आर्थिकी

बाबा रामदेव का अर्थतंत्र

डॉ. मयंक चतुर्वेदी

योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनियों और टन्स्ट की संपत्ति को लेकर आज नया विवाद शुरु हो गया है। कांग्रेस व उसके समर्थकों को लगता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करने वाला यह बाबा यहीं नहीं रुका तो न केवल केन्द्र से कांग्रेस नीत संप्रग सरकार जायेगी, बल्कि पोल खुल गई तो यह सच भी जग जाहिर हो जाएगा कि कांग्रेस व उससे जुडे कितने ही उद्योगपति व्यवसायी, राजनेता हैं, जिन्होंने भ्रष्टाचार से अरबों-खरबों में कालाधन इकट्ठा कर विदेशी बैंकों में जमा कर रखा है।

रामदेव के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और उससे प्राप्त जनसमर्थन से भयभीत केन्द्र सरकार अब उनका भी वही हस्र करना चाहती है जो एक माह पूर्व समाज सेवक अन्ना हजारे टीम का उसने किया था। जब सरकार को लगा कि बाबा की बेदाग छबि के कारण उन्हें इस प्रकार के किसी राष्ट्रीय और सामाजिक जागरण के मूवमेन्ट से नहीं रोका जा सकता, तो उसने बाबा रामदेव को ही बदनाम करने के लिए अपनी तैयारी शुरु कर दी। वस्तुत: चारित्रिक रूप से तो इस योग गुरु बाबा पर उंगली नहीं उठाई जा सकती, किन्तु आर्थिक आरोप किसी पर भी लगाना संभव है। बाबा भी अपने सेवा कार्य के उद्देश्य को लेकर खडे किये गये टन्स्ट और कंपनियों को लेकर अब आर्थिक अनियमितता के बहाने केन्द्र सरकार के निशाने पर आ गये हैं। कांग्रेस सीबीआई और आयकर विभाग का उपयोग हथियार के रुप में योग गुरु रामदेव के खिलाफत करने पर उतर आई है। उनके ट्रस्‍ट और उससे जुडी कंपनियों का हिसाब क्या है, इसे लेकर आज केन्द्र सरकार की रामदेव पर वक्र दृष्टि है।

पंतजलि आयुर्वेद लिमिटेड, दिव्य फार्मेसी योग, आरोग्य हर्ब्स, झारखण्ड मेगा फूड पार्क, दिव्य पैकमेफ, वैदिक अष्ट भजन ब्रॉडकास्टिंग, डायनमिक बिल्डकॉम, पंतजलि बायो रिसर्च इन्स्टीट्यूट आदि बाबा रामदेव से जुडी वह कंपनियाँ हैं, जिनके बहाने सरकार बाबा को भ्रष्ट ठहराने के प्रयास में जुट गई है, लेकिन केन्द्र सरकार यह क्यों भूल रही है कि भले ही बाबा आज इन कंपनियों को चला रहे हों, किन्तु उन्होंने अपने देश का पैसा न ही विदेशों में जमा किया है और न ही किसी काले कामों में लगाया है। उनकी यह कंपनियाँ तथा उससे अर्जित आय आज लाखों बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने का माध्यम है।

केंद्र सरकार योग गुरु रामदेव को अपने शिकंजे में फासने में सफल हो पाती उससे पहले बाबा ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा जिस प्रकार सार्वजनिक किया और वेबसाईट के माध्यम से विश्व के आखिरी कोने में खडे प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाया है। इससे बाबा की नेक नियति और देशभक्ति पूर्ण रूप से झलकती है। योग गुरु के अनुसार उनके संस्थानों दिव्य योग मंदिर, पतंजलि योगपीठ, भारत स्वाभिमान टन्स्ट, आचार्यकुल शिक्षा संस्था की पूंजी तकरीबन 426 करोड है। पिछले वर्षों में कुल 1177 करोड रुपए बाबा को प्राप्त हुए। यह ध्यान रखना चाहिए कि बाबा ने यह संपत्ति कोई एक दिन, एक माह या एक वर्ष में नहीं अर्जित कर ली। यह तो गत 17 वर्षों में प्राप्त की हुई धनराशि है। इस कालखंड में उन्होंने 249 करोड रुपए चैरिटी पर खर्च किए हैं। समाज सेवा और जन कल्याण के लिए किसी योग गुरु बाबा के द्वारा 249 करोड की भारी-भरकम राशि खर्च करना बहुत मायने रखता है, क्योंकि न तो इस देश में ऐसे राजनेताओं की कमी है, जिन्होंने गलत तरीके अपनाकर अरबों-खरबों की संपत्ति जोड रखी है और न ही ऐसे प्रशासनिक अधिकारी, उद्योगपतियों और धर्मगुरुओं की कमी है, जिनके पास अकूत संपत्ति न हो, किन्तु समाज के हितार्थ इतनी बडी रकम खर्च करने की हिम्मत बिरले ही जुटा पाते हैं। बाबा की इस समाजसेवा के लिए वास्तव में भारत की सरकार को उन्हें धन्यवाद देना चाहिए।

