कविता

कविता/ मैं भावनाओं में बह गया था

मैं भावनाओं में बह गया था

मुझे नहीं मालूम ऊंच -नीच

मेरे पास पढाई की डिग्री नहीं है

मैं अनपढ़ हूँ

मुझे क्या पता

यहाँ डिग्री की जरुरत होती है

मैं अनपढ़ हूँ

डिग्री धारी होता तो

गरीबों का पेट काटता , खून चूसता

देश को गर्त में ले जाता

बड़े -बड़े घोटाले और मजलूमों पर अत्याचार करता

इस सभ्य संसार में

मेरी कोई क़द्र नहीं

हाँ मैं साहब को सलाम करता हूँ

पर साहब के जैसा बेईमान नहीं

मेरे मन में छोटे -बड़े की भेद नहीं है

क्योंकि मैं अनपढ़ हूँ

० लक्ष्मी नारायण लहरे पत्रकार कोसीर