जैव विविधता पर संकट की छाया

– नेहा जैन

भारत में जंगलों, आर्द्रभूमियों और समुद्री क्षेत्रों में कई तरह की जैव विविधता पाई जाती है। भारत में स्तनधारी जंतुओं में 350, पक्षियों में 1224, सांपों में 408, उभयचर प्राणियों में 197, मछलियों में 2546 और फल-पौधों में 15 हजार प्रजातियां है। परंतु जलवायु परिवर्तन, जंगलों की समाप्ति व कई अन्य कारणों से कारण बहुत सी प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं। एशिया के दुर्लभ जानवरों की सूची में लोमड़ी, एशियाई चीता, एशियाई शेर, भारतीय हाथी, एशियाई जंगली गधें, भारतीय गैंडें आदि शामिल है। स्तनधारी जीवों में से 13 प्रजातियां तो प्रायः विलुप्त हो चुकी है, 20 प्रजातियां खतरे में है जबकि दो प्रजातियां दुर्लभ है। वहीं दूसरी ओर पक्षियों की 6 प्रजातियां, सांपों और सांपों की 6 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है और इन सबकी कई प्रजातियां विलुप्त होने के खतरे में है।

जैव विविधता के विलुप्त होने का सबसे बड़ा कारण इन जीव जंतुओं के रहने के स्थानों को खत्म करना है। मानव ने अपने हितों के लिये जंगलों को खत्म किया है जिससे कई प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर है। इसी प्रकार खेती में क्षमता से अधिक उत्पादन के लिये जमीन का दोहन किया जा रहा है जिससे जमीन में फसलें पैदा करने वाले कारकों कों क्षति होती है और वह अपनी उर्वरकता खो बैठती है।

जैव विविधता के लाभ

जलवायु परिवर्तन व जैव विविधता एक दूसरे पर निर्भर करते हैं। जलवायु परिवर्तन का असर जैव विविधता पर होता है जबकि जैव विविधता के विलुप्त होने से वातावरण को क्षति होती है। विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे प्रदूषण को खत्म कर स्वच्छ वातावरण प्रदान करते है लेकिन पिछले कुछ दशकों के दौरान मानव ने आवासीय व औद्योगिक हितों के लिये जंगलों को खत्म किया है जिससे वातावरण को भारी मात्रा में क्षति हुई है। हानिकारक किरणों से बचाने वाली ओजोन परत में छिद्र होने का भी यही कारण है।

जैव विविधता मानव को कई तरह से लाभ पहुंचाती है। विभिन्न प्रकार के पौधों की प्रजातियों से दवाइयों का निर्माण होता है। कई पौधें तो ऐसे है जिनसे बड़ी बीमारियों का भी इलाज संभव है लेकिन भारत में यह दुर्भाग्य रहा है कि कई लोग इसके लाभों को जानते है लेकिन इस जानकारी का संरक्षण नहीं किया गया है। इन जानकारियों को कागजों में अंकित कर संरक्षित किये जाने की जरूरत है।

जैव विविधता के कारण वातावरण का संतुलन भी बना रहता है। वातावरण में उपस्थित विभिन्न गैसों के बीच संतुलन जैव विविधता के कारण ही होता है लेकिन मानव ने प्रकृति के प्रतिकूल कार्य कर जैव विविधता को क्षति पहुंचाई है जिसका एक परिणाम जलवायु परिवर्तन भी है जो एक अंतराष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है।

जैव विविधता पर्यटन व्यवसाय में भी लाभप्रद है। विदेशों के लोग विभिन्न जीव-जंतुओं को देखने के लिये आते हैं जिससे कई लोगों को रोजगार मिलता हैं।

जैव विविधता को बचाने की मुहिम

विभिन्न प्रजातियों के विलुप्त होने के चलते इन्हें बचाने की मुहिम भी तेज हो चुकी है। वर्तमान समय में जैव विविधता बैंकों का निर्माण किया जा रहा है जहां पौधों, बैक्टीरिया, फंगस, बीजों आदि की विभिन्न प्रजातियों को संभाल कर रखा जा रहा है इसका सबसे अच्छा उदाहरण आस्ट्रेलिया का नेटिव वेजिटेशन मैनेजमेंट फ्रेमवर्क है। भारत में भी इस तरह के बैंकों के निर्माण का प्रयास किया जा रहा है।

भारत में जैव विविधता को बचाने के लिये स्मिथसोनिया ट्रॉपिकल रिसर्च इन्सटीट्यूट, एसोसिएशन फॉर ट्रॉपिकल बायोलॉजी एंड कंजर्वेशन, ईटीसी ग्रुप, सोसायटी फॉर कंजवेर्शन बायोलॉजी, अमेजन कन्जर्वेशन टीम, कन्जवेर्शन बायोलॉजी इन्सटीट्यूट आदि कार्यरत है। भारत में जैव विविधता संरक्षण के लिये कई परियोजनाएं भी कार्यरत है।

* लेखिका, हिन्दुस्थान समाचार में पत्रकार हैं।

1 COMMENT

  1. सुश्री नेहा जी ने बहुत अच्छी जानकारी दी है. वाकई जैव विविधता को बचाए रखना बहुत जरुरी है अन्यथा इसका प्रकृति पर बहुत विपरीत असर पड़ेगा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,310 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress