कविता साहित्य
April 27, 2012 / April 27, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a comment
श्यामल सुमन
लोकतंत्र!
जिसकी आत्मा में पहले “लोक”,
बाद में “तंत्र”।
मगर अब नित्य पाठ हो रहा-
“तंत्र” का नया मंत्र।
परिणाम!
नीयत, नैतिकता बेलगाम
मानव बना यंत्र
और
तंत्र – स्वतंत्र,
लोक – परतंत्र।