मेरे मानस के राम : अध्याय 50

विभीषण जी का विलाप

कहा जाता है कि:-

खून आखिर खून है यह बेवफा होता नहीं।
वक्त के तूफान में रिश्ता जुड़ा होता नहीं।।

बस, यही वह बात थी, जिसने विभीषण जी को इस समय रोने के लिए विवश कर दिया। अपने सहोदर रावण के धरती पर पड़े शव को देखकर उनके आंसू रुक नहीं पा रहे थे। पीछे की सारी मूर्खताएं , रावण का अल्हड़पन ,अनाड़ीपन, उसका अहंकारी स्वरूप आदि सब विभीषण जी ने एक पल में भुला दिया। अब भावनाएं आगे बढ़ चुकी थीं। जिनके प्रबल वेग के चलते विभीषण जी बच्चों की भांति विलाप करने लगे।

विभीषण जी संताप से , करने लगे विलाप।
भाई को मरा देखकर , लगा गहन आघात।।

भाई के प्रति भाई को , घेर रहे थे भाव।
अश्रुओं से बह गए , जो भी दिए थे घाव।।

भावना संवेदना, पूंजी बड़ी अनमोल।
सही धनी होता वही , शब्द बोलता तोल।।

खून आखिर खून है, नहीं जुदा कभी होय।
गद्दारी करता नहीं, वक्त पड़े पर रोय।।

विभीषण जी कहने लगे, सुनो ! बात लंकेश।
सही समय सही सोचते, बच जाता यह देश।।

रावण विद्या विषारद था। वेदों का ज्ञाता था। परम विद्वान था। परंतु आचरण में शून्य था। जिसके कारण उसकी यह गति हुई। इसमें भी दो मत नहीं है कि वीरों का वह आश्रय था। आज अनेक वीरों का आश्रय समाप्त हो गया। विभीषण जी को अपने भाई के साथ बीते हुए पलों की स्मृतियां बार-बार झकझोर रही थीं। जिनके कारण उनके आंसू झर-झर बहते जा रहे थे। विभीषण जी का आज बचपन जीवंत को उठा था। बचपन में भाई के साथ खेलना, उसके साथ किशोरावस्था में उसके साथ बीता हुआ समय आदि सब उन्हें बार-बार और रह-रह कर स्मरण आ रहे थे।

विद्या विशारद आप थे , सोते उत्तम सेज।
आज आपने बना लिया , धरती को ही सेज।।

अंत आपका हो गया, चला गया बलवान।
वीरों का था आश्रय, बड़ी अनोखी शान।।

शरीर – धारी धर्म का, हो गया है नाश।
धरती डूबी शोक से, डूब गया आकाश।।

राम जी कहने लगे – था वीर पुरुष लंकेश।
किसी वीर की मृत्यु पर , अच्छा नहीं कलेश।।

जो आया सो जाएगा , यही जगत की रीत।
जैसी इसमें आपकी , वैसी मेरी प्रीत।।

डॉ राकेश कुमार आर्य

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राकेश कुमार आर्य
उगता भारत’ साप्ताहिक / दैनिक समाचारपत्र के संपादक; बी.ए. ,एलएल.बी. तक की शिक्षा, पेशे से अधिवक्ता। राकेश आर्य जी कई वर्षों से देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। अब तक चालीस से अधिक पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। वर्तमान में ' 'राष्ट्रीय प्रेस महासंघ ' के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । उत्कृष्ट लेखन के लिए राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह जी सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं । सामाजिक रूप से सक्रिय राकेश जी अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अखिल भारतीय मानवाधिकार निगरानी समिति के राष्ट्रीय सलाहकार भी हैं। ग्रेटर नोएडा , जनपद गौतमबुध नगर दादरी, उ.प्र. के निवासी हैं।

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