विविधा

कन्हैया के नाम एक खत

bharat mata‘‘ ऐसी बानी बोलिए,मन का आपा खोय !
औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय !!’’
यह कालम जेएनयू में देशवासियों के टेक्स से पढाई के नाम पर देश के टुकडे करने का सपना देखने वाले ‘’ कन्हैया कुमार एवं उसकी मानसिकता को जायज ठहराने वाले देशद्रोहियों के लिए लिखी गयी है! जों कहने के लिए भारतीय है,जो रहते हिन्द की सरजमी पर है लेकिन गुणगान करते है अपने नजायज अब्बा की । इनके दिल में न तो भारत माता के लिए सम्मान है और न ही देश के प्रति वफादारी। जो किसी तालिवानी से कम नही है, जो भारतीय होते हुए भी भारतीय नही है ! ‘‘हो सकता है मेरे इस कालम के कठोर शब्दों में किया गया अनुरोध आपको नागवार लगें !’ इस लिए बडी विन्रमता पूर्वक आपसे निवेदन करता हू कि कन्हैया कुमार और उसकी मानसिकता से इत्तेफाक रखने वाले लोगो के लिए यह कालम पढ़ने की जरूरत नही है। ऐसे लोग जो कन्हैया और उसके साथियो के घृणित एवं राष्ट्र विरोधी कार्यो से दुःखी नही है जो मानव जाति के क्रन्दन से प्रभावित नही होते है जो कन्हैया और उसके हिमाकतकारो की तरह संवेदनहीन और राष्ट्र विरोधी है! वे इस कालम को पढ़ने का काष्ट न करे । मेरे इस कालम से किसी राष्ट्रवादी चिन्तक या राष्ट्रभक्त को चोट पहुचती है तो मै तहेदिल से माफी का तलबगार हू। उदे्श्य मेरा किसी हिन्दवासियों के मन को ठेस पहुचाना नही है बाल्कि अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर पूरे देश में मचे हो-हल्ला को ध्यान में रखते हुए अपने मन की भडास अखबार के पन्ने पर उतार रहा हू।
‘‘ भारत मां हम शर्मिदा है !
कन्हैया अभी तक जिन्दा है !! ’’

