कविता

रिश्ते प्रतिशत में कभी नहीं होते

—विनय कुमार विनायक
रिश्ते प्रतिशत में कभी नहीं होते
राम है भाई श्याम के जितने
उतने राम भाई हैं रहमान के भी!

वे माता-पिता जितने हैं पुत्रों के
उतने माता-पिता वे पुत्रियों के भी!

रिश्ते कभी प्रतिशत में नहीं होते
सबके साथ रिश्ते शत प्रतिशत होते!

रिश्ते धन की तरह बांटे नहीं जाते
रिश्ते फसल की तरह काटे नहीं जाते!

मगर रिश्ते या तो निभाए जाते
या रिश्ते एक झटके में ही टूट जाते!

कोई नहीं कह सकता कि वो मामा है
आधे मेरे और आधे मेरे मौसेरे भाई के!

रिश्ते कभी रबर सा घटते बढ़ते नहीं
रिश्ते शत प्रतिशत ईश्वर सा संपूर्ण होते!

हे मानव भले कुछ बचाओ या नहीं
मगर हमेशा संपूर्ण रिश्ते को बचाए रखो!

मित्रता गहरी या उथली हो सकती
मित्रता तो घटती-बढ़ती शर्तों में होती!

तुम और वो मित्र हो सकते हो
पर तुम मेरे शत्रु, वो मेरे मित्र हो जाते!

इस अर्थ में मित्रता से ऊपर है रिश्ते
रिश्ते नहीं बांटे जाते और न काटे जाते!

रिश्ते के लिए नहीं जरुरी समान धर्म
रिश्ते तो विधर्मियों के मध्य भी हो जाते!

रिश्ते चाहे जिनके भी साथ बन जाएं
रिश्ते निभाएं क्योंकि रिश्ते छुईमुई होते!
—विनय कुमार विनायक