जन-जागरण

जन-धन योजना- अब गुलाम नहीं रहेंगे गरीब

-सुरेश हिन्दुस्थानी-

Narendra_Modiभारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जन धन योजना के नाम पर पूरे देश को बैंकिंग से जोडऩे का जो मूल्यवान काम किया है। इससे गरीबों को केन्द्र की योजनाओं का सीधे लाभ मिलेगा। केन्द्र सरकार की मंशा यह भी हो सकती है कि देश के नागरिकों को जो शासन की योजनाओं का लाभ मिलेगा वह सरकारी कार्यालयों के बिना भी मिल सकेगा। अभी तक देश की जनता इस बात से बहुत परेशान है कि जनता के जायज काम भी अधिकारी वर्ग नहीं करते, बल्कि उन्हें परेशान ही करते हैं। नरेन्द्र मोदी सरकार की संभवत: यही सोच है कि भविष्य में सारी सरकारी योजनाओं का लाभ हर व्यक्ति को सीधे ही मिले। इससे जहां भ्रष्टाचार समाप्त होगा वहीं गरीब व्यक्ति का समय और धन की बरबादी भी नहीं होगी।
देश की कुल आबादी का चौथाई हिस्सा साहूकारों के चंगुल में फंसा हुआ है। बैंक की कई योजनाओं व वहां उनका खाता नहीं होने से वह साहूकारों से ऋण लेकर अपनी जरूरतों को पूरा करता रहा और यही कारण रहा है कि देश का यह गरीब तबका कभी बंधुआ मजदूर बनने के लिए मजबूर रहा तो कभी दस से पंद्रह प्रतिशत की ब्याज दर पर कर्ज न चुका पाने के कारण आत्महत्या जैसे कदम उठाने के लिए मजबूर होता रहा। किसी भी लोकतांत्रिक देश में ऐसी अमानवीय प्रथाओं के लिए कोई जगह नहीं हो सकती। इसीलिए प्रधानमंत्री की यह योजना निश्चित ही इन लोगों के लिए लाभकारी होगी।
हमारे देश में बचत की योजना सनातन काल से रही है। खासतौर पर घर की महिलाओं में बचत करने की आदत काफी पुरानी है। यह बचत बच्चों की परवरिश में तो काम आती ही है , साथ ही मुसीबत के समय भी काम आती है। कई बार परिवार का जब कोई सदस्य बीमार पड़ जाता है, तब महिलाओं द्वारा संग्रहीत किया गया यही धन काम आता है लेकिन जब यही बचत बैंक में पहुंचेगी तो निश्चित ही इस पर ब्याज  मिलेगा और जमा धन बढ़ी हुई राशि के साथ ही मिलेगा। प्रधानमंत्री की यह जन धन योजना ऐसी ही महिलाओं के लिए क्रांतिकारी साबित होगी जो अपने घरों में पुरुषों से छिपाकर धन संग्रहीत करती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब इस योजना का शुभारंभ कर रहे थे, तब उन्होंने अपने भाषण में कहा कि यह योजना आर्थिक छुआछूत को दूर करेगी। अर्थात गरीब व अमीर कीखाई को पाटने का काम करेगी। मुझे याद है कि जब मोहल्ले में किसी पड़ोसी के यहां साइकिल आती थी तो दूसरा उसे बड़े ही हैरत से देखता था और उसे अमीर मानकर अपने को हीन भावना से ग्रसित पाता था। कमोवेश आज भी वही स्थिति है। अब यदि किसी के पास एटीएम कार्ड है या वह डेबिट कार्ड से माल में जाकर खरीदारी करता है तो वह अमीर में गिना जाता है, ऐसे में जनधन योजना के माध्यम से जब गरीब के पास डेबिट या क्रेडिट कार्ड होगा तो निश्चित ही वह अपने को भी अमीर के साथ खड़ा होता पाएगा।
केन्द्र सरकार की यह योजना भारत के स्वर्णिम विकास के लिए दूरगामी उद्देश्यों को ध्यान में रखकर संचालित की जा रही है, हो सकता है कि सरकार ने इस योजना का अभी पूरा खाका अभी प्रस्तुत नहीं किया हो, लेकिन यह तो तय है कि इस योजना के चलते देश की जनता सीधे सरकार से जुड़ जाएगी। इसके पीछे यह विचार था कि यदि देश गरीबी से पार पाना चाहता है, योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाना चाहता है, सब्सिडी के बंदरबांट से निजात पाना चाहता है, कुल मिलाकर विकास के लाभ को अंतिम आदमी तक पहुंचाना चाहता है, तो वित्तीय समावेशन इसकी सीढ़ी बन सकती है। वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को हासिल करने में प्रधानमंत्री जन धन योजना अहम साबित हो सकती है।
इसका उद्देश्य देश में सभी परिवारों को बैंकिंग से जोडऩा। इससे देश के बड़े हिस्से की बैंकों तक पहुंच सुनिश्चित होगी और वे अर्थव्यवस्था के मुख्यधारा से जुड़ेंगे। अभी देश के 40 प्रतिशत आबादी इससे बाहर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से इसकी घोषणा की थी। बृहस्पतिवार को देश भर में इसकी शुरुआत भी कर दी गई। इस योजना के तहत देश भर के आर्थिक रूप से पिछड़े ऐसे 7.5 करोड़ परिवारों के दो लोगों का बैंकों में खाता खोला जाना है, जिनका पहले से बैंकों में कोई खाता नहीं है। इस प्रकार कुल 15 करोड़ लोगों के बैंक खाते खोलने का लक्ष्य है।
बैंक खाता खुल जाने पर खाताधारी को रूपे नामक डेबिट कार्ड मिलेगा। साथ की खाताधारक को एक लाख रुपये की दुर्घटना बीमा मिलेगा। फिर अगले छह महीनों में हर खाते पर 5,000 रुपये के ओवर-ड्राफ्ट की सुविधा भी देने का लक्ष्य रखा गया है। वित्त मंत्रालय का मानना है कि इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बैंक खाता खुल जाने के बाद हर परिवार को बैंकिंग और कर्ज की सुविधाएं सुलभ हो जाएंगी। इससे उन्हें साहूकारों के चंगुल से निकलने, आपातकालीन जरूरतों के चलते पैदा होने वाले वित्तीय संकटों से खुद को दूर रखने और तरह-तरह के वित्तीय उत्पादों से लाभान्वित होने का मौका मिलेगा।
यह योजना गैरजरूरतमंदों को सब्सिडी रोकने में मददगार साबित हो सकती है। सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत नागरिकों को सब्सिडी देती है। अब सब्सिडी को सीधे कैश के रूप में हस्तांतरण किया जा सकता है। हालांकि इसके लिए सभी खातों को आधार के साथ जोड़ा जाएगा। वहीं किसान कार्ड अब इसी योजना के तहत जारी होंगे। और मनरेगा के तहत मजदूरी का भुगतान इन्हीं खातों के जरिए होगा। असंगठित क्षेत्र में पेंशन योजना को भी इसी से जोड़ा जाएगा। यह योजना दो चरणों में लागू होगी। पहला चरण 14 अगस्त 2015 तक होगा और दूसरा चरण 15 अगस्त 2015 से 14 अगस्त 2018 तक चलेगा। इससे नगदी का इस्तेमाल कम होने से भ्रष्टाचार भी कम होगा। इस प्रकार इसका अर्थ सिर्फ खाता खोलना ही नहीं बल्कि इससे बढ़कर है।
यह योजना आम आदमी को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा तो देगी ही, इससे बैंकिंग और बीमा सेक्टर में भी तेजी आएगी। इससे अर्थव्यवस्था का विस्तार होगा, गरीबों को बचत करने का माध्यम मिलेगा। देश में एक समस्या रही है कि योजनाओं का शुभारंभ तो काफी जोर शोर से होता है परंतु वे शुरुआती कुछ दिनों के बाद दम तोडऩे लगती हैं, उनमें शिथिलता आ जाती है। नरेंद्र मोदी सरकार के समक्ष चुनौती होगी कि वे इसे तय समय में पूरा करें। हालांकि खाता खोलने के लिए करीब 50 हजार कॉरस्पॉन्डेंट्स को तैयार करना और ओवरड्राफ्ट की भरपायी के लिए फंड जुटाना भी एक चुनौती है। यदि यह योजना साकार होती है तो मोदी सरकार की एक बड़ी कामयाबी मानी जाएगी।