टेलिविज़न

मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता का परोसा जाना…

सूचना एंव संचार के क्षेत्र में आई ज़बरदस्त क्रांति ने टेलीविज़न के क्षेत्र में भी तमाम नए आयाम जोड़े हैं। समय के आगे बढ़ने के साथ साथ टेलीविज़न के तमाम नए-नए चैनल्स ने अपना कारोबार शुरू किया है। तमाम ऐसे चैनल अपने कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं जो किसी विषय विशेष पर आधारित हैं। उदाहरण के तौर पर अपने देश में तमाम चैनल ऐसे हैं जो 24 घंटे तथा सप्ताह के सातों दिन निरंतर समाचार प्रसारित करते रहते हैं। जबकि कुछ ऐसे चैनल भी हैं जो विज्ञान, अविष्कार, इतिहास तथा अन्य ज्ञान संबंधी विषयों पर आधारित हैं। चूंकि मनुष्य के जीवन में मनोरंजन का भी एक अहम स्थान है, इसलिए आम लोगों की इस ज़रूरत को भी महसूस करते हुए टी.वी चैनल संचालकों ने मनोरंजन संबंधी भी कई चैनल संचालित कर रखे हैं। इनमें हर समय नाटक, फिल्में गीत, कार्टून फिल्में तथा विभिन्न प्रकार के पारिवारिक व मनोरंजन संबंधी धारावाहिक चलाए जाते हैं।

परंतु टेलीविज़न के क्षेत्र में आई निजी चैनल्स की इस भरमार के बाद अब इनमें दर्शकों को अपने चैनल की ओर आकर्षित करने को लेकर अर्थात टेलीविज़न रेटिंग प्वाइरंट (टी आर पी) को मद्देनज़र रखते हुए प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों में न केवल मसाला परोसने का चलन बढ़ गया है बल्कि कुछ धारावाहिक, कार्यक्रम अथवा रियालिटी शो तो भारतीय संस्कृति एंव संस्कार की सभी हदों को लांघते हुए अीलता के प्रदर्शन पर उतारू हो गए हैं। इन अील एंव भोंडे कार्यक्रमों को संचालित करने व प्रदर्शित करने वालों तथा इनमें भाग लेकर अपनी रोज़ी रोटी चलाने वालों का यह अजीबो ग़रीब सा तर्क है कि जिन कार्यक्रमों में दर्शकों को अश्लीलता महसूस होती हो उन दर्शकों को ऐसे कार्यक्रमों को देखने से परहेज़ करना चाहिए। परंतु साथ ही साथ वे ऐसे अील,भौंडे तथा देश की नई युवा पीढ़ी को पथभ्रष्ट करने व उत्तोजित करने वाले कार्यक्रमों को प्रसारित न किए जाने के पक्ष में हरगिज़ नहीं हैं। हालांकि टी.वी. पर बेतुके, वाहियात तथा बेसिर-पैर के तथा कथित मनोरंजनपूर्ण कार्यक्रमों के प्रसारण का सिलसिला भारतीय टी.वी. जगत के लिए कोई नया विषय नहीं है। परंतु इन दिनों दो अलग अलग टी.वी. चैनलों द्वारा दिखाए जा रहे बिग बॉस एंव राखी का इंसाफ नामक तथाकथित रियालिटी शोज़ को लेकर पूरे देश के सभ्य समाज में इतना हंगामा हुआ कि सरकार को भी इसमें दख़ल देना पड़ा।

सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय ने बिग बॉस सीज़न 4 तथा राखी का इंसाफ जैसे कार्यक्रमों को प्रसारित करने वाले चैनल्स को यह निदेर्श जारी किया है कि वे इन कार्यक्रमों को प्राईम टाइम में दिखाने के बजाए रात 11 बजे से केवल सुबह पांच बजे के मध्य में ही प्रसारित कर सकते हैं। हालांकि मुम्बइर उच्च न्यायालय ने सरकार के इस आदेश पर फिलहाल 22 नवंबर तक के लिए रोक लगा दी है। मंत्रालय ने यह भी निदेर्शित किया है कि इन रियलिटी शोज़ को पुनः प्रसारित भी नहीं किया जा सकता और इन्हें समाचार प्रसारित करने वाले चैनल्स द्वारा समाचार संबंधी कार्यक्रमों में भी प्रदर्शित नहीं किया जा सकता। सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय द्वारा यह कदम देश के तमाम सामाजिक कार्य र्ताओं,सामाजिक संगठनों ,गै़र सरकारी संगठनों तथा राष्ट्रीय महिला आयोग की शिकायतों के आधार पर उठाया गया है। सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय द्वारा ऐसे अश्लील एंव भारतीय संस्कृति को चोट पहुंचाने वाले कार्यक्रमों के प्रसारण पर नेल कसने के बाद जहां इन कार्यक्रमों से जुड़े तथा इनसे आर्थिक लाभ उठाने वाले वर्ग को तकलीफ हुइर है, वहीं ऐसे कार्यक्रमों की आलोचना करने वालों ा मानना है कि सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय को इस विषय पर एक संपूर्ण निदेर्शावली बना लेनी चाहिए जिसका पालन सभी टी.वी चैनल्स के लिए करना ज़रूरी हो।

इसमें कोई शक नहीं कि सभ्यता, संस्कृति एंव मान्यताओं को लेकर पूरे विश्व में काफी टकराव की स्थिति है। तमाम बातें ऐसी हैं जो कई पश्चिमी देशों के लिए बिल्कुल ही महत्व नहीं रखती परंतु वही बातें हमारे व हमारे जैसे कई देशों के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण समझी जाती हैं। तमाम इसी प्रकार के मतांतर खाने पीने व पोशाक को लेकर भी हैं। बोलचाल व भाषा को लेकर भी ऐसी तमाम बातें सामने आती हैं। हमें किसी भी कार्यक्रम को जनता के मध्य प्रसारित करने से पूर्व इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि हमारी अपनी संस्कृति व सभयता हमें क्या सिखाती है तथा हमें उसे कितना महत्व देना है। ज़रा गा़ैर फरमाइर्ए कि हम अपने देश की नवयुवतियों के समक्ष कभी तो सीता जी, रानी लक्ष्मीबाई, कलावती, मीराबाई, कल्पना चावला, सुनीता विलियम, इन्दिरा गांधी, सरोजिनी नायडू्, लक्ष्मी सहगल जैसी महिलाओं को आदर्श महिलाओं के रूप में प्रस्तुत करते हैं। तो दूसरी ओर राखी सावंत जैसी अर्धनग्न सी दिखाई देने वाली बदज़ुबान एवं असयंमित भाषा का प्रयोग करने वाली महिला ो टेलीवीज़न के रियलिटी शोज़ में इंसाफ किए जाने का ज़िम्मा सौंप देते हैं।

ज़रा सोचिए कि जो राखी सावंत मात्र शोहरत और प्रसिद्धि की खातिर कैमरे के समक्ष चाहे जैसा वस्त्र पहन लेती है तथा असंयमित भाषा का जब और जैसे चाहे प्रयोग कर लेती है। राखी का स्वंयवर नामक कार्यक्रम में जिसने एक युवक से विवाह का नाटक रचकर उसे जीवन को भी बर्बाद कर दिया तथा चंद दिनों तक भी उसे साथ पति पत्नी के रूप में नहीं रह सकी। बड़े आश्चर्य की बात है कि ऐसी महिला को रियलिटी शो के माध्यम से आम लोगों को इंसाफ दिलाए जाने की कोशिश के तहत राखी का इंसाफ नामक रियालिटी शो पेश किया जा रहा है। और आिखरकार इसी कार्यक्रम में शिरकत करने वाले एक युवक को अपनी जान तक देनी पड़ी। क्योंकि राखी ने शो के दौरान सार्वजनिक रूप से उसे नामर्द कह कर संबोधित किया था। राखी द्वारा उस युवक का किया गया अपमान वह सहन नहीं कर सका और उसने आत्महत्या कर डाली।

