हाथी भैया का ब्याह‌

elephantचूहे के छोटे से बिल में,

चार चार हाथी घुस आये|

डर के मारे बिल के सारे,

चूहे बहुत बहुत घबराये|

 

तब चूहों के ‘मुखिया दादा’,

सभी हाथियों पर चिल्लाये|

बहू बेटियों वाले घर में,

बिना इजाजत क्यों घुस आये|

 

हाथी बोले बहू बेटियों ,

को हम ढेरों तोहफे लाये |

बचा एक क्वांरा हाथी है,

दुल्हन उसे ढूढ़ने आये |

 

इसी बात पर चूहे दादा,

हुये मुदित ,मन में मुस्काये|

प्यारी बिटिया मिस चुहिया को,

सजा धजा कर बाहर लाये|

 

हाथी की चुहिया से शादी?

सबने मिलकर बेंड बजाये|

ब्याह कराकर हाथी भैया,

चुहिया को जंगल ले आये|

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

 

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

1 COMMENT

  1. कांग्रेस के हाथी थे वे छोटे से बिल में जो समाय|
    मेल मिलाप से मिस चुहिया को साथ गए लिवाए||

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