राजनीति

केन्द्र की साम्प्रदायिकता पर कोई केस करेगा?

-प्रवीण तोगड़िया

केन्द्र ने आजकल मुसलमानों के मतों के लिए हिन्दुओं पर नए-नए जेहादी कानून लादना और हिन्दुओं को किसी तरह जेल भेजना या फाँसी के फंदे पर लटकाना यह द्वि-सूत्री कार्यक्रम शुरू किया है। वैसे भी मैडम सोनिया जी ने कब का कह दिया है कि उनके और जमायत-ए-उलेमा-ए-हिंद के ‘उसूल’ एक ही हैं! शायद उनका अपना कहा वे स्वयं भूल गयी होंगी और तथाकथित ‘सेकुलर’ मीडिया को वे क्लिप्स आज दिखती नहीं होगी जो उन्होंने स्वयं 2004 में दिखाई थी, लेकिन भारत का आम आदमी कुछ भी नहीं भूलता है। हिन्दुओं को छुरामारी कर मार डालने वाला गौ-हत्यारा केन्द्र को दिखता नहीं, बंगाल के मालदा से केरल के मराड़ तक और राजस्थान के टोंक से महाराष्ट्र के मिरज, अकोला तक; उत्तार प्रदेश के काशी, मेरठ, बरेली, मऊ, अलीगढ़ से आन्ध्र के हैदराबाद तक और जम्मू कश्मीर से लेकर कर्नाटक के मैसूर तक सनातनियों की, जैनों की, सिखों की, अनुसूचित जातियों की और वनवासियों की कुरापात कर, उनके घर जलाकर, उनके बहू-बेटियों को भगाकर उन पर बलात्कार कर जल्लोष करने वाले जेहादी मनोवृत्ति के लोग केन्द्र को दिखते नहीं! उन्हीं के सरकार ने प्रतिबंधित की हुई इंडियन मुजाहिद्दीन के जेहादियों को सम्पूर्ण कानूनी मदद देकर उन्हें भारतीय न्याय संस्था के शिकंजे से छुड़ाने की सार्वजनिक उदघोषणा जमायत-ए- उलेमा-ए हिंद ने की है-ऐसे में उनके मंच पर शान से बैठकर ”उनके और हमारे उसूल एक हैं” कहने वाली सोनिया जी पर केन्द्र का यह नया साम्प्रदायिक दंगे का और ऐसे दंगों को उकसाने का कानून लगाकर कोई केस करने की हिम्मत करेगा? क्या केन्द्र सरकार यह कर पायेगी? जहाँ जहाँ हिन्दुओं को खत्म करने का ‘चांस’ मिलता है वहाँ-वहाँ आनंद से आगे आने वाली केन्द्र की और कुछ राज्यों की सरकारें जेहादियों के सामने म्याँव तक नहीं कर पाती! तब कहाँ जाते हैं सब कानून?

राज्यों की कानून व्यवस्था में केन्द्र का महाभयंकर हस्तक्षेप आजकल चल रहा है – कभी साम्प्रदायिक दंगों को नियंत्रित करने के (यानि कि हिन्दुओं को फांसी पर चढ़ाने के) बहाने तो कभी एन. आई. ए. से आतंकवाद के कलम लगाकर! नक्सलियों ने अनेकों आम आदमियों को और सुरक्षा जवानों को बर्बरता से मार डाला (जो मरे, उनमें कितने मुसलमान थे यह भी एक सोचने वाली बात है – कहा जाता है कि नक्सलियों को हथियार आई. एस. आई. से भी मिलते हैं जो नेपाल और बांग्लादेश से आते हैं।) हमारे विद्वान मंत्री ने कहा – यह राज्य सरकार का मामला है – यही केन्द्र सरकार जब मुसलमानों की बात आती है तब सभी मामले केन्द्र सरकार अपने हाथ में लेना चाहती है। इतना गैरकानूनी काम जो भारत के संविधान और लोकतंत्र से पूर्ण विपरीत है, अब तक किसी ने नहीं किया होगा। चतुराई इतनी कि केन्द्र में बैठे हुए विद्वान यह भली भाँति जानते हैं कि राज्यों के मामले में दखल देना असंवैधानिक है-इसीलिए नऐ कानून बनाकर, संविधान में परिर्वतन कर भारत का लोकतांत्रिक ढांचा तोड़ने का ‘महत-कार्य’ मैडम सोनिया जी और उनकी ब्रिगेड करती रहती है। जनमानस में फिर भी उज्जवल प्रतिमा बनी रहे इसलिए कुछ टी. वी. चैनलों पर चर्चायें शुरू करवा दी जाती हैं कि ऐसे कानून बनाना देश हित में (सोनिया ब्रिगेड के लिए – देश यानि मुसलमान) कैसे हैं। भारत का आम आदमी मूर्ख नहीं है। चुनाव में जीते इसका अर्थ नहीं कि यह सूडो देश-हित के नौटंकी सच में लोगों के मन में जीते-शायद यह भी हो सकता है, कि जीते क्योंकि बाकी पार्टियां उस समय किसी कारण से हार गईं जिनका आज संदर्भ बदल गया है।

आम आदमी भूख से तड़प कर मर रहा है, जो खा सकते हैं वे जेहादियों के हाथों मर रहे हैं। देश की सीमाएं सुरक्षित करने की जगह केन्द्र के विद्वान मंत्री पी. ओ. के. में रहने वाले मुसलमानों को आमंत्रण दे रहे हैं कि वे भारत में आयें-उन्हें भारत की नागरिकता दी जायेगी-तब इन विद्वान मंत्रियों को याद नहीं आता की 1947 में जो हिन्दू उसी पी.ओ.के. से मुसलमानों के अत्याचारों के कारण भाग आये थे, उन्हें अब भी कश्मीर में मत देने का अधिकार भी नहीं है। 1990 में जो लाखों कश्मीरी पंडित और सिख अपने घर, जमीन, व्यवसाय छोड़कर कश्मीर से भगाये गये थे उन्हें आज भी सम्मान से उनके मूल स्थानों पर सुरक्षा देकर नहीं ले जाया गया है – उन्हें मत का अधिकार तक नहीं दिया गया है। केरल के आई. जी. ने हाल ही में कहा कि भारत में आतंकवाद कर कतार भाग गए जेहादियों को सम्पूर्ण सुरक्षा दी जायेगी। डा. तोगड़िया पर हैदराबाद में मुसलमानों के बड़े गेंग ने हमला किया तब हमलावरों पर हत्या का प्रयास यह कलम या साम्प्रदायिक दंगा कलम तक नहीं लगाया गया! इतनी साम्प्रदायिकता (यानी केवल मुसलमानों के प्रति प्रेम!) जिस केन्द्र सरकार के और कुछ राज्य सरकारों के अंदर ठूंस-ठूंस कर भरी है, वे अब कानून बनाने जा रहे हैं की देश में कहीं भी उनके ‘प्रेम-पात्र’ मुसलमानों को कोई सिर्फ देखा तो भी उन पर केंन्द्र कानूनी कारवाई कर सकती है – भले राज्य सरकार अनुमति दे या न दे! राज्यों की पुलिस को डराने की भी व्यवस्था इस कानून में होगी! किसी भी पुलिस ऑफिसर पर दबाव डाला जाएगा कि वे केवल हिंदुओं पर ही कार्रवाई करे और सबसे पहले जो हमला कर खुरापात करते हैं, ऐसे जेहादियों को हाथ भी न लागाएं। यह कानून जल्द बन रहा है – यह बना भी नहीं फिर भी महाराष्ट्र के मिरज के एस. पी. ने जब मुसलमान मेयर को दंगों का दोषी करार दिया तब तत्परता से उनका तबादला किया गया! आने वाले तुगलकी कानूनों की यह तो केवल झलक है। जिन राज्यों में हिन्दुओं का और कानून का सम्मान रख कर सत्य सम्हाल कर चलने वाली सरकारें और पुलिस हैं, उनका भी अब कुछ नहीं चलेगा क्योंकि, एन. आई. ए. के बाद अब यह नया कानून राज्यों के सभी अधिकार छीन लेगा। राज्यों से केवल कर वसूली चाहिए, बिजली चाहिए, लेकिन उनके सारे अधिकार छीन लेना है यह नया हिंदू-विरोधी और संविधान विरोधी षड्यंत्र केंन्द्र चला रहा है।

जाति, भाषा, पंथ और सम्प्रदायों में न बंटकर अगर आज और अभी हिन्दू एक होकर लोकतांत्रिक पध्दति से खड़ा नहीं हुआ, तो इंडियन मुजाहिद्दीन को मदद करने वाले जमायत-ए-उलेमा-ए-हिंद के उसूलों को अपने उसूल मानने वाली यह ‘जमात’ पूरा भारत इस्लामिक कर देगी। समय रहते जागो, वरना बहुत देर हो जायेगी। कानून के विशारदों को भी एक होकर ऐसे सारे नए कानूनों का सख्त विरोध करना चाहिए, न्याय-संस्थाओं को, न्याय-पालिकाओं को भी भारत के हित में दीर्घकालीन सोच रख तुरंत ऐसे कानूनों पर रोक लगाना चाहिए।