , कभी तुम्हारे साडी में अटके तो कभी…
चल वहां चल , किसी एक लम्हे में वक़्त की उँगली को थाम कर !!!!…
“कुमार तुम्हारे कारण मेरी ज़िन्दगी खराब हुई और मैंने तुम्हें इस बात की सजा दी. एक महीने पहले उन तीनों ने मुझे जहर देकर मार डाला था और किरण ने ये इसलिए किया था ताकि वो मेरी दौलत के साथ तुमसे मिलकर जीवन जी सके. लेकिन जैसे कि कहते है कि बुरा करो तो वो वापस जरूर आता है. मेरी आत्मा भटकती रही और तुम्हारी राह देखती रही. किरण ने तुम्हें बुलाया और मैंने तुम्हारे बनाए हुए प्लान के अनुसार ही उन्हें डरा कर आत्महत्या करने पर मजबूर किया. वो हत्या भी थी और आत्महत्या भी और तुम्हें आज यहाँ तक पहुंचा दिया ! चलो जल्दी जाओ ! मैं तुम सबसे नफरत करता हूँ. तुम सब अब नरक में मिलना !”
धाँय ….धाँय ….धाँय ….. तीन गोलियां मुझे लगी ,ठीक पेट के ऊपर और मैं एक…
ईश्वर के द्वारा रचे गए इस संसार में सबसे अद्भुत प्राणी सिर्फ मनुष्य ही है….
बिहार के दरभंगा जिले के दो परिवार है . एक है भूमिहार और दूसरा क्षत्रिय….
आज शर्मा जी के घर में बड़ी रौनक थी, उनकीएकलौतीबेटी ममता की शादी जो थी….
कल से इस छोटे से शहर में दंगे हो रहे थे. कर्फ्यू लगा हुआ था….
मैंने रेडसिग्नल पर अपनी स्कूटर रोकी . ये सिग्नल सरकारी हॉस्पिटल के पास था ….