कविता

बापू की पुण्यतिथि पर


बापु तुम्हारी पुण्यतिथि पर तुमको क्या मै बताऊं,
आज तिरंगा रो रहा है किस किस को मै समझाऊं ।

नाम किसानों का लेकर ये झंडा खालिस्तानी फहराते,
शोरगुल व तोड़ फोड़ कर अपनी बाते मनवाते।

अब तो तुम्हारे तीनों बंदर भी गूंगे बहरे अंधे हो गए है,
सत्य अहिंसा का मार्ग छोड़कर,ये मस्त कलंदर हो गए हैं।

शायद तुम होते अब भारत में, कुछ नहीं तुम कर पाते ,
तुम्हारी लाठी चश्मा व लंगोटी को भी छीन कर ले जाते।

आज भारत में एक बार फिर तुम इनको को तो समझाओ,
समझ सकते नहीं तुम्हारी बातें तो इनको साथ ले जाओ।

आर के रस्तोगी