जनरल साहब की बगावत! – विभोर त्रिखा

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Khanduriपाकिस्तान के संरक्षक मौहम्मद अली जिन्ना की तारीफों के पुल बांधने में जुटी भाजपा के भीतर भारी पैमाने पर व्याप्त हो चली अन्तर्कलह व सड़कों पर हो रही घोर छिदलेदारी की लपटें राज्य उत्तराखण्ड में भी आ पड़ी है और यहां पूर्व सीएम भुवन चन्द्र खण्डूड़ी ने भी केन्द्रीय भाजपा नेतृत्व पर निशाना साधकर बगावत छेड़ दी है तथा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह को कटघरे मेंखड़ा कर दिया है।

जनरल खण्डूड़ी ने भाजपा चितंन बैठक से चन्द दिन पहले ही एक पत्र राजनाथ सिंह के नाम भेजा था जिसमें इस बात पर नाराजगी जताते हुए जवाब मांगा गया कि जब उनके पास 27 विधायकों का समर्थन प्राप्त था तो फिर उन्हें (खण्डूडी) क्यों मुख्यमंत्री की कुसी्र से हटाया गया। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खण्डूड़ी अपने इन बगावती तेवरों को लेकर सामने नहीं आने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं।

लेकिन हकीकत यह सामने आ गयी है कि पूर्व सी.एम. जनरल खण्डूड़ी अपनी सी.एम. की गद्दी जाने के बाद से ही पार्टी आलाकमान से बुरी तरह से खफा एवं बागी हो गये थे। मीडिया के सामने भुवन चन्द्र खण्डूड़ी थोड़ा बहुत बोलकर चुप्पी ही साधे रहे हैं। जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री खण्डूड़ी ने अपना निशाना अपनी सी.एम. की कुर्सी को लेकर पार्टी आलाकमान के ऊपर साधा है उससे जाहिर तौर पर मौजूदा निशंक की सरकार को राजनैतिक दृष्टि से बहुत बड़ा खतरा पैदा होता प्रतीत होने लगा है। भले ही लाख गुणगाान जनरल खण्डूड़ी ने निशंक के सी.एम. बनने के दौरान किये हो, कितने ही बड़े-बड़े कसीदे उहोंने निशंक की तारीफों में पढ़े हो, लेकिन अन्दर ही अन्दर पूर्व सी.एम. खण्डूड़ी अपनी रणनीति को अन्जाम देते रहे।

आज खण्डूड़ी ने आखिरकार भाजपा नेतृत्व के भू अप्रत्यक्ष रूप से प्रदेश की निशंक सरकार पर निशाना साधा लिया है।भाजपा में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की टीम के पार्टी नेता लोकसभा चुनाव-2009 के बाद पराजय अथवा सत्ता से कोसों दूर चले जाने के बाद से केन्द्रीय नेतृत्व से नाराज होत चलेग आ रहे हैं। आज आलम यह है कि वसुंधरा, जसवंत सिंह, अरूण शौरी, सुदर्शन आदि ने पाटी्र के भीतर ही बगावती तेवर आख्तियार कर लिये हैं। एक के बाद एक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नेताओं की लाईन में जिस खोल रहे धुरन्धर नेताओं की लाई में जिस प्रकार से उत्ताराखण्ड के पूर्व सी.एम. जनरल खण्डूड़ी भी आ खड़े हुये हैं, उससे ऐसा पूर्व अनुमान लगाया जा सकता हे कि राज्य में भी भाजपाई केन्द्रीय नेतृत्व को लेकर बागी हो गई हैं।

देखना यह है कि बागी तेवर अपनाने वाले खण्डूड़ी को भी क्या पार्टी से सस्पेंड किया जा सकता है। खण्डूड़ी दावा कर चुके है कि प्रदेश में 27 विधायकों का जब उन्हें समर्थन मिल चुका था तो भला उनको सी.एम. की कुसी्र से कयों हटाया गया? देखना यह है कि ताबड़तोड़ आरोपों-विवादों से घिरे पाटी्र सुप्रीमों राजनाथ सिंह उत्ताराखण्ड के पूव्र मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खण्डूड़ी के लिए अपने दरबार से बदले में क्या फरमान जारी करते है? वह फिलहाल वचक्त के गर्भ में समाहित है। क्योंकि विकासनगर का उपचुनाव अभी बाकी है।

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