रफ का वो कापी

रफ का वो कापी
थोडी फटी सी, थोडी पुरानी ।
किसी की यादें
किसी की बातें
थी उसमें कई कहानी
रफ का वो कापी
थोडी फटी सी ,थोडी पुरानी ।

किसी पन्ने पर चुटकुले लिखाते
तो किसी पर कविता ,कहानी
कहीं पर प्रेम को छुपाते
तो कहीं गनित बनाते
कई पन्नों को फूलों से सजाते
रफ का वो कापी
थोडी फटी सी, थोडी पुरानी ।

मेहंदी का रेखा-चित्र होता
मुन्ना का तस्वीर रोता
काश रफ का वो कापी
आज भी मेरे पास होता

थोडी फटी सी, थोडी पुरानी
मेरे और मेरे यारों की कहानी
रफ का वो कापी
थोडी फटी सी, थोडी पुरानी ।

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