धर्म क्या है?

-बीनू भटनागर-
religion

धर्म क्या है?
केवल संस्कृति!
या फिर एक नज़रिया!
या फिर जीने की कला!
जो है जन्म से मिला।
धर्म जो बांट दे,
धर्म जो असहिष्णु हो,
तो क्या होगा किसी का भला!
व्रत उपवास ना करूं,
मंदिरों में ना फिरूं,
या पूजा पाठ ना करूं,
तो क्या मैं हिंदू नहीं?
रोज़ा नमाज़ ना करूं
तो क्या मैं मुस्लिम नहीं?
मै अधर्म ना करूं,
तो क्या मैं धार्मिक नहीं?
धर्म तो है जोड़ता,
नहीं है वो तोड़ता,
यही है धर्म निर्पेक्षता!
माथे पे हो चंदन टीका,
या हो जालीदार टोपी,
ईश तो सबका वही है,
नहीं तो है सिर्फ धोखा!

1 COMMENT

  1. धर्म वह है जो धारण करने योग्य है,
    जिसे धारण करने से,
    व्यक्ति,
    समाज
    एवं
    विश्व
    सुखी बनेगा.

    धर्म की राह
    विविधताओं से भरी है,
    वह जो चाहता है
    की सारे विश्व में
    उस एक सम्प्रदाय का शाषण हो,
    सब लोग वही करे और वैसा
    हीं सोचे जो उस पुरानी
    पवित्र (?) किताब में लिखा है
    तो वह मार्ग
    धर्म का मार्ग नहीं है.

    आप मंदीर जाए
    या मन के मंदीर में
    उस परम सत्य का दर्शन कर लें,
    यह विषय आपका व्यक्तिगत है.

    मुझे गर्व है अपनी जीवन पद्दति पर,
    लोग अब इसे धर्म कहने लगे है,
    मैंने भी मान लिया की चलो
    यह धर्म है.
    लेकिन चित्त के एक स्तर पर
    मै जानता हूँ
    यह मार्ग
    मुझे भौतिकता से
    परे सूक्ष्मतम
    परम सत्य के नजदीक
    ले जाने वाला है.

    यह जगत सत्य है,
    लेकिन वह ब्रह्म भी सत्य है,
    कदाचित इस जगत से बड़ा सत्य,
    उस ज्ञान के बगैर मै कैसे
    पार कर पाउँगा.

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