बाबा रामदेव का केवल इतना ही पक्ष नहीं है, जब यह कहा जाता है कि योग गुरु बाबा रामदेव की देशभर में 44 प्रमुख कंपनियां हैं तो यह भी निश्चित है कि उनकी एक कंपनी में कम से कम 10 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इन दस हजार लोगोंं के परिवार बाबा रामदेव की एक-एक कंपनी पर निर्भर हैं। इस हिसाब से इन चौबालिस कंपनियों में लगभग 4 लाख 40 हजार व्यक्तियों को बाबा ने अपने यहाँ रोजगार दे रखा है। इनके परिवार के अन्य चार सदस्यों को और जोड लिया जाए तो बाबा रामदेव आज तकरीबन 18 लाख लोगों के लिए दोनों समय के भोजन, छत, कपडा और मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं। यह तो मुख्य केंद्रस्थ जन हैं। इनके अलावा आज इनसे जुडे और ऐसे न जाने कितने लोग होंगे जो इस योग गुरू और बाबा की कंपनियों से जुडकर रोजगार प्राप्त कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। इसके अलावा योग गुरु बाबा रामदेव के अनेक ऐसे पहलु हैं जो उन्हें वर्तमान समय में देश का एक महानायक सिध्दा करने के लिये पर्याप्त हैं। सभी जानते हैं कि उन्होंने दुनिया से धीरे-धीरे गायब हो रहे भारतीय योग को न सिर्फ फिर से खोई पहचान दिलाई है, बल्कि योग के क्षेत्र में प्राचीलकाल में श्रेष्ठ मुकाम हासिल कर चुकी हिन्दुस्तान की धरती को योग का खोया गौरव वापस दिलाया है। इसे सभी स्वीकार करेंगे कि बाबा रामदेव ने ही योग को वैश्विक पहचान दी है।

यही कारण है कि आज भारत ही नहीं दुनियाभर में योग के असंख्य भक्त हैं। योग के सहारे बाबा ने न केवल देसी आयुर्वेद एवं अन्य उत्पादों को बढाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि महंगे उपचार और दवाइयों से लोगों को मुक्ति दिलाने की भी अभूतपूर्व पहल की है। बाबा ने लोगों को यह भी बताया कि वह कैसे योग के माध्यम से अपने आप को स्वस्थ रख सकते हैं इसके लिए बाबा ने लौकी, पालक, करेले के जूस के जरिए स्वास्थ्य वर्धक तरीके बताए हैं।

आज रामदेव के कारण देश में उन छोटे किसानों को अत्यधिक लाभ हुआ है जो सीमित संसाधन और जमीन मेें लोकी,खीरा, करेले, पालक, जैसी बेलदार तथा पत्तेदार सब्जियाँ उगा सकते हैं। जबसे बाबा रामदेव की योगक्रांति घर-घर पहुँची है, देसी उत्पादों की बढती मांग से देश के लाखों किसानों के सामाने आय के नए स्रोत पैदा हुए हैं और आज किसान इन सब्जियों के सहारे अच्छी खासी आय प्राप्त कर रहे हैं। गरीब किसानों का अर्थतंत्र मजबूत हुआ हैं। छोटे हाथ ठेले वाले, सब्‍जी बेचने वाले, फैरी देने वाले ऐसे न जाने कितने अनगिनत लोग हैं जिन्हे बाबा ने अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों, अरबों का रोजगार उपलब्ध कराया है।

बाबा के द्वारा स्वेदेशी का आग्रह, एलोपेथी दवाओं के स्थान पर आयुर्वेदिक उत्पादों को अधिक उपयोग में लाने की सलाह ने भारत की लाखों आबादी को मंहगी दवाओं के चंगुल से बचाया है। वहीं आम जन के स्वास्थ्य को बनाने तथा उसे व्यर्थ के खर्चे से बचाकर रखा है।

योग गुरू रामदेव के कारण देश में आज पेय पदार्थों का बिजनेस करने वाली कोक, पेप्सी जैसी विदेशी कंपनियाँ भयभीत हैं। यह चमत्कार बाबा रामदेव ही कर सकते थे कि बेतहाशा विज्ञापन और युवाओं को आकर्षित करने वाले ठंडे पेय विदेशी ब्राण्ड नींबू पानी के सामने फेल हो गए। आज भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी नीबू पानी जैसे स्वदेशी पेय पदार्थों का चलन बढ गया है जो सस्ते व स्वास्थ्यवर्धक हैं।

देशभर में कुछ चैनल बाबा रामदेव की छीछालेदर कर रहे हैं और कह रहे हैं कि बाबा ने अपनी कंपनियों का हिसाब नहीं दिया। जबकि सच तो यह है कि योग गुरू रामदेव ने देश के राजनेताओं, उद्योगपतियों और धर्मगुरुओं को सबक सिखाते हुए चंद मिनटों में अपना पूरा हिसाब सबके सामने रख दिया। जब वे कह रहे हैं कि और अधिक जानकारी उनकी बेवसाइट से प्राप्त कर सकते हैं, तब आखिर मीडिया चैनल्स क्यों उनके पीछे पडे हैं। मीडिया अतिरिक्त महनत करना क्यों नहीं चाहती। क्या सत्तासीन सोनिया, राहुल, मनमोहन, चिदंबरम, सिब्बल वाली कांग्रेस पार्टी और उसके तथाकथित नेता कभी यह हिम्मत दिखा पाएंगे कि वह अपनी पूँजी का खुलासा चंद मिनटों में कर देश की जनता को यह बता सकें कि उन्होंने कहाँ-कहाँ और कितना-कितना रूपया जमा कर रखा है।

योग गुरू बाबा रामदेव ने केंद्र सरकार से देशहित में बिल्कुल उचित मांग की हैं। जिन्हे केंद्र की कांग्रेसनीत संप्रग सरकार को देशहित में सहज स्वीकार कर लेना चाहिए। एक अनुमान के अनुसार जो 400 लाख करोड रूपए इस देश का विदेशों में जमा है जिसे योग गुरू बाबा रामदेव भारत सरकार से देश में वापस लाने की मांग कर रहे हैं, यदि भारत वापस आ जाए तो यह देश अर्थ के मामले में दुनिया का नंबर एक देश बन जाएगा। भारत के प्रत्येक जिलें को 60 हजार करोड तथा प्रत्येक गांव को 100 करोड रूपए विकास के लिए प्राप्त होंगे। किसी को 20 वर्षो तक किसी भी तरह के टैक्स देने की जरूरत नहीं पडेगी। पेटनेल 25 रूपए, डीजल 15 रूपए, दूध 8 रूपए प्रति लीटर और दालें 20 रूपए प्रति किलो उपलब्ध होंगी। इस देश के लोगों को बीजली बिल चुकाने की जरूरत नहीं पडेगी। भारत की सीमाओं की जो खस्ता हालत आज हैं, चीन, बाग्लांदेश, पाकिस्तान जैसे सीमावर्ती देश आए दिन जो घुसपैठ हमारे देश में करवाकर अराजगता फैलाने का जो प्रयास करते हैं, वह ताकतवर सीमा सुरक्षा के कारण बिल्कुल बंद हो जाएगी।

शिक्षा के स्तर पर भारत में एक नहीं बल्कि 1500 आक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालय खोले जा सकते हैं, यह तो कुछ ही अनुमान हैं। इसके अलावा अनेक ऐसे प्रोजेक्ट इस देश में संचालित किए जाना संभव हैं जिसके लिए आज भारत सरकार और राज्यों की सरकारें रूपयों के अभाव का रोना रोती हैं। वस्तुत: समकालीन समय में बाबा रामदेव का योगदान शक्तिशाली भारत के निर्माण में जितना भी अधिक आंका जाए उतना ही कम होगा। आज उनके अर्थतंत्र ने इस देश को बहूमुखी क्षेत्रों में सुह्ढ व शक्तिसंपन्न, सामर्थ्यवान बनाने का प्रयास किया है। इसके लिए सम्पूर्ण देश को उनका कृतज्ञ होना चाहिए।