प्यारे ….कन्हैया,
हिन्द की सरजमी गंगा-यमुना,सरस्वती की पावन भूमि है जहां जन्म मात्र से ही जीवन धन्य हो जाता है! इस धरती पर जन्म लेने वाला हर इन्सान मा भारती की सन्तान है । देव और पैगम्बरों के तपोभूमि पर तुम्हे जन्म लेने का अवसर मिला है यह तुम्हारे लिए गर्व की बात है। पूर्व जन्म में निश्चत ही तुम तो नही लेकिन तुम्हारे माता-पिता ने जरूर कोई अच्छा काम किया होगा,जिन्हे इस पावन धरती पर पुत्र को जन्म देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह बात दीगर है कि जाने-अनजाने पूर्व जन्म में उनसे कोई ‘पाप’ हो गया हों जो तुम्हारे रूप में एक कुपुत्र को जन्म दे दिया। निश्चित तौर पर उन्हे पता होता कि तुम इस धरती मा पर बोझ और राष्ट्र के नाम पर कलंक बनोगें तो शायद तुम्हे जन्म देने वाली वह मां गर्भ में ही तुम्हारा गला घोट देती । किन्तु अफसोस अब तो वह चाहकर भी कुछ नही कर सकती तुमने तो उन्हे कही का नही छोडा। जरा सोचों…. तुम क्या कर रहे हो। परम पिता परमेंश्वर ने तुम्हे इस धरती पर क्यों भेजा है? क्या हिन्दवासियों के दिलों में नफरत का बीज बोना या फिर अपने ही देश को खण्डित कर भारत मा का अपमान करना ही तुम्हारें जीवन का एक मात्र उद्देश्य है! सडियल राजनीति और थोड़ी सी पब्लिक सिटी के लिए तुमने क्या कर दिया, जेएनयू जैसे शिक्षा के मंदिर को भी तुमने कलंकित कर दिया। तुमने तो अपने माता-पिता के संस्कारों को भी कलंकित कर दिया है। क्या यही संस्कार दिये है तुम्हारे माता-पिता, जो अपने ही देश की बर्बादी का सपना देखे । और अब कितने अपराध करोगे। मुट्ठी भर देश के दुश्मनो को खुश करने और उनके नजरों में हीरों बनने के चक्कर में आज समस्त भारतवासियों के लिए तुम खलनायक बन कर रह गये हो। आज भारतीयों के नजर में तुम एक खौफनाक आतंकवादी से ज्यादा कुछ नही हो, हो भी क्यों नही, तुम्हारी राष्ट्रविरोधी हरकत किसी आतंकवादी से कम थोड़े ही है । तुमने कोई अमृत का घड़ा नही पी रखा है, आज नही तो कल तुम भी इस दुनिया से उठ जाओगें। आज नही तो कल तुम्हारी भी हस्ती मिट जायेगी । फिर क्या होगा, तुम्हारा कोई नाम लेने वाला नही बचेगा! याद रखो कन्हैया …..!
‘‘ इन्सान उच्छावास बनकर जीता है, इन्सान विश्वास बनकर जीता है !!
इन्सान मरता है लाख परन्तु , इन्सान इतिहास बनकर जीता है !!’’
क्या तुम चाहते हो कि हिन्दवासी तुम्हे आतंकी अफजल और कसाव के रूप में या फिर जयचंद और मीरजाफर के रूप में याद कर गाली दे या फिर गांधी,सुभाष चन्द्र बोस और भगत सिंह, चन्द्रषेखर आजाद की तरह देशवासी तुम्हे अपने ह्रदय में बसाये। फैसला तुम्हारे हाथ में है, मौका अभी भी है सुधरने का । स्थितियां और परिस्थितियां हमेशा बदलती रहती है तुम्हे याद होगा इससे पहले भी कम्यूनिष्टो ने देश को खण्डित करने के लिए 1965 के युद्ध में चीन का साथ देकर आसमान पर थूकने का प्रयास किया था लेकिन हुआ क्या? आसमान पर एक छिटा नही पड़ा लेकिन तुम्हारें उन ‘काकाओ’ का मुंह अपने ही थूक से गन्दा हो गया उनकी देशभक्ति की पोल सारी दुनिया के सामने खुल गई जिसका जबाब आज भी देने से वह कतराते है,इसकी खामियाजा उन्हे यह भुगतना पडा कि आज तक उन कम्यूनिष्टो को कभी केन्द्रीय सत्ता नसीब नही हुआ। इन्सानियत और आजादी की बात करने वाले कन्हैया उस समय तुम कहा थे जब संसद पर हमला हुआ था,उस समय कहा थे जब आतकवादी जगह जगह बम विस्फोट कर निर्दोष भारतीयों की हत्या करते है। तुम उस समय किस बिल में समा गए थे जब कश्मीर में हिन्दुओ का कत्लेआम किया गया। फिर भी उन आतकियों के गुणगान में कसीदे कस रहे हो। काश! किसी आतंकी घटना में चपेट में तुम्हारे अपने शहीद हुए होते तो शायद तुम सरहद पर तैनात जवानों को गाली नही देते तब तुम किसी अफजल की बरसी पर कसीदे नही पढते!एक बात याद रखना, तुम्हारी और तुम्हारे बामपंथियों की पहचान इस देश से है, न कि इस देश की पहचान तुमसे और तुम्हारे बामपंथियो से! राजनीति करो, लेकिन राष्ट्र के साथ खिलवाड़ मत करो! आर्यवत्र के इस धरती पर रावण और कंस का अत्याचार जब खत्म हो सकता है तो तुम्हारी क्या विसात है! अभी भी समय है सम्भल जाओं…. ! कन्हैया तुम देशवासियों के दिलों में नफरत नही प्रेम और सदभाव का अलख जगाओं, हिन्दवासी तुम्हे सर आखों पर बैठायेगें । अन्यथा आने वाले दिनों में पूरा देश तुम्हारा दुश्मन न बन जाएगा तब शायद तुम्हे दो गज जमीन भी नसीब न हो। यह देश कभी साने की चिड़िया हुआ करती थी, उसको उसकी खोई हुई गरिमा और प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करने के लिए भारतवासी संकल्पित है। ब्रिटिश सामाज्यवाद जिसका सूर्य कभी अस्त नही होता है। इस देश के रणबाकुरो ने जान की बाजी लगाकर उस सत्ता को उखाड़ फेका तो तुम क्या चीज हो….!
‘‘ भाषा की यह कैसी आजादी जो तुम भारत मा का अपमान करो !!
अभिव्याक्ति का ये कैसा रूप जो तुम देश का इज्जत निलाम करो !!’’
सोच रहा था इस बारे में मै कुछ न बोंलू, कुछ न लिखू लेकिन फिर मेरी अन्र्तआत्मा ने इस कदर मुझे झकझोक कर रख दिया कि लिखने के लिए विवश हो गया सोचा जब देश की बर्बादी के नारे लगाने वाले जोर.-शोर से बोल सकते हैं, भाषण झाड़ सकते हैं तो फिर हम कलमकार कण्ठहीन हो जायेगें तो यह मा भारती का अपमान होगा। कुछ दिनो से बहुत से नेता पत्रकार बंधु और बुद्धिजीवी कन्हैया के भाषण की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं । लेकिन क्या किसी ने विचार किया कि कितनी खूबी से देशद्रोह के मुद्दे को, आतंकी अफजल गुरू को शहीद बनाने और उसकी बरसी पर कार्यक्रम आयोजित कर भारत की बर्बादी के नारों को नजरअंदाज कर दिया गया, क्या खास बात थी उसके भाषण में जो हमारे देश के प्रधानमंत्री और सरहद पर शहीद हुए देश के जवानो की शहादत से भी बड़ी कवरेज देने की कोशिश की गई। देशवासियो बहुत से सवाल हैं बहुत सी दुविधाएं हैं लेकिन हमेशा ऐसा ही होता आया है हमारे देश में कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी लोग असली मुद्दे से ऐसे भटका देते हैं कि आप और हम जैसे साधारण लोग समझ ही नही पाते कि बात आखिर थी क्या । लेकिन मैं आप सब से गुजारिश करता हूँ कि इस बार ऐसा न होने दें । और इस सवाल को उठाते रहें कि देश द्रोहियों का साथ देने वालों के साथ क्यों चंद लोग और कुछ खद्दरधारी खड़े हो जाते हैं । क्यों विदेशों की तरह पूरा देश, देश को तोड़ने की बात करने वालों के खिलाफ एक साथ खडा नही होता। आप किसके साथ हैं ये आपको तय करना है लेकिन मैं अपने देश के साथ हूँ अपने हिंदुस्तान के साथ हूँ अपने तिरंगे के साथ हूँ।
गजनी का है तुम में खून भरा जो तुम अफजल का गुणगान करते हो ।
जिस देश में तुमने जन्म लिया उसी को दुष्मन कहते हो।।

जय हिन्द जय भारत।
जय मां भारती

लेखक -संजय चाणक्य