सर्वत्र व्याप्तम ‘कोरोना’ द्वितीयोनास्ति

                प्रभुनाथ शुक्ल

हे ! कोरोना देव आपको नमस्कार है। क्योंकि आप चमत्कार हैं। आपका विस्तार अनंत आकाश से लेकर भूगर्भ लोक तक है। पूरी दुनिया आपके सामने नतमस्तक है और भय से कांप रही है। आपने युगों- युगों में श्रेष्ठ अकासुर- बकासुर, नरकासुर, महिषासुर जैसे दिव्य असुर शक्तियों को भी मात दे दिया है। इन सबका वध तो देवताओं ने कर दिया था, लेकिन आपके वध को देवगण भी तैयार नहीं दिखते हैं।

आपका भय देवों में भी इतना व्याप्त है कि वह भी अपने कपाट बंद कर लॉकडाउन का अनुपालन कर रहे हैं। आप इस सृष्टि के महासंहारकर्ता हैं। आप देवों के देव महादेव के भी देव हैं। आप कलयुग के प्रतापी अवतार हैं। आप ऐसे अवतारी पुरुष हैं जिसका अभ्युदय संभवतः भूतो न भविष्यति है। आपकी व्यापकता सर्वव्यापी है। खड्ग में खम्भ में तृण में कण- कण में आप हैं। लिफ्ट में शिफ्ट में, नभ में नल में थाली में ताली में गाली में गीत और संगीत में आप हैं। हे ! देव आपकी सर्व ग्राह्यता को हमारा नमन है।

हे! देव। आप सबके साथ समान रुप से व्यवहार किया है। आपकी इसी नीति का मैं कायल हूँ। आप तो जानते हैं कि अपने मुलुक में समता और समानता के साथ ऊंच- नीच को लेकर आए दिन बावेला मचता है। सरकार पर प्रतिपक्ष आरोप लगाता है कि अमूक नीति समाज को बाँटने वाली है। यह अगड़े और पिछड़े की खाई बढ़ाने वाली है। यह समाज में साम्प्रदायिकता फैलाएगी। समाज में हिंसा और दंगा भड़कने की आशंका बढ़ जाएगी। राजनेता और राजनीति आमने- सामने हो जाते हैं। मीडिया में बहस छिड़ जाती है। टीवी डिबेट में विषय विशेषज्ञ अपना ज्ञान बाँटने लगते हैं। कभी- कभी यह बहस जूतमपैजार तक पहुँच जाती है। लेकिन आपने सब पर विराम लगा दिया है। इसी लिए तो मैं आपका फैन हो गया हूँ। आपने किसी को भी अपने न्याय से बख्शा नहीं है।

हे ! चालाक चाइना के चातुर्य देव, आपकी महाशक्ति के आगे पुरी दुनिया नतमस्तक है। आपका भय देवताओं को भी सताया जिसकी वजह से देश भर के मंदिर, मठ, चर्च और मस्जिदें भय से लॉक हो गईं। ऐसी स्थिति में आपसे बचने की उम्मीद भी गायब हो चली है। अब आपके सिवाय कोई दिखता भी नहीं है। आपके आतंक ने दुनिया के आतंकी समूहों को भी मात दे दिया है। लोग एकांतवासी हो गए हैं डर इतना है कि इंसान के गोलोकवासी होने बाद भी उसके पास कोई जाने को तैयार नहीं है।

हे! कोरोना देव, अब हम आपसे प्रार्थना करते हैं। आप जिस लोक से आए हैं वापस लौट जाइए। अब बहोत हो चुका नाथ। डालर और दीनार, रूबल और रुपया सब आपकी शरण में हैं। विसाल सैन्यशक्तियां और एटमी हस्तियां भी नतमस्तक हैं। कभी न फैलने वाले हाथ अब हाथ जोड़े खड़े हैं। प्रकृति ने ख़ुद को बदल दिया है। नदिया शांत और स्वच्छ हो गई हैं। प्रदूषण कम हो गया है। इस बदलाव के लिए पुरी मानव जाति आपकी आभारी है। इंसान का दर्प चूर हो चुका है। आपने मानवजाति को बड़ा संदेश दिया है। अब दुनिया समझ गई है कि ‘सर्वत्र व्याप्तम कोरोना देव: द्वितीयोनास्ति ! !

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