समुद्री जहाजों से उठते सवाल ?

प्रमोद भार्गव

imagesदेश के दक्षिणी और पश्चिमी समुद्रतटीय क्षेत्रों में समुद्री जहाज संकट के सबब बन रहे हैं। हाल ही में तटरक्षक बल और चेन्नई पुलिस ने साहसिक कार्य करते हुए एक विदेशी जहाज को अवैध तरीके से भारतीय समुद्री सीमा में प्रवेश करने पर हिरासत में ले लिया। इसके 35 चालक सदस्य गिरफ्तार किए गए है, जिनमें 8 भारतीय है। इस जहाज में भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारुद बरामद हुए हैं। जाहरि है यह मामला बेहद गंभीर होने के साथ समुद्री सीमा संबंधी कानून के उल्लंघन के दायरे में तो आता ही है राश्टीय सुरक्षा से जुड़ा भी गंभीर मसला है। क्योंकि मुंबई में 5 साल पहले जो आतंकवादी हमला हुआ था वे समुद्री रास्ते से ही भारतीय सीमा में घुसे थे।

भारत की समुद्री सीमा बहुत लंबी है, इसलिए इस पर नजर रखना एक कठिन चुनौती है। लिहाजा भारत में अवैध तरीके से जहाजों की घुसपैठ बनी रहती है। इसी का परिणाम समुद्री जहाज की ताजा घुसपैठ है हिरासत में लिया गया यह जहाज अमेरिकी कंपनी एडवन फोर्ट इंटरनेशनल का है। गिरफ्तारी के समय कंपनी के अध्यक्ष ने दावा किया कि जहाज पर मिलें सभी हथियार वैध हैं और ये व्यापारिक जहाजों को जलदस्सुओं से रक्षा के लिए रखे थे। लेकिन चैन्नई पुलिस की पड़ताल ने जो सवाल उठाये गये वे बेहद महत्वपूर्ण होने के साथ जहाज की संदिग्धता बनाये रखने वाले है। यदि बाकई एडवन फोर्ट जहाज की गतिविधियां वैध थी तो फिर उसने भारतीय जल सीमा में गैर कानूनी ढंग से प्रवेश क्यों किया ? यही नहीं इस जहाज ने 1500 लीटर डीजल भी अवैद्य तरीके से खरीदा, क्यों ? इस पोत से गिरफ्तार किए गए कर्मचारियों में 8 भारतीय है। इनमें एक नौसेना का सेवानिवृत्त अधिकारी और 3 थलसेना के अधिकारी हैं। आखिर इन्हें कंपनी ने क्यों नौकरी पर रखा यह भी सवाल खड़ा होता है ? चूंकि ये कर्मचारी भारतीय सेना से जुड़े थे इसलिए यदि यह जहाज भूल से भारत की सीमा में जा रहा था तो इन्हें सचेत करने की जरुरत थी लेकिन इन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। जाहिर है ये कर्मचारी भी हथियारों की अवैद्य सप्लाई में भागीदार हो सकते हैं ? संभव है कंपनी ने इन्हें जलमार्ग के जानकार होने के कारण ही नौकरी में लिया हो ? यह जहाज यदि वाकई अमेरिकी कंपनी का है तो इस पर सिएरा लीऑन का झण्डा क्यों लहरा रहा था ? जाहिर है जहाज की पड़ताल में जो विरोधाभासी स्थितियां सामने आईं, वे संदेह को पुख्ता करने वाली हैं। इस लिहाज से चैन्नई पुलिस इस कारवाई की प्रशंसा करने की जरुरत है।

करीब दो साल पहले मुंबई के समुद्री तट पर दो मालवाहक जहाजों के टकराने से भारी मात्रा में तेल रिसाव और जहरीले रसायनों का पानी में विलय हो गया था। इसी समय पनामा का मालवाहक एमवी रैक नामक जहाज बेखटके भारतीय सीमा में आकर डूब गया। इस इन्डोनेशियाई जहाज में 60 हजार टन कोयला, 251 टन तेल और 50 टन डीजल लदा था। हैरानी की बात यह रही कि मुंबई के बिलकुल करीब आ चुकने के बावजूद हमारे तटों की रक्षा में लगी नौ और वायु सेना को इस जहाज के आने की भनक तक नहीं लगी। वह तो जहाज के चालक दल ने डूबते जहाज से प्राण बचाने की गुहार हमारे तटरक्षकों तक दूर-संदेशों से लगाई और तटरक्षकों ने हवाई उड़ानें भरके सभी कर्मचारियों को बचा भी लिया था। अलबत्ता प्राणों पर संकट नहीं आया होता तो इस जहाज की यात्रा गुमनाम ही बनी रहती।

