कविता
May 16, 2012 / May 16, 2012 by लक्ष्मी नारायण लहरे कोसीर पत्रकार | Leave a comment
आपना पन कहें या दोस्ताना
अजीब चाहत है
इस जीवन में
सिर्फ संघर्ष भरी राहें है
अपनों के बीच भी हम अकेले है
एक -दुसरे के प्रेम से बंध कर
स्वार्थ भरी जीवन जी रहे है
जिन्दगी ….. की जंग में
भाई -भाई को नहीं समझता
माँ -बाप को नही पहचानते
स्वार्थ ,भरी जीवन जी रहे है