क्या इस मुल्क की किस्मत में बंधक प्रधानमंत्री लिखा हुआ है जिसे अपने मंत्रियो से लेकर उनके विभागों तक का फैसला करने का अधिकार ना हो ! क्या यह मुल्क ऐसे गृहमंत्री की रहनुमाई में खुद को महफूज़ रख सकता है जो सीना तान कर यह कहे कि मुम्बई में हुआ आतंकवादी हमला खुफिया तंत्र की चूक इसलिए नही है क्यों कि गुप्तचर एजेंसियों को ऐसे किसी हमले की पहले से कोई जानकारी ही नही थी ? क्या यह मुल्क ऐसे नोसिखिये सियासत दां होने का दावा करने वाले नई पीढ़ी के नुमाइंदों की सरपरस्ती कबूल कर सकता है जो छाती चौडी करके यह कहते है कि आतंकवादी हमलों के साथ जीना सीखना होगा क्योकि इन्हें पूरी तरह खत्म नही किया जा सकता ? क्या यह मुल्क ऐसे कांग्रेसियों के भरोसे अपना रास्ता तय कर सकता है जो यह कहे कि हिन्दोस्तान में दहशतगर्दी पाकिस्तान से कम है ! मै इन कांग्रेसियों को चेतावनी देता हूँ कि वे अब इस नई सदी में खानदानी विरासत की राजनीति का लोभ छोड़ कर खुद को भीतर से मजबूत करे और इस देश के लोगो को वो लोकतंत्र दे जिसका वायदा आजादी हासिल करते समय महात्मा गांधी और पं.नेहरू ने लोगो के साथ किया था | आखिरकार इस मुल्क के लोग कब तक पं नेहरू की देश सेवा और कुर्बानियों के ‘मूलधन’ का ‘ब्याज’ चुकाते रहेंगे और मुगलिया सल्तनत की तर्ज़ पर बादशाह के बेटे को बादशाह बनाते रहेगे ? इस देश का पट्टा किसी खास खानदान के नाम लोगो ने नही लिख दिया है कि वे अपने उन हकूको को गिरवी रख दे जो उन्हें इस मुल्क के संविधान ने दिए है | सरकार का ठेका किसी खास पार्टी या खानदान को लोकतंत्र में नही दिया जा सकता | बेशक डा. मनमोहनसिंह लोगो द्वारा चुने गए प्रधानमंत्री नही है मगर वह हमारे देश के संविधान के अनुरूप पूरे वजीरे आजम है | उनके इस इस अधिकार को दुनिया का कोई भी व्यक्ति चुनौती नही दे सकता कि वः किस व्यक्ति को अपने मंत्रमंडल में शामिल करे और किसे बाहर करे | सरकार चलाना पार्टी अध्यक्ष का काम बिलकुल नही है और ना ही प्रधानमंत्री के सरकारी कामो में किसी प्रकार का दबाव बनाना उसके अधिकार क्षेत्र में आता है मगर देखिये मनमोहन सरकार को कैसे परदे के पीछे से हांका जा रहा है |
आखिरकार इस देश के प्रधानमंत्री को बेअख्तियार दिखा कर कांग्रेसी क्या पूरी दुनिया को यह पैगाम नही दे रहे है कि हुकूमते हिन्दोस्तान केवल उनकी कठपुतली है और परदे के पीछे से वे जैसे चाहेगे उसे नाचायेगे | सोचना मनमोहन सिंह को है कि वह निजी तौर पर एक ईमानदार व्यक्ति होते हुए किस तरह बेईमानों के हित साधने के लिए मोहरा बना दिए गए है | सोचना इस देश के संवैधानिक प्रधानमंत्री को है कि किस तरह कुछ लोग उन्हें अपने अहसानो के साये तले दबा कर पूरे मुल्क को अँधेरे में डुबोना चाहते है | इसकी बागडोर ऐसे नौसिखए के हाथ में देना चाहते है जिसे यह तक मालूम ना हो कि दहशतगर्दी हिन्दोस्तान के वजूद में शुरू से कभी नही रही | मगर देखिये क्या क़यामत है कि इस मुल्क में दहशतगर्दी फैलाने वालो के इलाके आजमगढ़ को नवजात कांग्रेसी दिग्विजय सिंह ने तीर्थ स्थल बना दिया | आखिरकार कोई तो सीमा होगी