जन-जागरण विश्ववार्ता

और क्या होती है आतंकी देश की परिभाषा?

pakistan and talibanतनवीर जाफ़री
पाकिस्तान; निश्चित रूप से सुनने में तथा शब्दार्थ के लिहाज़ से यह नाम बहुत ही सुंदर प्रतीत होता है। पाकिस्तान यानी पाक-साफ अथवा पवित्र लोगों का घर। परंतु पाकिस्तान की हक़ीक़त इस समय इसके शब्दार्थ के बिल्कुल विपरीत हो चुकी है। वहां के भीतरी व बाहरी हालात इस समय ऐसे हो चुके हैं कि वर्तमान में पाकिस्तान से अधिक अपवित्र,गैर जि़म्मेदार, असुरक्षित, आतंकवाद को पनाह देने वाला, राजनैतिक रूप से अस्थिर तथा सत्ता के विभिन्न केंद्रों के मध्य खींचतानी रखने वाला दुनिया का कोई भी दूसरा देश नज़र नहीं आता। इसका नाम है पाकिस्तान और काम हैं नापाकिस्तान वाले। दुनिया के किसी भी देश में इतने अधिक नमाज़ी व परहेज़गार बेगुनाह लोग अकारण ही नहीं मारे गए जितने कि पाकिस्तान में अब तक मारे जा चुके हैं और रोज़ मारे जा रहे हैं। दुनिया के किन्हीं दो देशों के बीच सीमाओं अथवा नियंत्रण रेखाओं के उल्लंघन के ऐसे दुखद समाचार नहीं प्राप्त होते जितने कि पाकिस्तान व भारत की सीमाओं से मिलते रहते हैं। कौन सा धर्म या देशनीति यह सिखाती है कि कायरों की तरह चुपके से जाकर किसी दूसरे देश के सैनिकों को पकडक़र उनके सिर कलम कर ले आओ। परंतु पाकिस्तान सेना तो कम से कम यही करती देखी गई है। केवल वर्तमान वर्ष 2013 में पाकिस्तान की ओर से अब तक 57 बार युद्ध विराम का उल्लंघन किया जा चुका है। और अपने इसी दुर्भावना को और हवा देते हुए गत् 6 अगस्त को एक बार फिर पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में भारत-पाक नियंत्रण रेखा पर प्रात:काल हमला बोलकर पांच भारतीय सैनिकों की हत्या कर डाली। ज़रा सोचिए रमज़ान का पाक महीना और पाकिस्तानी सेना की यह नापाक करतूत?
इधर पाकिस्तानी सेना अपने नापाक इरादों व करतूतों को भारतीय सीमा पर तथा अक्सर भारतीय सीमा में आतंकवादियों की चोरी-छुपे भेजकर भारत में अशांति फैलाने के लिए अंजाम देती रहती है तो दूसरी ओर पाक सरकार व सेना द्वारा पाली-पोसी गई आतंकी ताकतें पाकिस्तान के भीतर अपनी नापाक से नापाक हरकतों को अंजाम देने में मसरूफ रहती हैं। इधर पाक सैनिकों ने पांच भारतीय जवानों की हत्या की तो उधर तहरीक-ए-तालिबान के आत्मघाती हमलावर ने ईद की पूर्व संध्या पर पाकिस्तान के दक्षिण-पिश्चमी शहर क्वेटा में एक आत्मघाती धमाका कर 29 लोगों की जान ले ली। इस घटना में 50 से अधिक लोगों के घायल होने के भी समाचार हैं। गौरतलब है कि यह घटना उस समय घटी जबकि गत् 8 अगस्त को अर्थात् ईद से मात्र एक दिन पूर्व आतंकियों से गोलीबारी के दौरान मारे गए एक सुरक्षाकर्मी के जनाज़े को दफन की तैयारी में सैकड़ों लोग मस्जिद के बाहर कतार बांध कर खड़े थे। इनमें अधिकांश रोज़दार लोग थे तथा ज़्यादातर लोगों का संबंध सुरक्षा बलों से था। अपने मृतक साथी को श्रद्धांजलि देने व उसे दफन करने आई भीड़ के बीच एक कम उम्र के आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया। इनमें कुछ पुलिस अधिकारी भी मारे गए तथा कुछ घायल हो गए। यही नहीं बल्कि ईद के दिन ईद की नमाज़ अदा करने के बाद मस्जिद से निकल रहे नमाजि़यों पर क्वेटा में इन्हीं आतंकियों द्वारा अंधाधुंध फ़ायरिंग कर 9 लोगों को कत्ल कर दिया गया और 13 लोग बुरी तरह ज़ख्मी हो गए। क्या ऐसी घटनाओं के बाद भी पाकिस्तान को पाक देश कहा जाना चाहिए?
इसी प्रकार गत् 5 अगस्त को ब्लूचिस्तान की राजधानी क्वेटा से 50 किलोमीटर की दूरी पर आतंकवादियों ने एक बस को रुकवा कर 23 लोगों को अग़वा किया और इनमें से 13 लोगों की हत्या कर उनकी लाशें एक खाई में फेंक दीं। यह सभी 13 लोग पाकिस्तान के रक्षा विभाग से जुड़े थे। 27 जुलाई को पाक-अफगान सीमा के कुर्रम क्षेत्र के कबीलाई इलाके के एक प्रमुख शहर पाराचीनार में दो अलग-अलग मस्जिदों के बाहर दो बड़े धमाके किए गए जिनमें 39 लोग मारे गए व 100 से अधिक घायल हो गए। इस शिया बाहुल्य क्षेत्र में शाम के समय हुए इन धमाकों के वक्त आम लोग रोज़ा-अफ्तार संबंधी खरीददारी कर रहे थे। यह है पाकिस्तान में होने वाली नापाक घटनाएं। यह आतंकी घटनाएं केवल साधारण लोगों के साथ ही नहीं घटतीं बल्कि भारत व अगानिस्तान सहित अन्य कई देशों में बदअमनी फैलाने की जि़म्मेदार पाक गुप्तचर संस्था आईएसआई भी अपने पाले-पोसे इन आतंकियों के हमलों से सुरक्षित नहीं रह पाती। पिछले दिनों सिंध प्रांत के सुकुर शहर में आईएसआई के कार्यालय को निशाना बनाकर चार बड़े विस्फोट किए गए। यह धमाके इतने ज़बरदस्त थे कि इस स्थान की कई इमारतें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं जिनमें कई लोग दब कर मर गए। इसके पूर्व भी आतंकी संगठन पाकिस्तान के दूसरे कई सैन्य संस्थानों, हवाई अड्डों,अत्यंत सुरक्षित व संवेदनशील समझी जाने वाली सुरक्षा चौकियों पर भी हमले कर चुके हैं। सैन्यकर्मियों व सुरक्षाकर्मियों की हत्याएं भी कर चुके हैं तथा भारी गोला-बारूद व शस्त्र भी छीन कर ले जा चुके हैं।
कुल मिलाकर अब पाकिस्तान के हालात को देखकर पूरे विश्वास के साथ यह कहा जा सकता है पाकिस्तान पर उसकी सेना,सरकार व आईएसआई से अधिक नियंत्रण आतंकवादी संगठनों का हो चुका है। बार-बार सुरक्षाबलों और सुरक्षा चौकियों यहां तक कि सैन्य संस्थानों पर होने वाले आतंकी हमलों ने पाक सुरक्षा बलों के मनोबल को चूर-चूर कर दिया है। और इन हालात के लिए कोई दूसरा देश नहीं बल्कि स्वयं पाकिस्तान के शासकों की गलत,दोगली व भडक़ाऊ व उकसाऊ नीति जि़म्मेदार है। पाकिस्तान 1971 में हुए पाक-बंगला देश बंटवारे में भारत की भूमिका का बदला लेने के लिए हमेशा मचलता रहता है। और इसी संदर्भ में वह पाकिस्तान अवाम के बीच भारत के प्रति नफरत का वातावरण बनाए रखता है। पाकिस्तान समय-समय पर संघर्ष विराम का उल्लंघन भी सीमा पर करता रहता है तथा भारत को उकसाने की कोशिश करता रहता है। जबकि परमाणु संपन्न देश होने के नाते पाकिस्तान को चाहिए कि वह भारत जैसे पड़ोसी देश के साथ मधुर संबंध बनाए रखने में अपनी अहम भूमिका अदा करे। वर्ष 2004 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा पाकिस्तान के प्रमुख जनरल परवेज़ मुशर्रफ के मध्य यह समझौता हुआ था कि पाकिस्तान यह आश्वासन देगा कि वह किसी भी प्रकार की आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन नहीं देगा। परंतु इस समझौते का पालन करने के बजाए हमेशा इसका उल्लंघन होते हुए ही देखा गया है। यहां तक कि पाकिस्तान के सहयोग से 26/11 जैसा मुंबई हमला सामने आया।
हालांकि नवाज़ शरीफ दो माह पूर्व तीसरी बार प्रधानमंत्री निर्वाचित किए जा चुके हैं। परंतु नवाज़ शरीफ का पिछला इतिहास यही बताता है कि उनके व सेना के मध्य हालात कभी सामान्य नहीं रहे। दो बार उनके व सेना के मध्य काफी तनातनी का वातावरण देखा गया। यहां तक कि उन्हें जेल व देश निकाला तक सहन करना पड़ा। इस समय भी इस बात को लेकर संदेह ही है कि जनरल कयानी व नवाज़ शरीफ के मध्य सत्ता संचालन व विदेश नीति विशेषकर भारत-पाक संबंध को लेकर तालमेल है अथवा नहीं। जनरलअशफाक़ कयानी हालांकि अगले माह अपने पद से अवकाश ग्रहण करने वाले हैं। नए सेना अध्यक्षों में सर्वप्रमुख नाम जनरल हारून असलम का है। इसके बाद जनरल राशिद व जनरल राहिल शरीफ भी सेना प्रमुख बनने की कतार में हैं। नए सेनाध्यक्ष के चुनाव में नवाज़ शरीफ की क्या भूमिका होगी यह दिलचस्प होगा। फिर भी नवाज़ शरीफ का यह कहना है कि कश्मीर सीमा पर तनाव कम करना बहुत ज़रूरी है। नवाज़ शरीफ के इन विचारों को पाकिस्तान के नए सेनाध्यक्ष कितनी अहमियत देते हैं यह देखना भी ज़रूरी होगा।
बहरहाल सत्ता के विभिन्न केंद्रों के बीच रस्साकशी के वातावरण में एक बात तो पूरे विश्वास के साथ कही जा सकती है कि इस समय दुनिया में पाकिस्तान से बड़ा आतंक को संरक्षण देने वाला तथा इसे पालने-पोसने व बढ़ावा देने वाला दूसरा और कोई देश नहीं है। ओसामा बिन लाडेन का पाकिस्तान में पाया जाना, वर्तमान में एमन-अल-जवाहिरी के भी पाकिस्तान में छुपे होने की खबरें, भारत व अफगानिस्तान सहित कई देशों के मोस्ट वांटेड अपराधियों के पाकिस्तान में पनाह लेने के पुख़्ता सुबूत तथा पाकिस्तान व अफगानिस्तान के तहरीक-ए-तालिबान, अलकायदा,जैश-ए-मोहम्मद व जमात-उद-दावा जैसे संगठनों का पूरी सक्रियता व आज़ादी के साथ पाकिस्तान में फलना-फूलना व अपनी गतिविधियों का संचालन करना इस बात के पुख्ता सुबूत हैं। लिहाज़ा कोई ऐसी वजह नज़र नहीं आती जिससे कि विश्व पंचायत द्वारा पाकिस्तान को एक आतंकवादी देश होने का दर्जा न दिया जाए