कविता:अमानुष बना कैसे

1
195

बलबीर राणा

मा ने प्यार दिया

पिता ने दुलार

भाई ने साथ दिया

बहन ने आभार

अमानुष बना कैसे

 

समाज ने एकतादी

जाती ने अपनापन

धर्म ने सतमार्ग दिया

वेद पुराण कुरान बाईबल ने मानवता

फिर अमानुष बना कैसे

 

 

रीfत रिवाजों ने अनुसरण दिया

इतिहास ने पुनरावृति

गुरु ने ज्ञान दिया

ग्रंथों ने सन मार्ग

फिर अमानुष बना कैसे

 

हिमालय ने अडिगता दी

समुद्र ने शालीनता

शहरों ने जीवन्तता दी

बनो ने समाविस्ठ्ता

फिर अमानुष बना कैसे

 

संगिनी ने प्रेम दिया ,

पाल्यों ने वात्सल्य .

मित्रों ने साथ दिया ,

नाते रिश्तों ने सहानुभूति .

फिर ये अमानुष बना कैसे

 

 

बसंती बयारों ने महकना सिखाया ,

सावन की बोछारों ने शीतलता .

हेमंत ने एकरूपता सिखाई ,

शिशुर ने दृढ़ता .

फिर ये अमानुष बना कैसे

 

पगडंडियों ने संभलना सिखाया ,

पथ ने अनंत दीयात्रा ,

झीलों ने धेर्य सिखाया ,

झरनों ने मोहकता .

फिर ये अमानुष बना कैसे

 

सूरज ने रोशनी दी ,

चंदा ने शीलता .

नभ ने ,छत दी ,

धरा ने आश्रय .

फिर ये अमानुष बना कैसे

 

विज्ञानं ने तरक्की दी ,

साहित्य ने समझ .

कवियों ने कल्पना शfDr दी ,

उधमियों ने रोजगार .

फिर ये अमानुष बना कैसे

 

भाषाओं ने व्यवहार दिया ,

बोलियों ने पहचान .

देश ने संप्रभुता

विश्व नदिया बन्धुत्वा .

फिर ये अमानुष बना कैसे .

1 COMMENT

  1. धन्यवाद संपादक महोदय आपने मेरी कविता को सराहा और अपने पोर्टल पर जगह दी

Leave a Reply to Balbir Rana Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here