हमारी मातृ भाषा

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हिन्दी हमारी मातृ भाषा है,
इसको तुमसे बहुत आशा है।
अगर इसको नही अपनाओगे,
इसका प्रसार कैसे कर पाओगे ?

मातृ भाषा अगर तुम अपनाओगे,
अपनी बात सबसे तुम कह पाओगे।
तभी होगा इसका प्रचार व प्रसार,
और एक सूत्र में सब बंध जाओगे

मातृ भाषा है सबसे प्यारी भाषा,
यह न देती किसी को भी निराशा।
इसका जो सदा उपयोग करता है,
वह जीवन में खुश सदा रहता है।।

मातृ भाषा को बोलना बुरा न समझो,
इसको बोलने में अपनापन ही समझो।
अपनापन का है ये सर्वोउत्तम माध्यम,
हिन्दी भाषा को बनाओ तुम माध्यम।

मातृ भाषा हमारी सर्व सम्पन्न है,
जैसा बोलो वैसा लिखने में संपन्न है।
ऐसा गुण मिलेगा न किसी भाषा में,
इसलिए अन्य भाषाओं से संपन्न है।।

मातृ भाषा सब भाषाओं का उदगम है,
अन्य भाषाओं का भी ये ही संगम है।
सबको ये प्यार से अपना लेती है,
उसको अपने में ये मिला लेती है।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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