दादा जोड़े पली पली…..सिंह हड्हावे कुप्पे !

0
169

इसे दादा की तंग दिली कहें या भारत जैसे भूखे नंगे देश के वित्त मंत्री की मजबूरी कि भूख से बिलखते भारतियों की थाली से ५० लाख टन अनाज छीन लिया ताकि ७००० करोड़ रूपए की बचत हो सके.

रंगराजन समिति ने सिफारिश की कि गरीबों को कम दाम पर १.३ करोड़ टन अनाज बाँट दिया जाए क्योंकि भण्डारण क्षमता न होने के कारन १.९ करोड़ टन अनाज खुले में सड रहा है. ऍफ़.सी.आई के पास मात्र ६.२ करोड़ टन अनाज भण्डारण कि व्यवस्था है जब कि ८.२ करोड़ टन अनाज के भण्डारण की दरकार है. हमारे वित्त मंत्री बंगाली बाबु को गरीबों को सस्ता अनाज बांटने पर खर्च होने वाली १७००० करोड़ रूपए की सब्सिडी ‘फ़िज़ूल खर्ची’ लगी और १.३ करोड़ टन की जगह ८० लाख टन अनाज ‘भूखे भारतियों’ को बाँटने पर राज़ी हुए, ताकि ७००० करोड़ रूपए की बचत हो सके. सर्वोच्च न्यायालय के उन आदेशों पर भी ‘दादा’ इसी लिए चुप्पी साध गए ,जिसमे कोर्ट ने खुले में सड रहे अनाज को गरीबों में मुफ्त में बाटने के निर्देश दिए थे, क्योंकि अनाज बांटना घाटे का सौदा है. अनाज बांटने के लिए सरकार को महंगे में अनाज खरीद कर सस्ते/मुफ्त में देने पर भारी सब्सिडी का बोझ उठाना पड़ता है. इस लिए बांटने से बेहतर तो सड़ना ‘दादा’ को फायदे का सौदा लगता है…. शायद इसी लिए ‘राजमाता’ को भी ‘दादा’ को महामहिम’ के सिंहासन पर ‘आरूढ़’ करना फायदे का सौदा लगा .

अब हमारे सिंह साहेब की दरिया दिली देखिये …जी २० देशो के शिखिर संमेलन में युरोजोंन की आर्थिक मदद के लिए १० अरब डालर अर्थात ५६००० करोड़ रूपए ‘दान’ दे दिए….विकसित देशो के आगे पीछे आर्थिक मदद के लिए गिडगिडाते फिरने वाले हमारे महान अर्थशास्त्री की दरिया दिली की तो बस दाद ही देनी पड़ेगी. दादा ने गरीबों के मुंह का निवाला काट कर ७००० करोड़ रूपए बचाए तो सिंह साहेब ने उससे आठ गुना ५६००० करोड़ रूपए लुटा दिए महज़ इस लिए कि भारत भी एक विश्व शक्ति है …और विश्व को बचाने के लिए किसी भी हालत में वह चीन से पीछे नहीं रह सकता .. अरे चीन ने तो ४३ अरब डालर की मदद की है … क्या है आप की इतनी औकात ?

इसे कहते हैं ‘दान वीर करज़ई’ !…सत्य मेव जयते.

Previous articleमतदान से पूर्व ही राष्ट्रपति चुनाव पर लगा विवाद का ग्रहण
Next articleगजल:जो दिल में रहते हैं
एल. आर गान्धी
अर्से से पत्रकारिता से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में जुड़ा रहा हूँ … हिंदी व् पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है । सरकारी सेवा से अवकाश के बाद अनेक वेबसाईट्स के लिए विभिन्न विषयों पर ब्लॉग लेखन … मुख्यत व्यंग ,राजनीतिक ,समाजिक , धार्मिक व् पौराणिक . बेबाक ! … जो है सो है … सत्य -तथ्य से इतर कुछ भी नहीं .... अंतर्मन की आवाज़ को निर्भीक अभिव्यक्ति सत्य पर निजी विचारों और पारम्परिक सामाजिक कुंठाओं के लिए कोई स्थान नहीं .... उस सुदूर आकाश में उड़ रहे … बाज़ … की मानिंद जो एक निश्चित ऊंचाई पर बिना पंख हिलाए … उस बुलंदी पर है …स्थितप्रज्ञ … उतिष्ठकौन्तेय

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress