कहानी

राष्ट्र वादी

भविष्य की कहानी क्या ऐसी होगी
rashtrawadi       दरवाजे पर दस्तक हुई|”मम्मा मम्मा, बाहर कोई दरवाजा पीट रहा है”एक
दस ग्यारह साल के बेटे ने अपनी मां को आवाज़ लगाई|
“अब इतनी रात गये कौन आ गया”,वह बड़बड़ाआई|”पूछो कौन है,क्या काम है
इतनी रात को?”उसने किचिन में से ही जोर से चिल्लाकर बेटे को समझाइश दी|
बेटे ने वैसा ही किया तो बाहर से आवाज़ आई”दरवाजा खोलो मैं हि‍दु हूं
जरूरी काम है|”
“अरे बाप रे हिंदु”,बेटा डर गया|
“माँ कोई हिंदु है, कहता है दरवाज़ा खोलो जरूरी काम है|”बेटा चिल्लाकर
बोला|
माँ घबड़ाकर बाहर के कमरे में आ गई”कौन है क्या काम है?”अब माँ ने पूछा|
“देखिये मैं राष्ट्र वादी हिंदु हूं}कृपया दरवाज़ा खोल दें आप लोगों से
बहुत ही जरूरी बात करना है|”
राष्ट्र वादी हिंदु और इतनी रात को, यह राष्ट्रवादी हिंदु तो
साम्प्रदायिक होता है वह सिहर गई,राष्ट्रवादी हिंदु हैं तो राष्ट्र के पास
जाये यहां  क्यों  आ मरा?”वह बड़बड़ाने लगी|
“अजी सुनते हो ,बाहर कोई  राष्ट्रवादी हिंदु दर‌वाजा खोलने के लिया कह रहा
है”वह अपने पति रमेश को आवाज़ देने लगी|
पति महॊदय धड़धड़ाते हुये ऊपरी मंजिल से नीचे आ गये| “क्या कहा, राष्ट्र
वादी हिंदु?इतनी रात गये यहां,यहां उसका क्या काम है?”देखिये इतनी रात को
हम दरवाज़ा नहीं खोल सकते|आप राष्टवादी हिंदु है,राष्ट्रवादी हिंदु देश से
प्रेम करता है और हमारे देश में जो देश सॆ प्रेम करता है वह साम्प्रदायिक
होता है|आप जाईये प्लीस|”
“देखिये मैं राष्ट्रवादी हिंदु………आप से आवश्यक
काम…………….|”
“आप जाईये|”रमेश दहाड़ा|
इधर रमेश की पत्नी ने फोन उठाया और पड़ोसियों को सूचना देने लगी बाहर
राष्ट्रवादी हिंदू घूम रहा है कोई दरवाजा न खोले प्लीज़|