समाज

सासंदों की उम्मीदवारी

वीरेन्द्र सिंह राठौर

25 मार्च को अन्ना हजारे और उनकी टीम ने एक दिन का सांकेतिक अनशन दिल्ली के जंतर-मंतर मैदान पर किया। मुबंई के आज़ाद मैदान में फीके रहे अनशन के बाद जंतर-मंतर पर जमा हुई भीड़ को देखकर टीम अन्ना का मुरझाया उत्साह फिर से खिल गया । अनशन के दौरान अन्ना हजारे और टीम अन्ना के सदस्यों की ओर से की गई टिप्पणियां नेताओं को नागवार गुजर रही है । अन्ना ने जहां लालू प्रसाद यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि 10-12 बच्चे पैदा करने वाला ब्रहम्चर्य की ताकत क्या जाने…वहीं केजरीवाल ने सांसदों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कुछ सांसद तो चपरासी बनने लायक भी नहीं । टीम अन्ना के एक और सदस्य मनीष सिसौदिया ने जद यू के शरद यादव पर आधा-अधूरा मुहावार जड़ा और बाकि लोगों ने पूरा कर दिया…लोकसभा में लोकपाल पर हुई बहस का वीडियो क्लिप दिखाने के बाद मनीष ने कहा कि इस कहते हैं चोर की दाड़ी में……..लोगों का जवाब था तिनका….टीम अन्ना की ओर से की गई इन टिप्पणियों को मीडिया ने हाथों-हाथ उठाया….कई ख़बरिया चैनलों ने विशेष नोट भी डाल दिया कि वो टीम अन्ना इन बातों से सहमत नहीं है वे तो केवल ख़बर के तौर पर इन्हें दिखा रहे हैं….लेकिन देखा जाए तो टीम अन्ना क्या गलत टिप्पणी की है…मुहावरा कहना कोई गलत बात नहीं..हां उसे किस नजरिये से देखते हैं, ये आपके ऊपर निर्भर करता है । हां एक बात जरूर है कि केजरीवाल की टिप्पणी से पूर्णत सहमत नहीं हुआ जा सकता है ..दरअसल उनका ये बयान सभी सांसदों के लिए है ऐसा भी नहीं माना जाना चाहिए….संविधान निर्माण के समय भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने ये मांग की थी कि संसद में चुनकर आने वाले सांसदों के लिए शिक्षा का एक निश्चित मापदंड तैयार किया जाए…लेकिन जवाहरलाल नेहरू और भीमराव अंबेडकर ने इस बात को उस वक्त टाल दिया था ….लेकिन आज हालात बदल गए हैं….और अब समय आ गया है कि सांसदों और विधायकों के लिए शिक्षा का निर्धारित मापदंड तैयार किया जाए…पहले सरकारी नौकरियों में 10 वीं पास तक लोगों की भर्ती हो जाया करती थी…लेकिन अब मास्टर डिग्री भी कम पड़ जाती है क्योंकि प्रतियोगिता बढ़ गई है….तो सांसदों और विधायकों के लिए शिक्षा का निश्चित मापदंड क्यों तैयार नहीं किया जाना चाहिए….मीडिया में जो ख़बरें आ रही उनके मुताबिक इस वक्त संसद में 162 सांसद दागी हैं…और अगर इसी बात को केजरीवाल लोगों तक पहुंचा रहे हैं तो क्या गलत कर रहे हैं । इसका मतलब ये नहीं है कि संसद में बैठे सभी सांसद दागी है…केजरीवाल ने तो बकायदा 14 नेताओं और मंत्रियों के नाम उजागर किए हैं…जिन के ऊपर करोड़ों के घोटालों के आरोप हैं…क्या कलमाड़ी, राजा, ने देश को नहीं लूटा फिर भी अब तक सांसद हैं…एक मछली पूरे तालाब को गंदा करती है । हम जब किसी सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करते हैं खास कर पुलिस और आर्मी की नौकरी में थानों से चरित्र प्रमाण पत्र मांगा जाता है । दूसरी सरकारी नौकरियों में भी चरित्र प्रमाण पत्र मांगा जाता है….शपथ पत्र भरवाया जाता है कि उनके खिलाफ किसी तरह का आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है… तो फिर कानून बनाने वालों और इस देश की व्यवस्था को चलाने वाले मत्रियों और सासंदों के चरित्र प्रमाण पत्र क्यों नहीं बनना चाहिए… सांसद देश सेवा के लिए संसद में चुनकर गए हैं….देश के लोगों के सामने अपनी पाक छवि देश के लोगों के सामने रखने से सांसदों को बचना नहीं चाहिए बल्कि खुद ही ये पहल करनी चाहिए….दागी सांसदों को लेकर मीडिया में जो ख़बरें आ रही हैं और जो मुद्दे टीम अन्ना ने उठाए हैं…उस पर भड़कने से अच्छा है कि सभी सांसद देश के सामने थानों से चरित्र प्रमाण पत्र प्रमाणित करवाकर देश के सामने रख दें…इससे उनकी ही साख बढ़ेगी…देश की जनता के सामने दुध का दुध और पानी का पानी हो जाएगा…दागी नेताओं को सासंद बनने से रोकने लिए कुछ कड़े कदम चुनाव आयोग को भी उठाना पड़ेंगे..चुनाव आयोग ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति ही ना दें जिनके ऊपर पर आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं …देश करवट बदल रहा है…लेकिन चुनाव के वक्त आज भी हम उसी ढर्रे पर चल रहे हैं….हमारे वोट जाति ,नोट, शराब या किसी और लालच में आकर गलत व्यक्तियों को चुन लेते हैं…देश के लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए….अब इस मोह को त्यागना होगा…अगर उन्हें पता है कि फलां आदमी इस पद के काबिल नहीं तो वोट ना करें…..ऐसे में टीम अन्ना राइट टू रिजेक्ट की मांग बिल्कुल सही लगती है…अगर हर उम्मीदवार दागी है तो फिर जनता के पास ये अधिकार होना चाहिए कि उसे कोई भी पंसद नहीं है….संसद लोकतंत्र का मंदिर है…देश के लोगों के लिए वो कानून बनाए वो नीतियां निर्धारित जिसके खुद के पांव ही अपराध के दलदल में धंसे हो तो फिर एक तरह से ये लोकतंत्र का ही मजाक है….