राजनीति के अंधियारे में सूर्य निकल आया जैसे
एक अपाहिज देश आज फिर पैदल चल आया जैसे
किसी चक्रवर्ती राजा ने मोदी बनकर जन्म लिया
स्वयं इन्द्र प्यासी धरती पर लेकर जल आया जैसे
सेनाओं में प्राण आ गए, देश शक्ति बनकर उभरा
सोया पडा समर्पण जागा, देश भक्ति बनकर उभरा
नतमस्तक है विश्व सामने, एक सन्त की माया है
यह प्रताप है वीर भारत का, आज व्यक्ति बनकर उभरा
शिथिल पडे हैं सांप बिलों में सपने सारे बिखर गए
बीन विदेशी, नृत्य देश में, सारे झण्डे उतर गए
जय-जयकार मची दुनिया में, डरे हुए हैं दुश्मन सब
जबसे सूर्य उगा है सारे चांद सितारे किधर गए ?
अब भारत का गौरव जागा, विश्व हमारे साथ चले
सिर्फ सनातन का ध्वज फहरे, सभी सहारे साथ चले
धर्म हमारा रक्षक होगा, हमको धर्म बचाना है
वृंदा, गौ, दरिद्र को ले, मन्दिर गुरूद्वारे साथ चले।
संकट में हिन्दुत्व फंसा था, उसका ध्वज फहराना था
आन सनातन की रखनी थी, फिर से मान बढाना था
तीर्थ पडे थे घायल सारे, वह उपचार किया पहले
मोदीजी को भारत का कद, दुनिया को दिखलाना था।
– डॉ.महिपालसिंह चौहान, नीमच