वैचारिक खोखलेपन की कि भारत की तुलना उस पाकिस्तान से की जाए जो पूरी दुनिया में दहशतगर्दी की खेती करने वाला उपजाऊ मुल्क बना हुआ है | क्या इस मुल्क की सियासत को पाकिस्तान की तर्ज पर चलाने की ये कांग्रेसी सोच रहे है जंहा मज़हब के नाम पर लोगो का क़त्ल किया जाता हो, उससे भारत की तुलना की जा रही है | यह दहशतगर्दी फैलाने वालो के मन-माफिक बात होगी क्यों कि उनका इरादा ही यह है कि भारत की गंगा-जमुनी गुलदस्ता तहजीब को खून की नदियों से सींचे मगर इसे रोकेगा कौन ?? यह काम मनमोहन ही कर सकते है और ‘बाँसुरी’ छोड़ कर आज के इस राजनीतिक महाभारत के ‘कुरुक्षेत्र’ में अपना ‘विराट’ स्वरूप दिखा कर सुतार्शन चक्र धारण करके अपने ही ‘परिवार’ के कौरवो का विनाश करने प्रण ले सकते है | हिम्मत है तो उठो औए पांचजन्य फूंक कर सत्ता के कौरवो का विनाश करो |
“मत पूछ क्या हाल है मेरा तेरे आगे,
तू देख क्या रंग है तेरा मेरे पीछे”
आदरणीय डॉ. कपूर साहब आपसे ११० प्रतिशत सहमत हूँ|
कौन है वह देशद्रोही जो यह कहता है की मंद मोहन ईमानदार है?
नेहरु की तो मौत भी गुप्त रोग के कारण हुई थी|
यदि इस देश को निरोगी काय देनी है तो एड्स के इस संक्रमित परिवार से अपने से दूर रखिये|
धीरे धीरे यह संक्रमण पूरे भारत में फ़ैल जाएगा, जो की एक लाइलाज बीमारी बन जाएगा|
किस भ्रम में हैं आप लोग. प्रधानमन्त्री महोदय मौनी बाबा तो हैं पर ईमानदार तो बिलकुल नहीं हैं. अपनी संपत्ति का ब्योरा तक उन्हों ने झूठा दिया है.करेला और नीम चढा ; यस सर कहने से अधिक औकात इनकी कभी नहीं रही. फर्क सिर्फ इतना है की अब ये यस मैडम कहते हैं. क्या आप को याद दिलाना पडेगा की ये तो अनेक दशकों से विश्व बैंक के नौकर थे और आज भी उनके हित में उनके इशारों पर काम करते हैं ( इनकी मैडम सोनिया जी भी ) देश की दुर्दशा यूँही नहीं, मोंटेक, चिदम्बरम, मनमोहन की तिकड़ी विश्व बैंक के इशारों पर नाचने वाली कठपुतलियाँ है.
….. जहाँ तक बात है नेहरू जी की महानता की तो वे gay तो थे ही, एडविना की वासना की आग में देश को भी जला डाला. देश के बंटवारे के लिए गांधी जी को बेकार बदनाम किया जाता है. बंटवारे का पत्र लिख कर देने का निर्णय अकेले नेहरू का था जो की एडविना के कहने पर हुआ. काश्मीर का नासूर भी आपके देशभक्त (?) नेहरू की ही देन है. और भी नजाने कितने विनाशक बीज इस परिवार ने भारत के रास्ते में बोए हैं.
bhai panjab kaisre ka 15.07.2011 ka pura sampadkiay hi likh mara
सचेती साहब आपके इस कथन से सायद ही कोई सहमत हो
पं नेहरू की देश सेवा और कुर्बानियों के ‘मूलधन’ का ‘ब्याज’ चुकाते रहेंगे और मुगलिया सल्तनत की तर्ज़ पर बादशाह के बेटे को बादशाह बनाते रहेगे ?
आज लगभग देश का बच्चा बच्चा यह जनता है या जानने की कोशीश कर रहा है यह नेहरु कैसा रहा होगा .
जिसके पैतरो से देश आज भी पार नहीं पा पा रहा है .
वह न तो देश भक्त था ना ही इस नेहरु ख़ानदान से किसी ने क़ुरबानी दी .
केवल इस परिवार ने देश को लूटा दोनों हाथो से
और आसा है की इन जलील भारतीयों को और जलील करते हुए भविष्य में भी लूतेगे .