{शहीदों को समर्पित – हितेश शुक्ल }
रोज रोज का झंझट अब यह ख़त्म हमे करना होगा !
अबकी बार सिंहासन को ठोस फैसला करना होगा !!
कब तक बांध हाथ रोएंगे हम अपने शेरो की कुर्बानी पर !
बेहद शर्मिंदा है भारत माँ दिल्ली की कायरता पर !!
वीर शिवा और भगत सिंह का अपमान नहीं करने देंगे !
किसी श्वान झुण्ड को सिंह का शिकार नहीं करने देंगे !!
बार बार मरने की पीड़ा अब तो सहन नहीं होती !
इतना बिलख चुके की अब आँखे भी नम नहीं होती !!
जब क्रोध की ज्वाला धधक रही है भारत के हर सिने मे अब भी डरता हो सिंहासन यदि कड़ा फैसला लेने में !!
तो छुप जाये जाकर इटली के आँचल या किसी कोने में !!!
और हाथ खोल दो भारत के इन शेरो के अनुशासन की पाबन्दी से !
शपथ लेते है मात्र भूमि की नहीं इसे लजायेंगे!!
बस कुछ मिनटों में दुनिया का भूगोल बदल कर आयेंगे !!!
पाक के जर्रे जर्रे में राष्ट्र तिरंगा फहराएंगे !!
सच कहते है रोज रोज की ये पीड़ा अब सहन नहीं होती
सुहागनों चूडियो की ये टूटन सहन नहीं होती !
सूनी मांग और गोद से निकली आहें सहन नहीं होती !
एक बार यह संकल्प हमे अब करना होगा !
एक बार उन्हें मरना है या खुद को मरना होगा !!
मौन तोड़ ए राज सिंहासन अब पाचजन्य फुकना होगा !
शेर शीश का बदला भारत को लेना होगा !!
रोज रोज का झंझट ख़त्म कर ,अब ठोस फैसला लेना होगा……… !!!!