सेकुलरवादी विमर्श की आड़ में : परत-दर-परत खुलता राष्ट्रद्रोही चेहरा

हरिकृष्ण निगम

आज के राजनीतिक विमर्श में हमारे कुछ बुध्दिजीवियों ने एक अजीब तरह की अराजकता को प्रश्रय देकर अंग्रेजी मीडिया के एक बड़े वर्ग में, जहां तक हिंदू की व्याख्या का प्रश्न है, एक विकृत दृष्टि व हठधर्मिता को मात्र हिंदू आस्था का ही अहित कर राजनीतिक पक्ष दिखता है और कभी भी लगता है कि सेमिटिक धर्मों की प्रच्छन्न वकालत के लिए इस दुष्प्रचार में जी जान से वे सब लगे हुए हैं। उन्हें इतर धर्मों की भारत सहित विश्व भर में चल रही गलाकट प्रतिद्वंदिता और उनके अपनी श्रेष्ठता का लगातार दावा करने की प्रवृत्ति में कुछ भी अटपटा नहीं दिखता है। हमारे देश के विकृत, दिशाहीन और हिंदू-विरोधी राजनीतिक दलों की अपनी मानसिकता का लाभ उठाते हुए आज सहसा ऐसे प्रकाशनों की बाढ़ आ गई है जिसमें लगता है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की जगह अनेक बड़े लेखकों ने राजनीति अथवा अनेक लॉबियों की गुलामी स्वेच्छा से स्वीकार की है। विडंबना यह है कि नवउदारवाद और नेहरूवादी पारंपरिक सामाजिक विचारधारा या दर्शन के समर्थन के बहाने अंग्रेजी दैनिकों का एक प्रभावी वर्ग और व्यवस्था विरोधी छवि का ढोंग करता है दूसरी ओर घोर-हिंदू विरोध द्वारा वामपंथियों एवं अंतर्राष्ट्रीय लॉबियों का स्वेच्छा से मोहरा बनने को राजी हो जाता है।

हाल के कुछ प्रकाशनों और मीडिया में उनके प्रचार के स्तर को देखते हुए यह संदेश एक कटु यथार्थ बन चुका है। हाल में विनय लाल द्वारा संपादित 287 पृष्ठों का ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित ग्रंथ जिसका शीर्षक है ‘पोलिटकल हिन्दुइज्म ः दि रिलिजियस इमेजिनेशन इन पब्लिक स्फियर्स’ यह सिध्द करने में कुलांचे भर रहा है कि 19 वीं शाताब्दी के उत्तरार्ध की राष्ट्रवाद की अवधारणा ने स्वतंत्रता के बाद हिंदू धर्म का पूर्ण रूप से राजनीतिक रूपांतरण कर दिया। बहुसंख्यकों के दक्षिणपंथी रूझानों का हव्वा खड़ा कर लेखक कहता है कि हिन्दुत्व की अवधारणा से भी एक कदम आगे राजनीतिक हिंदुत्व है जो देश के दूरगामी हित में नहीं है। स्पष्ट है कि हिंदू संगठनों की हर उस गतिविधि या रणनीति को जिसके द्वारा वे राष्ट्रविरोधी, अवांछनीय, संकीर्ण और विजातीय तत्वों के प्रवेश पर अंकुश लगाना चाहते हैं, वे चाहते हैं कि वे चाहे देश के वामपंथी या सेक्यूलर विचारक हो या जिनकी धर्म निरपेक्षता की व्याख्या मात्र अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण तक सीमित है, उन्हें बौखला देती है। यह कड़वा सच है कि इस देश के कथित प्रगतिशील कहलाने वाले लेखक उदार, निरंतर संवाद को प्रोत्साहन देने वाले, समीक्षा एवं नित्य नए तर्कों को, विचारों को आत्मसात् करनेवाले हिंदू दर्शन को सांप्रादायिक, असहिष्णु और वर्गशस्त्रु मानते है। वे अंधे बन जाते हैं या न देखने को ढाेंग करते हैं जब इतर धर्मों की आक्रामकता या अनुयाईयों को बढ़ाने की अंधी जिद से पाला पड़ता है। क्या इसे पढ़े लिखों की आज की विचारधारा का आतंकवाद नहीं कहा जा सकता है।

बहुसंख्यकों के विरूध्द हाल में विषवमन करने वाले लेखकों में ज्योतिर्मय शर्मा की वाइकिंग नामक प्रकाशन – गृह द्वारा छापी पुस्तक ‘टेरीफाइंग विजन’ शायद सबसे आगे हैं जिन्होंने हिंदू राष्ट्रवाद की अवधारणा की निंदा करते हुए चिरपरिचित मार्क्सवाद शब्दावली प्रयुक्त की है। संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर पर उंगली उठाने के साथ-साथ इस लेखक ने तथ्यों व साक्ष्यों के विद्रूपीकरण, मिथ्याकरण और संदर्भों को सुविधानुसार कुटिलता के साथ तोड़ा-मरोड़ा है। इसी लेखक की जब सन् 2003 में पेंगुइन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘हिंदुत्व एक्स्प्लोरिंग द आईडिया ऑफ हिंदू नेशनलिज्म’ सामने आ गई थी देश के अंग्रेजी प्रेस ने इसे आवश्यकता से अधिक महत्व दिया था। हाल की उनकी पुस्तक का शीर्षक ‘टेरीफाइंग विजन’ तो इतनी निंदात्मक है जैसे हिंदू संगठनों की विचारधारा ही देश को आतंकित या भयभीत करनेवाली हो। हम विस्मृत नहीं कर सकते हैं कि देश की बड़ी अंग्रेजी पत्रिका ‘इंडिया टूडे’ ने इसकी समीक्षा को ही ‘बोगीमैन इन सैफ्रॉन’ शीर्षक से छापी थी। हममें से कदाचित बहुत से लोगों को यह ज्ञात नहीं होगा कि अंग्रेजी में बोगीमैन का अर्थ होता है – प्रेतात्मा, शैतान, भूत, हौवा। वामपंथी मृगमरीचिकाओं में लिप्त, हिंदू विरोधियों का स्वाभाविक मित्र यह लेखक जो कोई भी मार्क्सवादी व्याख्या या नेहरुवादी विचारधारा की वैधता पर प्रश्नचिह्म लगाने का प्रयास करता है उस पर पुनरूत्थानवादी, सांप्रदायिक और तत्ववादी या दक्षिणपंथी होने का लेबल जड़ता है। हिंदुत्व की स्वभाविक अभिव्यक्ति सर्वसमावेशक है – यह ऐसे लोग भूल जाते हैं। यही हमारी पहचान का मुख्य गुण पहले भी था और आज भी है, इसे नकारा नहीं जा सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,213 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress