व्यंग्य
October 31, 2011 / December 5, 2011 by पंडित सुरेश नीरव
पंडित सुरेश नीरव
निंदा जिंदा मनुष्य की ऐसी आनंददायक क्रीड़ा है जिस का लुत्फ वो मरते दम तक पूरे उत्साह से उठाना चाहता है। अफसोस है कि मरे लोग इसका आनंद नहीं उठ