पुस्तक समीक्षा

‘संगठन सर्वोपरि’ और नितिन गडकरी

पुस्‍तक समीक्षक : डॉ. मनोज चतुर्वेदी

भाजपा के कई राष्ट्रीय अध्यक्ष हुए जैसे श्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्री लालकृष्ण आडवाणी, श्री कुशाभाऊ ठाकरे, डॉ. मुरलीमनोहर जोशी, श्री वेंकया नायडू, श्री बंगारू लक्ष्मण, श्री के. जना. कृष्णूर्ति, श्री राजनाथ सिंह तथा श्री नितिन गडकरी।

 

मुझे जहां तक लगता है। कुछ एक को छोड़कर ये सभी समान्य परिवारों से थे। पर पूर्ति उद्योग समूह के मालिक व बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में दीक्षित तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े जुझारू कार्यकर्ता नितिन ने सचमुच अपने एक वर्ष के कार्यकाल में गजब कर दिखाया है। यह बात सत्य है कि देश में राजनीतिक पार्टियां मां-बेटा, पिता-पुत्र तथा सगे-संबंधियों के सोच से उपर नहीं उठ सकती। भाजपा अकेले ऐसे पार्टी है जिसका कार्यकर्ता चप्पल घिसकर और बैनर-पोस्टर चिपकाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता है। और इसके बेमिसाल उदाहरण है भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी। नितिन गडकरी ने अपने 365 दिनों के कालखंड में भारत के कोने-कोने में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का संदेश फैलाया है। जिनके लिए ‘संगठन सर्वोपरि’ है। राष्ट्र सर्वोपरि है, देश के दलित, गरीब, आदिवासी, वनवासी तथा गिरीवासी सर्वोपरि है। पर राष्ट्र के समक्ष यही समस्या है वोट ऐसे नहीं हासिल किए जाते।

 

गडकरी को कांग्रेस से सीखने की जरूरत है कि वह केंद्र तथा राज्यों में कैसे वोट हासिल करती है। मुसलमानों को वोट बैंक मानती हैं सच्चर रिपोर्ट, रंगनाथ मिश्र आयोग के माध्यम से राष्ट्र के साथ द्रोह करती है।

 

आजादी के शुरू से ही यह देश को जाति, धर्म व प्रांतों में बांटकर राज करती आ रही हैजो भारत आज दिखाई पड़ रहा है वो कमजोर, छिन्न-भिन्न है। उसेक लिए कांग्रेस ही जिम्मेदार है। भ’ष्टाचार की सारी गंगोत्री उसी कांगे’स में जाकर मिल जाती है। गडकरी ने अपने कार्यकाल में आदर्श घोटाला, राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला, बोफोर्स घोटाला, विदेशों में जमा धन तथा कृषक आत्महत्या का पोल खोला है। सचमुच, गडकरी भाजपा तथा भारतीय राष्ट्र के सच्चे प्रहरी है। सी. बी. आई. दुरूपयोग, एंडरसन को भगाना तथा बेलगाम महंगायी के मुद्दे को संसद से सड़क तक उठाया है।

 

प्रस्तुत पुस्तक भाजपा परिवार के कार्यकर्ताओं के लिए पठनीय व संग’हणीय है। साथ ही साथ जिज्ञासु जनों के लिए महत्वपूर्ण है जो भारतीय राजनीतिक दलों के नीतिगत अध्ययन पर जोर देते हैं।

पुस्तक : संगठन सर्वोपरि

संपादक : प्रभात झा

प्रकाशक : डॉ. मुखर्जी स्मृति न्यास पी. पी.- 66, सुब्रह्मण्यम भारती मार्ग, नई दिल्ली

पृष्ठ – 144