आर्थिकी राजनीति

रेलमंत्री जी! सुविधा नहीं, सुरक्षा जरूरी

रेलवे परिचालन में यात्रियों की सुरक्षा सदा से इस देश के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यक मुद्दा रहा है। यात्रियों की निर्विघ्न सुरक्षित यात्रा हो, इसके लिए प्रयास करना रेल विभाग का मूल दायित्व है। रेल सेवा की सार्थकता इस श्रेष्ठ उपलब्धि में ही निहित है कि हमारे देश वासियों की निर्वाध यात्रा पूर्ण सुरक्षा के साथ प्राप्त हो, परन्तु गत दिनों में अन्य घटनाओं के साथ मध्यप्रदेश के वित्तमंत्री जयन्त मलैया के साथ हुई लूटपाट की घटना से रेलयात्रियों की सुरक्षा पर भी प्रश्न चिन्ह लगे हैं तो दूसरी ओर लखनऊ के निकट वछरांवा स्टेशन पर देहरादून वाराणसी एक्सप्रेस की दुर्घटना ने देशवासियों के दिलों को दहला दिया है। इस रेल दुर्घटना में यात्रियों की मृत्यु का आंकड़ा लगभग 50 अंक को पार कर गया है तो लगभग दो शतक यात्रीगण घायल भी हुए है। यद्यपि केन्द्र सरकार और उत्तरप्रदेश सरकार ने सजगता दिखाते हुए संयुक्त रूप से मृतकों के परिजनों को 4 लाख तथा घायलों को 1 लाख मुआवजा देने की घोषणा कर पीडि़त लोगों के घावों पर राहत का मलहम लगाने की कोशिश की है। आर्थिक मुआवजा कभी भी किसी मृत व्यक्ति का मोल नहीं हो सकता है। पीडि़त परिवार की क्षति सदा उस परिवार के लिए एक अपूरणीय क्षति होती है और मुआवजा कभी भी उस असहनीय क्षति की पूर्ति नहीं कर सकता है।

केन्द्र सरकार को देहरादून वाराणसी एक्सप्रेस की वछरांवा स्टेशन पर घटी दुर्घटना के मूल कारणों की निष्पक्ष जांच करानी होगी ताकि देश को भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं के भयावह दृश्य न देखने पड़े। यह दुर्घटना निष्पक्ष जांच की आवश्यकता देश की सरकार के लिए रेखांकित करते हए इस सत्य का प्रकाशन चाहती है कि यह दुर्घटना मानवीय मूल या किसी तकनीकी गलती का परिणाम रही जिसमें देश के 50 नागरिकों ने असमय प्राण गंवाए और 200 यात्रियों को घायल होना पड़ा है। प्रारंभिक जांच में यह तथ्य भी प्रदर्शित हुआ है कि रेल ड्रायवर के अनुसार टे्रन के न रुकने पर यह हादसा हुआ। भविष्य में ऐसी रेल दुर्घटना न घटे इसके लिए रेलमंत्री सहित केन्द्र सरकार का आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

परन्तु अभी हाल की घटनाओं से यह तथ्य भी उभरकर सामने आया है कि आज रेल प्रशासन यात्रियों को सुरक्षित यात्रा उपलब्ध कराने में आंशिक रूप से ही सफल है। केन्द्र सरकार की लाख घोषणाओं के बावजूद रेल यात्रियों को सुरक्षा नहीं मिल रही है। जहर खुरानी से लेकर लूटपाट तथा छेड़छाड़ की घटनाओं में वृद्धि का प्रतिशत बढ़ा है। रेल यात्रियों को बदमाशों की अपराधिक गतिविधियों का शिकार होना पड़ रहा है। जीआरपी तथा रेलवे पुलिस में समन्वय न होने के कारण अपराधियों के पौ बारह है तथा सरकार का मुखबिर तंत्र भी कमजोर है। झांसी से मथुरा तक का 270 किलोमीटर का रेलवे टे्रक पूर्णता: असुरक्षित है तथा यहां इस टे्रक पर आपराधिक तथा लूटपाट की घटनाएं बहुतायत ढंग से घटी हैं। म.प्र. के वित्तमंत्री जयन्त मलैया के साथ हुई लूटपाट तथा रीवा सांसद जर्नादन मिश्रा और सीधी सांसद प्रीति पाठक का बेग चुराए जाने की घटना इसी रेलवे टे्रक झांसी मथुरा के बीच घटी है। यह 270 किलोमीटर का झांसी मथुरा टे्रक अपराधियों का अभयारण्य न बने इसके लिए केन्द्र सरकार सहित संबंधित राज्य सरकारों को सजगता से भरे आवश्यक प्रशासनिक कदम उठाने होंगे। ताकि रेलवे टे्रक सहित रेल यात्री सुरक्षित रहे।

