मेरे मानस के राम : अध्याय 15

सीता जी की खोज का दूसरा अभियान

लक्ष्मण ने आकर जब सुग्रीव को झकझोरा तो वह अपने कर्तव्य के प्रति सावधान और सजग होकर पूर्ण मनोयोग से सीता जी की खोज में लग गया। वानरराज ने तुरंत अपने सैनिकों को समुचित निर्देश दिए और चारों दिशाओं में उन्हें सीता जी की खोज के लिए भेज दिया। सुग्रीव राज लक्ष्मण जी के साथ रामचंद्र जी के पास पहुंचे और उन्हें सीता जी की खोज के अभियान में जारी प्रयासों और प्रगति की वस्तुस्थिति से अवगत कराया। कपिराज सुग्रीव ने वानरों को विभिन्न दिशाओं में भेजते समय यह भी स्पष्ट कर दिया था कि तुम्हें एक मास के भीतर भीतर ही सीता जी के बारे में सूचना देनी होगी । जो कोई इससे अधिक समय लगाएगा, वह प्राण दंड का अधिकारी होगा। उसने अपने ससुर सुषेण को इस अभियान के लिए पश्चिम दिशा में भेजा था। जबकि हनुमान जी को दक्षिण दिशा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

वानर सेना को दिए , राजा ने निर्देश।
चप्पा चप्पा छानकर, पूर्ण करो आदेश।।

राम से जाकर कह दिया, राजा ने सब हाल।
बहुत निकट ही आ चुका, रावण का अब काल।।

हर दिशा सैनिक गए, छानी वन की खाक।
खोज ना पूरी हो सकी, जतन किए थे लाख।।

तीन दिशा की सूचना , पाकर हुए हताश।
अब तो बस हनुमान पर , रह गई सबकी आश।।

हनुमान मित्रों सहित , सह रहे कष्ट अनेक।
सिया खोज में थक गए, राह मिली नहीं एक।।

हनुमान जी अपने मित्रों के साथ सीता जी के खोजी अभियान में लगे हुए थे। अंगद और जामवंत भी उनके साथ थे। उनका दल भी लगभग निराश हो चुका था । पर तभी सौभाग्य से उन्हें संपाति मिल गये । संपाति ने उन्हें सब रहस्य खोल खोल कर बता दिया कि लंकेश रावण कहां पर निवास करता है ? यदि उसे खोजना है तो आपको समुद्र को लांघ कर जाना पड़ेगा।

संपाति मिले भाग्य से, हुए संकट सब दूर।
संशय सारे मिट गए, सर्वत्र बिखर गया नूर।।

संपाति से मिल गया, भेद कहां लंकेश ?
पता चला सही ठौर का, कहां है उसका देश ?

उछल पड़े वानर सभी, बजने लगा संगीत।
सबके सब हर्षित हुए, कोई नहीं भयभीत।।

जीवन में संगीत का , मजा ही है कुछ और।
हृदय में आनंद हो, हर्ष दिखे सब ठौर।।

वानर सब करने लगे, आपस में सोच विचार।
कैसे किस विध हो सके, विशाल समुंदर पार।।

जामवंत ने अंत में , युक्ति लई निकाल।
हनुमान ही कर सकें, पार ये जलधि विशाल।।

हनुमान सहमत हुए, चुनौती की स्वीकार।
खुशी खुशी वे चल दिए, सागर के उस पार।।

  • डॉ राकेश कुमार आर्य
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राकेश कुमार आर्य
उगता भारत’ साप्ताहिक / दैनिक समाचारपत्र के संपादक; बी.ए. ,एलएल.बी. तक की शिक्षा, पेशे से अधिवक्ता। राकेश आर्य जी कई वर्षों से देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। अब तक चालीस से अधिक पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। वर्तमान में ' 'राष्ट्रीय प्रेस महासंघ ' के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । उत्कृष्ट लेखन के लिए राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह जी सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं । सामाजिक रूप से सक्रिय राकेश जी अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अखिल भारतीय मानवाधिकार निगरानी समिति के राष्ट्रीय सलाहकार भी हैं। ग्रेटर नोएडा , जनपद गौतमबुध नगर दादरी, उ.प्र. के निवासी हैं।

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