युवराज को लेकर कांग्रेस में चलती तलवारें!

1
235


लिमटी खरे

कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने बड़ी जिम्मेवारी उठाने के लिए हामी भर दी है। राहुल तैयार हैं राजपाट संभालने के लिए, किन्तु कांग्रेस के अंदर ही राहुल को लेकर अनेक तरह की विचारधाराएं पनप रही हैं। कांग्रेस के अंदर से आ रही ढाल तलवारों की खनक से लगने लगा है कि राहुल की ताजपोशी उतनी आसान हीं है जितनी सोनिया समझ रही हैं। कांग्रेस अब राहुल को प्रोजेक्ट करने को लेकर जमकर बंट चुकी है। एक के बाद एक नेता राहुल के खिलाफ मुंह खोल रहे हैं तो कुछ ‘आफ द रिकार्ड‘ विषवमन करवा रहे हैं।

सलमान खुर्शीद ही अकेले एसे नेता नहीं हैं जो राहुल गांधी की आलोचना कर रहे हों। पार्टी में अनेक नेता हैं जो युवराज की मुखालफत में जुटे हुए हैं। कुछ तो बाकायदा मीडिया के साथ बतियाते हुए कहते हैं यार ऑफ द रिकार्ड है, मगर युवराज से नहीं चलने वाला। राहुल की लीडरशिप में सो मेनी सीरियर लीडर्स विल नाट बी कंफर्टबेल। अरे हमने राहुल के फादर राजीव के साथ काम किया है, अब कल का छोकरा हमें डिक्टेट करेगा।

कांग्र्रेस के एक महासचिव ने पत्रकारों के साथ अनौपचारिक चर्चा के दौरान साफ कह दिया था कि कांग्रेस पार्टी के पास 2015 तक के लिए निर्वाचित अध्यक्ष है, फिर इन परिस्थितियों में कांग्रेस को कार्यकारी अध्यक्ष की क्या आवश्यक्ता है? उनका कहना साफ इस ओर इशारा कर रहा था कि राहुल गांधी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की कोई आवश्यक्ता ही नहीं है।

एआईसीसी के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि एक वरिष्ठ मंत्री ने भी सलमान खुर्शीद की बात का समर्थन किया है। उनका कहना है कि सलमान खुर्शीद ने जो कहा उसमें गलत क्या है? सच है कि राहुल को कुछ प्रबंधक मिलकर मीडिया में महिमा मण्डित कर रहे हैं, पर राहुल में नेतृत्व करने की क्षमता कतई नहीं है।

सूत्रों ने कहा कि उक्त मंत्री ने तो उत्तर प्रदेश के कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से भेंट के दौरान अपने मन की भड़ास भी तबियत से निकाली। उन्होंने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए राहुल से नहीं चलने वाला। अब वे अपनी कांस्टीट्वंसी ही नहीं संभाल पा रहे हैं, तो उनसे देश और कांग्रेस को संभालने की उम्मीद करना बेमानी ही है।

यद्यपि राहुल गांधी ने बड़ी जिम्मेवारी लेने के लिए हामी तो भर दी है पर 2014 में राहुल को प्रोजेक्ट करने के मामले में कांग्रेस अंदर ही अंदर बंट चुकी है। एआईसीसी के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो नेशनल लेवल के पोस्ट होल्डर्स और अधिकांश मंत्रियों का मत है कि राहुल को अभी प्रोजेक्ट करना पार्टी के लिए बेहद नुकसानदेह ही होगा।

एआईसीसी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सोनिया पर इस बात का दबाव ज्यादा है कि 2014 में किसी को भी पीएम प्रोजेक्ट किए बिना ही चुनावी महासमर में उतरा जाए, तभी कांग्रेस की वापसी की कुछ धूमिल उम्मीदें ही दिख रहीं हैं, क्योंकि घपले घोटाले और भ्रष्टाचार के महाकांड तो कांग्रेस के लिए सरदर्द बन ही चुके हैं।

सूत्रों ने बताया कि वहीं दूसरी ओर राजा दिग्विजय सिंह सहित कुछ अन्य नेता इस बात के लिए लाबिंग में लगे हैं कि राहुल गांधी को पार्टी को पार्टी की बागडोर अब संभाल ही लेना चाहिए, क्योंकि अभी नहीं तो कभी नहीं। यह भी कहा जा रहा है कि सोनिया को घेरकर बैठी उनकी किचिन कैबनेट ही राहुल की ताजपोशी में सबसे बड़ी बाधा बनकर उभर रही है।

