तर्ज : कव्वाली
दोहा: श्रावण मॉस में भोले का हो अध्भुत श्रृंगार,
शिवलिंगों पर चढ़े है गंगा जल की धार।
मु: तेरे दर पर हम आ कर भोले शंकर -२
तेरा गुणगान गाते रहेंगे,-२
जब तक तुम नहीं रीझोगे हम पर, -2
तेरा ध्यान लगते रहेंगे। -२
अ १: विपदा कब तक न हरोगे हमारी -२
हम तो आ गए हैं शरण में तुम्हारी। -2
मि: तेरे दर्शन की इच्छा को लेकर,-2
अब तुमको मानते रहेंगे -२
तेरे दर पर हम आ कर भोले शंकर-2
अ २: सुर असुरों ने तुमको था मनाया -२
तुम से मन वांछित वरदान था पाया। -2
मि: क्षमा कर दो अब अवगुण हमारे। -2
गंगा जल नित्य चढ़ाते रहेंगे। -२
तेरे दर पर हम आ कर भोले शंकर-2
अ ३: तुम तो कहलाते हो औगढ़ दानी -२
संग रहती हैं तुम्हारे भवानी। -2
मि: गौरी शंकर के चरणों में अपना,-2
नित दिन शीश झुकाते रहेंगे। -२
तेरे दर पर हम आ कर भोले शंकर-2
अ ४: नन्दो भैया हैं ध्यान लगाएं -२
राकेश भजनो से तुमको मनाएं। -2
मि: अब आ करके दर्शन दिखा दो,-2
तेरी कृपा हम पा कर रहेंगे। -२
तेरे दर पर हम आ कर भोले शंकर-2