साहित्यकविता कविता: जिन्दगी – लक्ष्मी नारायण लहरे By लक्ष्मी नारायण लहरे कोसीर पत्रकार - May 16, 2012 0 214 FacebookTwitterPinterestWhatsApp आपना पन कहें या दोस्ताना अजीब चाहत है इस जीवन में सिर्फ संघर्ष भरी राहें है अपनों के बीच भी हम अकेले है एक -दुसरे के प्रेम से बंध कर स्वार्थ भरी जीवन जी रहे है जिन्दगी ….. की जंग में भाई -भाई को नहीं समझता माँ -बाप को नही पहचानते स्वार्थ ,भरी जीवन जी रहे है