यदि हम राखी सावंत के भौंडे प्रदर्शन को भी दरकिनार कर दें तो भी उसका व्यक्तिगत जीवन जिसे विषय में वह स्वयं कई बार टी. वी. पर ही चर्चा कर चुकी है, वह भी हमारे देश की युवतियों को प्रेरणा देने वाला हरगिज़ नहीं है। हमेशा विवादों एवं आलोचनाओं से घिरी रहने वाली यह अदाकारा अपने कुछ विशेष शुभचिंतकों द्वारा कभी फिल्मों में तो कभी टी. वी. शोज़ में अपने इसी विशेष एवं विवादस्पद अंदाज़ में उछाली जाती रही है। राखी सावंत को प्रोत्साहित करने वाले व्यवसायिक प्रवृत्ति के लोग यह भली भांति महसूस करते हैं कि उसे लिबास तथा उसे बोलने की बिंदास शैली को भी दर्शक देखना चाहते हैं। और राखी के इसी अंदाज़ को चैनल संचालकों तथा कार्यक्रम निर्माताओं द्वारा भुनाया जा रहा है। इन व्यवसाइयों को इस बात की कतई परवाह नहीं है कि राखी जैसी अदाकारा का लिबास,अंदाज़ तथा शैली हमारी युवा पीढ़ी पर कितने बुरे प्रभाव छोड़ रही है। उन्हें इस बात की भी कोई फिक्र नहीं है कि किसी परिवार का कोई युवक राखी की बद्तमीज़ी व बदकलामी के परिणामस्वरूप अपनी जान से हाथ धो बैठा है।

ठीक इसी प्रकार बिग बॉस नामक रियाल्टी शो में तमाम तरह की अीलताएं परोसी जा रही हैं। गाली-गलौच, मारपीट तथा एक-दूसरे को अपमानित करना तो इस रियालिटी शो का एक अहम हिस्सा बनकर रह गया है। अब तो अमेरिकी अभिनेत्री पामेला एंडरसन भी इस विवादित शो बिग बॉस में अपने जलवे बिखेरने भारत पहुंच चुकी हैं। अर्थात जिस प्रकार के वस्त्र हमारे देश की अभिनेत्रियां पहन कर रियालिटी शोज़ में भाग नहीं ले सकती वैसे नग्न वस्त्र धारण कर पामेला एंडरसन अपने शरीर का प्रदर्शन कर कार्यक्रम की टी आर पी में इज़ाफा करेंगी। गोया नंगापन परोसने के बाद अब कार्यक्रम संचालकों द्वारा महानंगापन परोसने की तैयारी कर ली गई है। और इसे नाम दिया जा रहा है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का। और वह भी मनोरंजन के नाम पर। अभी ज़्यादा समय नहीं बीता है जबकि स्वर्गीय प्रमोद महाजन के ‘होनहार’ पुत्र राहुल महाजन को भी भुनाने की कोशिश टी.वी. चैनल्स द्वारा की गई। राखी की ही तरह उसने भी अपना स्वयंवर रचा था। राहुल ने भी टी.वी. पर अपना स्वयंवर ऐसे समय में रचाया था जबकि वह पहले ही शादीशुदा था तथा उसे बर्ताव से तंग आकर उसकी पत्नी श्वेता सिंह उसे छोड़कर जा चुकी थी। नशीली सामग्री के सेवन तथा इसे रखने के आरोप में राहुल महाजन जी पुलिस की गिरफ्त में भी आ चुके हैं। यह हमारे देश का दुर्भाग्य ही है कि अब राहुल व राखी जैसे विवादस्पद लोग ही हमारे देश के युवकों व युवतियों के मनोरंजन का साधन बन रहे हैं। ज़ाहिर है जब कार्यक्रम निर्माता इन्हें अपने कार्यक्रमों में शामिल कर जनता के समक्ष पेश कर ही रहे हैं, ऐसे में दर्शक आिखर कब तक अपना बचाव कर सकते हैं। लिहाज़ा सरकार व मंत्रालय के साथ-साथ कार्यक्रम निर्माताओं की भी यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वे अपने देश की संस्कृति व सभ्यता को मद्देनज़र रखते हुए ऐसे अदाकारों को कार्यक्रमों में आमंत्रित करें जो देश की भावी पीढ़ी के समक्ष अच्छे आदर्श प्रस्तुत करें तथा अीलता, नग्न्ता, भौंडेपन आदि को हमारी युवा पीढ़ी से दूर रखें।

– निर्मल रानी