डॉ. नीरज भारद्वाज
व्यक्तियों की सोच दृष्टि और दृष्टिकोण किसी भी समाज को उच्च पद प्रतिष्ठा पर ले जा सकती है तथा उसे गिरा भी सकती है। व्यक्ति की कार्यशैली ही उसके व्यक्तित्व को महान और नीचता दोनों दिला सकती है। आज किस पर विश्वास किया जाए और किस पर नहीं? यह एक बड़ा प्रश्न समाज के सामने खड़ा हो रहा है। कहावत है कि एक मछली पूरे तालाब को गंदा करती है, बात ठीक भी है। किसी भी समाज में गलत कार्य करने वाले गिने-चुने ही लोग होते हैं। लेकिन वह अपनी पूरे समाज, धर्म, जाति आदि व्यवस्था को बदनाम अर्थात भंग कर देते हैं। यही कुबुद्धि के लोग समाज के साथ राष्ट्र के लिए भी घातक सिद्ध होते हैं और दिल्ली धमाके में ऐसा हुआ भी है।
अब प्रश्न यह भी है और लोग कहते भी हैं कि कम पढ़े लिखे या अनपढ़ लोग ही दृष्टि भ्रमित होते या पथ भ्रमित होते हैं। वह कुछ भी उल्टा सीधा काम कर सकते हैं। फिर विचार यह फैला कि धन अर्थात पैसे के अभाव में लोग पथ भ्रमित काम करते हैं और वह जुर्म या कोई भी देश विरोधी काम कर सकते हैं। इन उल्टे कामों से उसे धन मिलेगा, कुछ हद तक दोनों ही तथ्य सही भी हैं और ऐसा देखा भी गया है। लेकिन जैसे-जैसे युग बदला देश विरोधी ताकतों ने पढ़े-लिखे युवक-युवतियों को अपना हथियार बनाना शुरू कर दिया। देश विरोधी किसी हद तक सफल भी हो रही है। दिल्ली में लाल किले के सामने हुए धमाके में एक डॉक्टर ने विस्फोटक से भारी कार से 10 से अधिक लोगों की जान ले ली, दर्जनों भर से ज्यादा घायल हो गए। कितनी ही गाड़ियां जलकर राख हो गई, कितना ही आर्थिक नुकसान हुआ है।
डॉक्टर बनकर जो व्यक्ति देश विरोधी कामों में, देश को दहलाने, आतंकी घटनाओं में शामिल हो रहा है, यह कितनी ही घातक बात है। एक तरफ तो देश के युवाओं को डॉक्टरी जैसे पेपर अर्थात नीट में पास होने के लिए दिन-रात एक करना पड़ रहा है। वहीं जम्मू कश्मीर से मेडिकल की महंगी पढ़ाई सरकारी खर्चे पर पास करके दिल्ली धमाके को अंजाम देना, सरकार के लिए गहन चिंतन की बात है। सरकार तो हर वर्ग को मुख्य धारा में लाने का भरसक प्रयास कर रही है, लेकिन देश विरोधी ताकतें अपने मकसद में सफल हो जाती हैं और उसका अंजाम हुआ दिल्ली में धमाका।
देश में सभी सरकारी, गैर सरकारी क्षेत्र में काम करने वाले लोग, देश के विकास में महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। शिक्षा और मेडिकल का क्षेत्र देश दुनिया में सबसे पवित्र माना जाता है, ऐसा कहा जाता है। एक अपने ज्ञान, दर्शन, मनोविज्ञान से देश दुनिया को सही रास्ते पर चलने का संदेश देता है, तो दूसरा सेवा भाव और व्यक्ति के शरीर में आए रोगों को दूर कर नया जीवन देने का कार्य करता है। लेकिन बहुत से शिक्षण संस्थान अपनी विचारधारा के चलते राजनीति का गढ़ बन गए हैं। देश विरोधी नारे वहां लगाए जाते हैं। देश के टुकड़े-टुकड़े करने की बात होती है। शिक्षक विद्यार्थी एक सुर में बोलते हैं। ऐसे आस्तीन के साँप समाज, देश दुनिया के लिए घातक सिद्ध होते हैं। ऐसा कितनी ही बार देखा भी गया है।
देश में आतंकी हमले का एक बड़ा कारण यह भी है कि देश विरोधी ताकतों के साथ विदेशी ताकतें हमारे देश के तेजी से होते विकास को देखकर खुश नहीं है। वह किसी भी तरीके से देश में अस्थिरता का माहौल पैदा करना चाहते हैं। राजनीतिक उलट फेर कर अपने काम को अंजाम देना चाहते हैं। देश को आर्थिक रूप से कमजोर चाहते हैं। स्थिर राजनीति को हटाकर अस्थिरता फैलाना चाहते हैं। लोगों में अविश्वास दिखाना चाहते हैं। किसी भी देश के विकास का पहिया उसकी मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति से आगे बढ़ता है। वर्तमान में तेजी से बढ़ते देश को विदेशी ताकतें और देश विरोधी ताकतें दोनों मिलकर लोगों में अविश्वास पैदा करने का प्रयास कर रही हैं। विदेशी ताकतें समझती हैं कि देश के लोग राजनीति, हमलों, आपसी झगड़ों में उलझे रहे और हम अपना काम निकाल लें। जब भी देश शांति और विकास के पथ पर आगे बढ़ता है, तो आतंकवाद का दानव बोतल से बाहर निकाल दिया जाता है और विदेशी ताकत इसमें किसी हद तक सफल भी हो जाती हैं।इसमें हमारे देश के भी कुछ लोग मिल जाते हैं और देश पर हमला कर दिया जाता है। हमें सोच समझकर कदम उठाना चाहिए, बात की तहत तक जाकर उचित काम करना ही समझदारी की बात है।
डॉ. नीरज भारद्वाज