इस जहाज के हादसे का शिकार होने के दो माह पहले भी दो अन्य जहाज हमारी समुद्री सीमा में बेरोक-टोक चले आए थे। जो अभी भी खौफ व आशंका का सबब बने हुए हैं। क्योंकि इनमें न कोई सामान था और न ही चालक दल का कोई सदस्य ? इनमें एक नौ हजार टन वजनी जहाज एमवी विजडम था, जो 11 जून 2011 को मुंबई की जुहू चैपाटी पर आकर फंस गया। यह जहाज नाइजीरिया का बताया गया था। इसका रूख गुजरात की ओर था। तीसरा जहाज मुंबई तट से तीन किलोमीटर की समुद्री दूरी पर खड़ा लंबे समय तक अचरच बना रहा। इन जहाजों के बेधड़क घुसे चले आने से हैरानी इस बात पर है कि हमारी समुद्री सीमा में 20 मील तक घुसे चले आने के बावजूद इन पर सुरक्षा बलों की नजर क्यों नहीं पड़ती ?

दरअसल समुद्री सीमा में 12 समुद्री मील के बाद सुरक्षा की जवाबदेही नौ सेना पर होती है और पांच से 12 समुद्री मील की चैकीदारी का काम तटरक्षक (कोेस्ट गार्ड) करते हैं। आतंकवादियों की घुसपैठ पर अंकुश बनाए रखने की दृष्टि से कुछ समय पहले ही समुद्री पुलिस का भी गठन किया गया है। इसका काम भी नाजायज घुसपैठ पर निगरानी रखना व रोकना है। लेकिन हैरानी होती है कि तीन तरह की चैकसियां समुद्री सतह पर मौजूद होने के बावजूद कोई छोटी-मोटी नाव या व्यक्ति नहीं जहाजी बेड़े भारतीय सीमा में घुसे चले आते हैं। एमवी पवित तो पूरे चार दिन हमारी सीमा में तैरता रहा और सुरक्षा एजेंसियों की नजरों में भी नहीं आया। ये चूकें लापरवाही की ऐसी चेतावनियां हैं, जो आतंकियों की घुसपैठों को प्रोत्साहित कर सरल बना सकती हैं। क्योंकि यही वह मार्ग है जिससे होकर पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई पहुंचकर 26/11 का विध्वंसकारी तांडव रचा था। आतंकवादियों से लेकर जहाजी पोतों की ये घुसपैठें ऐसी मानवीय भूलें हैं, जो बरदाश्त से बाहर होती जा रही हैं।

इन राष्ट्रीय खतरों पर उपकरण व कुछ तकनीकी संसाधनों का अभाव जताकर पर्दा डालने की कोशिश की जाती रही हैं, लेकिन किसी व्यक्ति या मामूली घुसपैठ को तो तकनीक के अभाव में एक बार जायज ठहराया जा सकता है, किंतु हजारों टन के लावारिस जहाज भी सीमा का उल्लघंन कर घुसे चले आएं, इसे किसी भी हाल में सहीं नहीं ठहराया जा सकता और न ही ऐसी किसी लापरवाही को नजरअंदाज किया जाना चाहिए। यह सीधे-सीधे मानवीय भूल का परिणाम है ? ये भूलें जोखिम उठाने के खतरों से बचने के प्रति भी आगाह करती हैं। हालांकि सीएजी भी तटीय सुरक्षा से जुड़ी खामियों को पूर्ति के लिए कई बार रक्षा मंत्रालय व तटरक्षक बलों के कार्य-व्यवहार पर अंगुली उठा चुकी है। दरअसल सुरक्षा संबंधी खामियों की आपूर्ति करने की दृष्टि से 14 नए तटरक्षक अड्ढे बनाने और तटीय सीमा में राडार व अन्य निगरानी उपकरण लगाने की अनुमतियां तो पहले ही दी जा चुकी हैं, लेकिन इन पर पूरी तरह अमल आज तक नहीं हुआ है, हालांकि पांच नए तटरक्षक स्टेशन अब तक खोले जा चुके हैं। यही नहीं तटीय सुरक्षा के मामले में मछुआरे तक अदालत में दस्तक दे चुके हैं।

भारतीय समुद्री सीमा में घुसे चले आए जहाजों पर निगरानी रखना सुरक्षा की दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही, पर्यावरण को दूषित करने के नजरिए से भी इन पर नजर रखना जरूरी है। क्योंकि एमवी रैक जहाज से जो फर्नेस तेल का फैलाव समुद्री सतह पर हुआ था, उससे सुंदरी ( मैंग्रोव ) वृक्षों और कई जलीय जीव-जंतुओं को हानि पहुंची थी। ऐसे रिसावों से पारिस्थितिकी तंत्र भी गड़बड़ा जाने का खतरा पैदा हो जाता है। इस जहाज से करीब पांच सौ मीट्रिक टन तेल के रिसाव ने समुद्री किनारों को प्रभावित करने के साथ हजारों मछुआरों के सामने आजीविका का भी संकट भी खड़ा कर दिया था। हजारों समुद्री जीवों की अकाल मौत हो जाने से समुद्री सतह पर प्रदूषण का खतरा बड़े पैमाने पर मंडरा गया था।

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