महत्वपूर्ण लेख राजनीति

यदि रा‍हुल ‘ब्राह्मण’ तो सोनियाजी क्या हैं? / अम्बा चरण वशिष्ठ


गान्धी परिवार अपने आप को पंथनिरपेक्ष बताता है। दावा करते हैं कि उनकी राजनीति जाति और धर्म से ऊपर है। धर्मनिरपेक्ष होना और जातिवाद में आस्था न रखने का अर्थ यह नहीं होता कि व्यक्ति की कोई जाति नहीं है, धर्म नहीं। पण्डित जवाहरलाल नेहरू धर्मनिरपेक्ष थे और जातिवाद के विरोधी। इसके बावजूद उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि वह हिन्दू नहीं हैं या वह ब्राह्मण नहीं हैं।

पर यह समझ नहीं आता कि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गान्धी अपनी आस्था और अपने धर्म को क्यों अपना निजी मामला बता कर जनता से इस तथ्य को दूर रखना चाहती हैं? वैसे इतना तो सब जानते हैं कि श्री राजीव गान्धी से विवाह से पूर्व वह कैथोलिक क्रिश्चिथयन थीं। उन्होंने धर्म परिवर्तन किया था या नहीं यह तो वही बता सकती हैं।

पहले तो नाम से ही व्यक्ति की जाति, धर्म और यहां तक कि वह किस प्रदेश से है यह भी पता चल जाता था। पर आजकल नाम से ऐसा नहीं होता और आप भ्रम की स्थिति में पड़ सकते हैं।

इस लिये राहुल गांधी का नाम हिन्दू होने के बावजूद यह कहना कठिन है कि उनकी जाति और धर्म क्या है? सोनिया जी भी तो अपना धर्म नहीं बताना चाहतीं। उनकी जाति जानने का प्रयास करना ही बेकार है।

श्री राजीव और श्रीमती इन्दिरा गांधी के धर्म के बारे भी संशय की स्थिति है। हां इतना अवश्य है कि मरणोपरान्त दोनों का ही अन्तिम संस्का र हिन्दू पद्धति व परम्परा के अनुसार हुआ था।

सोनिया-राहुल दावा तो अवश्य करते हैं कि वह और उनकी कांग्रेस पार्टी पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष है पर धरातल पर यह सत्यि नहीं है। उत्तटर प्रदेश विधान सभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी व उनके मन्त्री धर्म के नाम पर मुसलमानों को आरक्षण की बात करते रहे और उनके वोट बटोरने के लिये वह उन्हें अधिक से अधिक आरक्षण के लिये समाजवादी पार्टी से होड़ में आ गये थे।

जाति की राजनीति में भी कांग्रेस पीछे नहीं रही। एक चुनावी सभा में राहुल गांधी ने श्री सैम पित्रोदा को खड़ा किया और जनता को बताया कि उनका असली नाम गंगा राम है और वह बढ़ई जाति से सम्बन्ध रखते हैं। पित्रोदा को इतने बड़े पद पर पहुंचाने का श्रेय भी उन्होंने कांग्रेस पार्टी को ही दिया।

राहुल गान्धी ने तो अब घोषणा कर दी है कि वह ब्राह्मण हैं। इसका तो अर्थ यह निकला कि वह हिन्दू भी हैं। अभी तक उनकी माता श्रीमती सोनिया गांधी और उनके पिता राजीव गांधी के धर्म के बारे अभी संशय की स्थिति है। उनही बहन प्रियंका गांधी वडरा तो क्रिश्चियन हैं, इस में कोई शक की गुंजाइश नहीं है। उन्होंने तो विवाह भी एक क्रिश्चियन से कर रखा है।

अब यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि राहुल गांधी कभी क्रिश्चियन थे या नहीं। यदि थे तो क्या अब उन्हों ने धर्म परिवर्तन कर लिया है? यह तो वह स्‍वयं ही स्पष्ट कर सकते हैं।

इस प्रकार राहुल व कांग्रेस जातिवादी व साम्प्रदायिक राजनीति नहीं तो क्या खेल रहे हैं? या फिर कांग्रेस की सांप्रदायिकता की परिभाषा ही अलग है। यानी यदि आप मुस्लमानों और क्रिश्चियनों के आरक्षण की बात करते हैं तो आप धर्मनिरपेक्ष हैं और हिन्दू की बात करते हैं तो आप सांप्रदायिक हैं।

कुछ भी हो अब तो लगता है कांग्रेस राजनीति की उस परिभाषा को चरितार्थ करने जा रही है जिसमें कहा गया है कि राजनीति वह कला है जिस में एक को दूसरे से बचाने के नाम पर ग़रीब के बोट और अमीर से धन ऐंठने का काम किया जाता है।