यह निर्विवाद सत्य है कि देश की आजादी के बाद के शासनकाल में आवश्यकता के अनुसार रेलवे क्षेत्र में आशातीत प्रगति नहीं हुई है। जर्जर रेल टे्रक तथा जीर्णशीर्ण पुलों का प्रतिशत 70 प्रतिशत है । जर्जर रेलवे टे्रक तथा जीर्णशीर्ण रेलवे पुल सहित गम्भीर आर्थिक संकट भी नवोदित मोदी सरकार को विरासत में मिला है। पहली वार देश की नवोदित सरकार ने एफडीआई सहित कई विदेशी निवेशकारी योजनाएं प्रारंभ की है उनके परिणाम आगामी दिनों में पूरे देश को देखने को मिलेंगे। सरकार ने भले ही बुलेट टे्रन चलाने की योजना को अपने प्रगति के तानेबाने के रूप में स्वीकार किया है परन्तु यह भी गहरी सच्चाई है कि देश में बुलेट टे्रन चलाने से पहिले रेलवे के टे्रकों सहित जर्जर रेलवे पुलों के ढांचों में सुधार करना होगा। इससे रेल दुर्घटनाओं में कमी आएगी तथा देश और देश के रेलयात्री सुरक्षित होंगे।

वर्तमान में यदि निष्पक्ष विवेचन किया जाए तो रेलवे कर्मचारियों पर वर्तमान में काम का भारी दबाव है। कई दशकों से रेलवे में नई भर्तियों पर विराम लगा हुआ है। रेलवे के 35 प्रतिशत पद रिक्त पड़े हुए हैं। रेलवे में कर्मचारियों की भर्ती न होने से उन पर भारी दबाव है तथा वे काम के बोझ के तनाव से भी पीडि़त है रेलवे संरक्षा विभाग में 1 लाख 10 हजार पद रिक्त पड़े हैं। इस कारण कर्मचारियों का तनाव उन्हें मानवीय भूलों के लिए प्रेरित करता है। उनके काम के घन्टे अधिक है तथा विश्राम के अवसर कम है यह तनाव की प्रक्रिया उन्हें मानवीय भूल करने का मौका देती है। इसके अतिरिक्त हम आधुनिक टेकनीक यानी तकनीक से भी दूर है। अभी अंग्रेजों के जमाने की सिग्नल प्रणाली जारी है। हमें रेलवे को आधुनिक रूप देने के लिए नई तकनीकी प्रणाली का भी प्रयोग करना होगा।

यदि हमें रेल तथा रेल यात्रियों को सुरक्षित रखना है तो हमें नई तकनीक के साथ खुले फाटकों की सुरक्षा खुले तथा असुरक्षित टे्रक सहित टक्कर निरोधी उपकरणों का प्रयोग करना होगा। रेलवे में आवश्यक नई भर्ती कर कर्मचारियों की कार्य कुशलता बढ़ाने के कदम उठाने होंगे इससे निश्चित रूप से दुर्घटनाओं में कमी आएगी। दुर्घटनाओं के मूल में जर्जर रेलवे टे्रक, जीर्णशीर्ण पुल शाट्र सर्किट तथा असुरक्षित क्रासिंग एवं रेलवे स्टाफ की कमी आदि कारण शामिल है। नवोदित मोदी सरकार ने रेलवे का सार्थक विकास सहित रेलयात्रियों की सुरक्षा का जो विकास पथ चुना है उसके लिए सरकार को पर्याप्त आर्थिक संसाधन जुटाने होंगे। देश के नए रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशन में अधिक आर्थिक संसाधन एकत्रित करने की सफल कोशिश की है और विदेशी निवेश सहित एफडीआई तथा रेलवे में व्यापार तथा विज्ञापन प्रणाली का समावेश कर जो विकास का रेल बजटीय वह उनका मेहनत से निश्चित रूप से साकार होगा। देश भविष्य की दुर्घटना से बचे तथा रेलयात्रियों को निर्वाध तथा निर्विघ्न यात्रा का अवसर मिले इस महा उद्देश्य की पूर्ति नवोदित सरकार सफल हो यही देश कामना करता है।

-सुरेश हिन्दुस्थानी