सूत्रों ने कहा कि पार्टी के अंदर अभी इस बात पर मंथन चल रहा है कि गुजरात चुनावों में राहुल गांधी को उतारा जाए या नहीं! पार्टी इस बात को लेकर जबर्दस्त दुविधा में है। अगर गुजरात चुनाव में राहुल को प्रोजेक्ट किया गया तो गुजरात में ही कांग्रेस का प्रधानमंत्री राहुल गांधी और भाजपा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसी चर्चाएं सिर्फ सूबे तक ही नहीं सिमटी रहेंगी।

यह चुनाव राहुल वर्सेस मोदी हो जाएगा। सूत्रों की मानें तो रणनीतिकारों का मानना है कि बातें गुजरात से निकलकर जब देश भर में फैलेंगी तब इसमें कांग्रेस के पीएम राहुल और भाजपा के पीएम मोदी की तुलना में मोदी का पड़ला भारी रहेगा जो राहुल के लिए एक बहुत ही बड़ा सैडबैक हो सकता है।

उधर, एआईसीसी सूत्रों ने खबर दी है कि कांग्रेस के 10 सांसदों ने पार्टी अध्यक्ष को चिट्ठी लिखकर राहुल गांधी को लोकसभा में नेता, सदन बनाने की मांग की है। इस बीच, खबर यह भी है कि पार्टी राहुल को एआईसीसी का महासचिव बनाकर पूरे संगठन की जिम्मेदारी दे सकती है। अगर पार्टी यह फैसला करती है तो राहुल गांधी के पास औपचारिक तौर पर देश में कहीं भी पार्टी के कामकाज में दखल देने का अधिकार हो जाएगा।

लोकसभा के इन सांसदों ने अपने संयुक्त पत्र में कहा है कि सदन के नेता के रुप में राहुल गांधी जनता से जुडे मुद्दों पर जोरदार ढंग से बोलेंगे और साथी सांसदों को उनके उदाहरण का स्वेच्छा पूर्वक और प्रसन्नता पूर्वक अनुसरण करने के लिए प्रेरित करेंगे। पत्र में इन सांसदों ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि यह समय की जरुरत है कि राहुल गांधी को संसद में बडी और सक्रिया भूमिका अदा करनी चाहिए क्योंकि पार्टी संसद और संसद के बाहर अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है।

सांसदों का मानना हे कि राहुल विपक्ष और सहयोगी दलों के साथ और ज्यादा कारगर तरीके से संबंध बनाने में सक्षम होंगे। वास्तव में अनेक नेता हैं लेकिन तकरीबन पचास फीसदी की युवा आबादी वाला हमारा देश एक युवा नेता की मांग करता है और इन वर्षों’ में राहुल गांधी इस देश में सबसे ज्यादा स्वीकार्य युवा नेता के रुप में उभरे हैं ।

एक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के अनुसार कांग्रेस के कुछ ताकतवर नेताओं ने सोनिया गांधी को यह बताने की कोशिश की है कि किस तरह राहुल गांधी संसद या सरकार में बड़ी जिम्मेदारी लेने के लिए ‘नाकाबिल‘ हैं। इस धड़े का कहना है कि राहुल गांधी को अभी कुछ समय और पार्टी में ही काम करने दिया जाए। विरोध कर रहे धड़े का कहना है कि राहुल बेहद ‘शर्मीले‘ और ‘हालात को टटोलने‘ वाले नेता हैं, जो सत्ता की राजनीति के लिए जरूरी बारीकियों को ‘मैनेज6 नहीं कर पाएंगे।

वहीं, एनसीपी प्रमुख और यूपीए सरकार में वरिष्ठ मंत्री शरद पवार की मंत्रिमंडल में वरीयता क्रम को लेकर विवाद बढ़ने के बाद लोकसभा का अगला नेता तय करने की प्रक्रिया में पेंच फंस गया है। यूपीए के प्रमुख घटक द्रमुक के नेता टीआर बालू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लोकसभा का नेता बनने का आग्रह किया है। इसके बाद यह कहा जाने लगा है कि गांधी पर इस जिम्मेदारी को निभाने के दबाव बढ़ सकता है। साथ ही यह तर्क भी दिया जा रहा है कि जब गांधी ने पीएम पद स्वीकार नही किया तो वह इससे नीचे का पद क्यों स्वीकार करेंगी।

Previous articleसंकट हरण के लिए संकटमोचक का बलिदान
Next articleअलनीनो की चपेट में मौसम
लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

1 COMMENT

  1. राहुल गांधी वैसे अभी अपरिपक्‍कव हैं और वे जिन बैसाखियों का इस्‍तेमाल सियासत सीखने के लिए कर रहे हैं वे सारी की सारी बहुत ही धूर्त हैं। राहुल को सावधान रहना चाहिए वरना ये धूर्त राजनैतिक चरित्र उन्‍हें कहीं का नहीं छोडने वाले हैं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress